भारतीय वैक्सीन की 81% efficacy रिपोर्ट आते ही, NYT और ब्लूमबर्ग ने बड़े फार्मा को बचाने के लिए इसका दुष्प्रचार शुरू कर दिया

COVAXIN की प्रतिबद्धता सामने आते ही, वामपंथी मीडिया ने शुरू किया दुष्प्रचार

कोवैक्सीन

भारत में निर्मित वुहान वायरस रोधी वैक्सीन COVAXIN के ट्रायल के तीसरे एवं अंतिम चरण के परिणाम सामने आ चुके हैं। परंतु कुछ लोगों को भारत के बढ़ते प्रभुत्व से इतनी तकलीफ है कि वे एक बार फिर भारत को नीचा दिखाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। भारत बायोटेक के बयान के अनुसार अंतरिम तौर पे ये वैक्सीन 81 प्रतिशत तक असरदार है, जो वैश्विक वैक्सीन की श्रेणी में अच्छा मानक माना जा सकता है।

भारत बायोटेक के अनुसार, “ये भारत में कन्डक्ट किये गए अब तक के सबसे बड़े ट्रायल्स में से एक है। हमने ICMR के साथ मिलके यह ट्रायल कन्डक्ट किये हैं।” इसकी पुष्टि करते हुए ICMR ने बयान जारी किया, “इन परिणामों का विश्लेषण एक स्वतंत्र डेटा सेफ़्टी एंड मॉनिटरिंग बोर्ड ने किया, जो ये सिद्ध करता है कि कैसे यह वैक्सीन [COVAXIN] SARSCoV 2 के विरुद्ध पूरी तरह असरदार है, और इसका कोई विशेष साइड इफेक्ट नहीं है”

इससे ये भी स्पष्ट हो गया कि भारत द्वारा निर्मित COVAXIN और COVISHIELD जैसे वैक्सीन न सिर्फ असरदार और सुरक्षित हैं, बल्कि चिकित्सा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत के उदय का भी प्रत्यक्ष प्रमाण है। परंतु भारत की दृष्टि से कुछ अच्छा हो, और वैश्विक मीडिया का वामपंथी गुट शांत रहे, ऐसा हो सकता है क्या?

COVAXIN के संबंध में हाल ही में ब्लूमबर्ग ने एक पक्षपाती रिपोर्ट निकाली, जिसका शीर्षक कुछ यूं था –

“आलोचना का शिकार भारतीय वैक्सीन दावा करती है कि वो 81 प्रतिशत तक असरदार है”

भारत के वैक्सीन की सफलता ब्लूमबर्ग के लेख में स्पष्ट दिखती है, जिन्होंने इन परिणामों पर संदेह जताते हुए लिखा है, “अब इस वैक्सीन निर्माता ने ये नहीं बताया कि यह वैक्सीन क्या हर प्रकार के लक्षण पर असरदार है, या फिर केवल उनके लिए जहां अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता है

लेकिन क्या आपने सोचा है कि इस प्रकार के लेख भारत के वैक्सीन को लेकर ही क्यों आ रहे हैं?

वजह स्पष्ट है – बिग फार्मा के प्रभुत्व को भारत से होने वाला खतरा। आपको ध्यान हो या नहीं, लेकिन जब वुहान वायरस के कारण दुनिया त्राहिमाम कर रही थी, तो भारत ने इस महामारी से निपटने में काफी हद तक असरदार HydroxyChloroquine की गोलियां भर भर के दुनिया के सभी अहम देशों में एक्सपोर्ट की थी। तब भी ऐसे ही मीडिया वाले HCQ को लेकर भारत के विरुद्ध भ्रामक खबरें फैला रहे थे, और आज भी स्थिति में कोई विशेष अंतर नहीं आया है। एक तरफ जहां बिग फार्मा की प्रिय वैक्सीन जैसे फ़ाइज़र पर किसी को विश्वास नहीं है, तो वहीं भारतीय वैक्सीन की सफलता और उसके बढ़ते प्रभाव से वामपंथियों का जलना भुनना स्वाभाविक है।

लेकिन वैक्सीन में किस बात की लड़ाई? दरअसल बिग फार्मा की प्रिय वैक्सीन Moderna Pfizer के कई साइड इफ़ेक्ट्स सामने आए हैं, जिसके कारण कनाडा और इज़राएल जैसे देश अब इससे मुंह मोड़ रहे हैं। वहीं दूसरी ओर भारत की COVISHIELD और COVAXIN न सिर्फ असरदार है, बल्कि Moderna Pfizer के मुकाबले सस्ते दर पे भी मिलते हैं। इसके अलावा ये भी सामने आया कि कुछ मामलों में यह वैक्सीन वुहान वायरस के नए स्ट्रेन पर भी काफी कारगर है। ऐसे में बिग फार्मा की जलन काफी स्वाभाविक भी है

लेकिन यह तो कुछ भी नहीं है। न्यू यॉर्क टाइम्स भले ही भारतीय वैक्सीन के बारे में कुछ भी प्रत्यक्ष तौर पर बोल नहीं रहा हो, लेकिन भारतीय वैक्सीन के विरुद्ध प्रोपगैंडा फैलाने में वह भी कहीं से पीछे नहीं है। फरवरी के प्रारंभ में उन्होंने एक विशेष लेख पोस्ट किया था, जिसमें स्पष्ट लिखा था कि चीन और रूस की वैक्सीन को प्राथमिकता देने का समय आ चुका है –

इसके अलावा न्यू यॉर्क टाइम्स भारत के वैक्सीन की क्षमता पे कम, और भारत की वैक्सीन कूटनीति पे अधिक ध्यान दे रहा है, मानो भारत दुनिया के सामने सिर्फ अपनी छवि चमकाने के लिए वैक्सीन दे रहा हो। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि भारत के वैक्सीन को लेकर भ्रामक खबरें फैलाकर वैश्विक वामपंथी मीडिया केवल और केवल अपने बिग फार्मा के आकाओं का बचाव कर रही है, जिसका कोई लाभ उन्हे नहीं मिलेगा।

 

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