जैसा कि TFI ने भविष्यवाणी की थी, नेतनयाहू ने अपने Annexation के सपनें देखने बंद नहीं किए, वह बस चाहते हैं कि बाइडन भी साथ आए

नेतनयाहू वेस्ट बैंक पर अपना दावा नहीं छोड़ने वाले

कई विश्लेषक और संस्थान इस बात को लेकर निश्चिंत थे कि जो बाइडन के सत्ता ग्रहण करते ही बेंजामिन नेतनयाहू के वेस्ट बैंक पर पुनः अधिकार प्राप्ती के इरादों पर लगाम लग जाएगी। लेकिन जैसे कई हफ्तों पहले TFI ने अपने विश्लेषण में संभावना जताई थी, कि नेतनयाहू के वेस्ट बैंक पर पुनः अधिकार प्राप्त करने के इरादे अभी भी यथावत हैं। नेतनयाहू का मानना है कि वह अभी भी वेस्ट बैंक पर पुनः इज़रायल का झण्डा लहराने के लिए तैयार है, बशर्ते बाइडन कोई अड़ंगा ना डाले।

इसमें कोई दो राय नहीं है कि वैचारिक रूप से बेंजामिन नेतनयाहू और जो बाइडन में छत्तीस का आंकड़ा रहा है, और जिस प्रकार से बाइडन प्रशासन ईरान की जी हुज़ूरी कर रहा है, उससे इज़रायल कतई खुश नहीं है। लेकिन नेतनयाहू उन लोगों में से नहीं है जो विपरीत परिस्थितियों में हाथ पर हाथ धरे रहें। उनके सत्ता वापसी की संभावना पहले से अधिक प्रबल दिख रही है, और वहीं दूसरी तरफ ऐसा होने पर उनका वेस्ट बैंक पर पुनः अधिकार प्राप्त करने का अभियान शुरू हो सकेगा, और बाइडन चाह कर भी कुछ नहीं कर पाएंगे।

नेतनयाहू ने स्वयं स्वीकार किया कि वे अमेरिकी राष्ट्रपति के बगैर इस ऑपरेशन को अंजाम नहीं दे पाएंगे। चैनल 12 को दिए साक्षात्कार में उन्होंने स्पष्ट किया कि वे किसी भी तरह इस ऑपरेशन को अंजाम देंगे, पर बिना होमवर्क किये नहीं।

एक तरह से नेतनयाहू बाइडन को मिडिल ईस्ट में अपना खोया प्रभाव पुनः प्राप्त करने का अवसर दे रहे है। ईरान की चाटुकारी में बाइडन ने पश्चिमी एशिया में काफी दुश्मन बना लिए हैं, लेकिन यदि वे नेतनयाहू के वेस्ट बैंक योजना को समर्थन देते हैं, तो काफी हद तक वे अपनी खोई प्रतिष्ठा वापिस पा सकते हैं, जो उन्होंने अपनी बचकानी हरकतों से काफी हद तक गंवा रखी है।

कहीं न कहीं बाइडन प्रशासन को भी समझ आ गया है कि ईरान वाले मामले पर वह कुछ ज्यादा ही भावनाओं में बह गया था। इसके अलावा नेतनयाहू भी समझ गए कि बाइडन कैसे हैं और उनसे कैसे अपना काम निकलवाना है, जिसके कारण अब ईरान से अमेरिका का समझौता इज़रायल में एक अहम चुनावी मुद्दा भी बन चुका है।

कूटनीति के मामले में इज़रायल का कोई सानी नहीं है। जैसे ही अमेरिका ईरान के प्रति अपनी निकटता बढ़ाने लगा, ये अफवाहें भी प्रबल होने लगी कि इसका मुकाबला करने के लिए इज़रायल संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब और बहरीन जैसे देशों के साथ मिलकर एक सैन्य समझौता कर सकता है। ये बात सुनते ही बाइडन प्रशासन का हलक सूखने लगा और उन्हे अपने नीति पर पुनर्विचार के लिए विवश होना पड़ा।

ऐसे में इतना तो स्पष्ट है कि बेंजामिन नेतनयाहू वेस्ट बैंक पर अपना दावा नहीं छोड़ने वाले, लेकिन वे बाइडन को भी इस योजना को बढ़ावा देने के लिए विवश करना चाहते हैं। इससे वे न सिर्फ अमेरिका को अपनी नीतियाँ सुधारने के लिए विवश करेंगे, बल्कि वेस्ट बैंक पर उसके दावे के विरोध को भी ध्वस्त करेंगे।

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