देश कोलकाता में हुए हादसे पर दुख जता रहा है, ममता बनर्जी इस पर भी राजनीति करने में व्यस्त हैं

चुनाव है तो हर मुद्दे पर राजनीति करेंगी ममता दीदी?

एक ओर जहां देश भर में कोलकाता की त्रासदी को लेकर काफी अफसोस है, तो वहीं ममता बनर्जी स्वभाव अनुसार इसमें भी अपना राजनीतिक हित साधना चाहती है। सत्ता हाथ से फिसलते हुए देख ममता बनर्जी एक बार फिर अपनी निकृष्ट हरकतों पर उतर आई हैं, और इसके लिए भी किसी प्रकार से केंद्र सरकार को दोषी ठहराने में जुटी हुई हैं।

अभी सोमवार शाम को कोलकाता में एक बहुमंजिला इमारत में भीषण आग लग गई, जिसे बुझाने पहुंचे कई कर्मचारियों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। मृतकों में चार अग्निशमक, एक RPF कर्मचारी, कोलकाता पुलिस के एक सहायक सब इंस्पेक्टर और एक अन्य व्यक्ति शामिल है ।

लेकिन यहाँ भी ममता बनर्जी राजनीति करने से बाज नहीं आई। जहां एक तरफ देश इस त्रासदी पर अफसोस जता रहा था, तो वहीं ममता बनर्जी का कहना है कि यह सब कुछ भारतीय रेलवे यानि केन्द्रीय प्रशासन की लापरवाही के कारण हुआ। मोहतरमा के अनुसार, “यह संपत्ति रेलवे की थी, ये उनकी जिम्मेदारी है, परंतु वे बिल्डिंग का नक्शा ही नहीं निकाल पाए। मुझे राजनीति नहीं करनी, परंतु रेलवे से कोई नहीं आया।”

ममता बनर्जी एक त्रासदी में भी राजनीति करने से बाज नहीं आई। हालांकि जो व्यक्ति मुख्यमंत्री रहते हुए 2012 में एक दुष्कर्म पीडिता के चरित्र पर प्रश्न उठाने की हिमाकत कर सकती है, तो उसके लिए ये तो रोज की बात हुई। लेकिन ममता का सफेद झूठ जल्दी ही ध्वस्त भी हो गया।

ममता के दावों के ठीक उलट पूर्वी रेलवे प्रबंधक मनोज जोशी का कहना था, “ये सरासर झूठ है। रेलवे अफसर हमेशा वहाँ उपस्थित थे, और जो भी आवश्यकता थी, उसे तुरंत प्रदान किया गया। तुरंत भले ही कोई नक्शा नहीं मिल हो, परंतु परिसर के स्टाफ सदस्य अग्निशमन दल की सहायता के लिए वहाँ पर उपस्थित थे।”

यहाँ हम स्पष्ट समझ सकते हैं कि किस प्रकार से ममता बनर्जी केंद्र सरकार को नीचा दिखाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है। हवा से लड़ने की क्षमता तो उनमें कूटकूट कर भरी है, और ऐसे में इस त्रासदी का वो राजनीतिकरण न करे, ऐसा हो ही नहीं सकता था।

लेकिन ममता की इस नौटंकी के पीछे एक और कारण है –TMC का घटता जनाधार। तृणमूल की हालत इतनी खराब है कि चुनाव में खड़े उसके उम्मीदवार तक ऐन मौके पर पार्टी बदलने से पहले एक बार नहीं सोचते, जैसा अभी सरला मुर्मू ने किया। आगामी विधानसभा चुनाव में उन्हे तृणमूल की ओर से टिकट दी गई थी, लेकिन घोषणा होने के कुछ ही दिनों बाद सरला ने गाजे बाजे सहित भाजपा का दामन थाम लिया।

ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि भाजपा विधानसभा चुनाव के सम्पन्न होने से पहले ही बंगाल का नियंत्रण अपने हाथ में लेने की पूरी व्यवस्था कर रही है। इसीलिए ममता बनर्जी बौखलाहट में कोलकाता की त्रासदी का राजनीतिकरण करती फिर रही हैं। शायद एक कारण ये भी हो सकता है कि उनके चाटुकारों द्वारा चुनावों को कई चरणों में न कराने की सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका रद्द होने के कारण उनका यह हाल हो।

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