दुनिया “क्लीन नेटवर्क” की बात कर रही है, इधर एयरटेल वालों ने Huawei के साथ 300 करोड़ की डील कर ली

आ थू, एयरटेल ने नाक कटवादी देश की!

एयरटेल

चीनी मोबाइल नेटवर्क कंपनी Huawei किसी परिचय का मोहताज नहीं है। जिस प्रकार से ये विभिन्न देशों के लिए एक बहुत बड़े खतरे के रूप में उभर कर आई है, उससे सभी परिचित हैं, और भारत भी इससे अछूता नहीं है। भारत में जहां अहम प्रोजेक्ट्स से चीन को दूर रखा जा रहा है, तो वहीं एक कंपनी ऐसी भी है, जिसके लिए राष्ट्रीय सुरक्षा और देश की अखंडता कोई मायने नहीं रखती, और वह इस चीनी कंपनी के साथ सौदा करने को भी तैयार है, और उसका नाम है एयरटेल।

जी हाँ, एयरटेल Huawei के साथ सौदा करने को तैयार है। एयरटेल टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर के विस्तार से जुड़े एक अहम प्रोजेक्ट को हथियाने में इस चीनी कंपनी ने बाज़ी मारी है, और ये सौदा 300 करोड़ रुपये में हुआ है।

इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, “इस डील के अंतर्गत एयरटेल अपना नेशनल लॉंग डिस्टेंस नेटवर्क को विस्तृत करेगा, जिसमें Huawei पहले से ही इसका प्रबंधन संभाल रहा है। एयरटेल ने इससे पहले नोकिया, सिएना और इंफीनेरा को प्रस्ताव दिया था, लेकिन बाद में वह Huawei के साथ इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने पर राज़ी हो गया”।

इसी को कहते हैं, बाप बड़ा न भैया सबसे बड़ा रुपैया। एक ओर भारत चीनी निवेश को कम से कम करने पर जोर दे रहा है, और जियो जैसे स्वदेशी टेलिकॉम नेटवर्क विदेश में 5 जी नेटवर्क के लिए एक असरदार विकल्प तैयार कर रहा है, और वहीं एयरटेल एक ऐसी कंपनी के साथ सौदा करने को तैयार है, जो कई देशों के लिए आधिकारिक रूप से एक खतरनाक संगठन है। अमेरिका हो, या फिर यूके, Huawei राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए किसी खतरे से कम नहीं है।

स्वयं भारत में मोदी सरकार ने भी सरकारी एजेंसियों को Huawei से दूरी बनाने को निर्देश दिया है, जिसके कारण बीएसएनएल ने अपने 4 जी सेवा के अपग्रेडेशन का प्रोजेक्ट Huawei को देने से साफ मना कर दिया। लेकिन इन सब के बावजूद एयरटेल राष्ट्रीय सुरक्षा को ताक पर रखकर इस चीनी कंपनी के साथ सौदा करने को तैयार है।

लेकिन ये कोई हैरानी की बात नहीं है, क्योंकि एयरटेल का रुख पहले से ही स्पष्ट था। जब गलवान घाटी में हमले के बाद कई भारतीय कंपनियों ने चीन से नाता तोड़ने के लिए पहल की, तो एयरटेल तब भी उन चंद कंपनियों में शामिल था, जो चीनी कंपनियों के साथ अपने संबंध पहले जैसे ही रखना चाहते थे। स्वयं एयरटेल के अध्यक्ष, सुनील भारती मित्तल ने कहा कि Huawei का नेटवर्क उसके यूरोपीय प्रतिद्वंदीयों के मुकाबले कहीं ज्यादा बेहतर हैं।

ऐसे में वर्तमान परिस्थितियों में चीनी कंपनी से संधि कर एयरटेल ने सिद्ध कर दिया कि देश का मान सम्मान उसके लिए कोई माएने नहीं रखता। मायने रखता है तो सिर्फ पैसा, चाहे उसके लिए देश की सुरक्षा की बलि ही क्यों न चढ़ानी पड़े।

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