यूपीए-1 सरकार के दौरान एक बड़े हमले की तैयारी कर रहे इंडियन मुजाहिदीन के आतंकियों को बाटला हाउस एनकाउंटर में मार गिराया गया था, लेकिन इसमें दिल्ली पुलिस के जवानों की शहादत भी हुई थी। इस एनकाउंटर की खास बात ये थी कि केंद्र की सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस ही इस एनकाउंटर क़ो फर्जी बताकर सवाल खड़े कर रही थी, और शहीद मोहन चंद शर्मा को ही एक अपराधी घोषित करने की तैयारी थी। कांग्रेस के इस एजेंडे में उसका साथ हिन्दू विरोध का झंडा बुलंद करने वाले वामपंथी लोग भी दे रहे थे, लेकिन अब इन सभी के मुंह पर दिल्ली की साकेत कोर्ट ने अपने एक फ़ैसले से तमाचा जड़ दिया है।
दिल्ली की साकेत कोर्ट ने आरिज खान को बाटला हाउस एनकाउंटर के केस में आईपीसी की धारा 186, 333, 353, 302, 307, 174A, 34 के तहत दोषी पाया है। उसे आर्म्स एक्ट की धारा 27 का दोषी भी बताया गया है। साकेत कोर्ट ने कहा, “ यह साबित हो चुका है कि आरिज खान और उसके सहयोगियों ने जान-बूझकर सरकारी कर्मचारियों को चोट पहुंचाई। खान ने ही इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा पर गोली चलाई जिससे उनकी जान गई।” कोर्ट के दोषी करार दिए जाने के बाद इंतजार उसे मिलने वाली सजा का भी है, जो कि कोर्ट 15 मार्च को सुनाएगा।
बाटला हाउस एनकाउंटर पर सवाल उठाने वालों में तत्कालीन सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस पार्टी के नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह इसे फर्जी बता चुके है। इसी तरह उत्तर प्रदेश के 2012 विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद भी चर्चा में आए थे, क्योंकि उन्होंने इस एनकाउंटर को फेक बताते हुए कहा था कि कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी इस एनकाउंटर से व्यथित थीं और रोने लगी थीं। ये एनकाउंटर देश के वामपंथियों को भी पसंद नहीं आया था। दिल्ली की जामिया यूनीवर्सिटी से लेकर लेफ्ट के गढ़ माने जाने वाले जेएनयू के छात्र नेता और शिक्षक सभी एनकाउंटर की जगह पर जाकर सवाल खड़े कर रहे थे। इन वामपंथियों में सुप्रीम कोर्ट के तथाकथित वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण समेत अरुंधती रॉय और कविता कृष्णन जैसे लोग भी शामिल थे, पर अब इस मामले के आरोपी आरिज खान को लेकर दिल्ली की साकेत कोर्ट ने बड़ी बात कही है।
साकेत कोर्ट के आए फ़ैसले ने उन वामपंथियों को बड़ा झटका दिया है, जो इस एनकाउंटर को फर्जी बताकर शहीद इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा और आतंकियों के धर्म को बीच में लाकर इसमें हिंदुओं के प्रति घृणा का प्रसार कर रहे थे। इसके पीछे मुस्लिम तुष्टीकरण की बदबू भी आ रही थी, क्योंकि सलमान खुर्शीद जैसे नेता उत्तर प्रदेश के मुस्लिम बहुल इलाकों में सोनिया गांधी का नाम लेकर बाटला हाउस एनकाउंटर का उल्लेख कर रहे थे। आश्चर्यजनक बात है कि ऐसी सरकार जिसे अपने शहीद जवान के लिए सम्मान प्रकट करना था, वो ही जब उनके किए ही सुकर्मों पर सवाल खड़े करेगी तो साफ हो जाएगा कि मंशा राजनीतिक ही है।
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कांग्रेस ने इस एनकाउंटर के विवाद से भी सीख नहीं ली थी, क्योंकि इसके बाद ही हुए 26/11 के मुंबई हमले में भी कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह RSS को बीच में ले आए थे। उन्होंने इस हमले का असल जिम्मेदार RSS को बताया था जबकि सारी दुनिया मानती थी कि इस सारे तारे पाकिस्तान से जुड़े थे। इस मुद्दे पर साथ देते हुए देश के पूर्व गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने भी ‘हिंदू आतंकवाद जैसे चुटीले शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने हमेशा ही आतंकवाद के मुद्दे पर भी मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए हिंदुओं को बली का बकरा बनाया है, लेकिन अब बाटला हाउस एनकाउंटर के मुद्दे पर आए साकेत कोर्ट के फैसले ने उन सभी लोगों को आईना दिखाया है, जो इस मुद्दे पर हिन्दू विरोध की राजनीति करते थे।