बाइडन अवैध आप्रवासियों को अमेरिका में खुला छोड़ रहे हैं, और अब वे मामले को ढ़कने की कोशिश में लगे हैं

घुसपैठियों को बाइडन का खुला निमंत्रण!

बाइडन

अमेरिका की आंतरिक सुरक्षा से जुड़ी एजेंसी United States’ Department of Homeland Security के प्रमुख Alejandro Mayorkas ने कहा है कि बॉर्डर पार कर अमेरिका में अवैध तरीके से घुसने की घटनाओं में इतनी वृद्धि हुई है जितनी पिछले 20 वर्षों में नहीं देखी गई थी। जाहिर तौर पर इसकी जिम्मेदारी जो बाइडन की इमिग्रेशन पॉलिसी की है, जो अमेरिका के दरवाजे हर गुसपैठिये के लिए खोल रही है।

अवैध गुसपैठियों की तादात दिन प्रतिदिन बढ़ रही है, और बाइडन प्रशासन न तो इसे रोकने की इच्छाशक्ति रखता है और न ही उसके पास पर्याप्त संसाधन हैं। कारण यह है कि अवैध इमिग्रेंट की संख्या इतनी बढ़ गई है कि ऐसे घुसपैठियों के लिए पहले से जो कैम्प बनाए गए थे, उनकी संख्या कम पड़ गई है। इस कारण ऐसे गुसपैठियों के जत्थे के जत्थे, बिना पूरी कागजी कार्रवाई के और बिना Notices to Appear (NTA) जारी हुए ही, अमेरिका में प्रवेश करा दिए जा रहे हैं।

अमेरिका की रियोग्रैंड वैली सेक्टर के बॉर्डर पेट्रोल एजेंट, अवैध अप्रवासीयों को NTA जारी नहीं कर रहे, जिससे ये अप्रवासी न्यायालय की कार्रवाई का सामना किये बिना ही, कस्टडी से निकल जा रहे हैं।

Fox न्यूज़ की खबर के अनुसार, पेट्रोल कार्य कर रहे कर्मचारियों को यह आदेश मिला है कि वह स्वविवेक से निर्णय करें, जिसका यह नतीजा हो रहा है कि बिना किसी कागजी कार्रवाई के अवैध गुसपैठिये अमेरिका में प्रवेश कराये जा रहे हैं। इस प्रकार बाइडन ने अपने आदेश से बॉर्डर पेट्रोलकर्मियों के हाथ बांध दिये है और अमेरिका को धर्मशाला बनाने की व्यवस्था कर दी है।

यह सोचना ही मूर्खतापूर्ण है कि अवैध घुसपैठिये अपनी जिम्मेदारी समझकर सभी कानूनी कार्रवाई के लिए समय पर उपस्थित हो जाएंगे। बाइडन प्रशासन का NTA जारी न करने का फैसला बताता है कि बाइडन अवैध इमिग्रेशन को लेकर बिल्कुल भी चिंतित नहीं हैं, उन्होंने अमेरिकी नागरिकों की सुरक्षा दांव पर लगा दी है।

बाइडन सरकार ने यह भी व्यवस्था कर दी है कि इमिग्रेशन से जुड़ी खबरों को बिना सेंसरशिप के आम लोगों तक न पहुंचने दिया जाए। इस कारण यह बात भी सामने नहीं आ रही है कि दक्षिणी राज्यों के लोगों को इससे कितनी समस्या हो रही है। अमेरिका में मीडिया पर सेंसरशिप का ताला लगाकर बाइडन प्रशासन ने यह भी व्यवस्था की है कि अमेरिका की कोविड समस्या भी खबरों का हिस्सा न बनें। यही हाल चीन के साथ चल रही वार्ता को लेकर भी है, कोई भी महत्वपूर्ण खबर बिना सेंसरशिप के आम लोगों तक नहीं पहुंच सकती।

डेमोक्रेटिक पार्टी द्वारा लागू सेंसरशिप को लेकर लिबरल मीडिया में भी बातें शुरू हो गई हैं। CNN पत्रकार Pamela Brown ने इमिग्रेशन की समस्या को लेकर किये एक शो के दौरान कहा कि “जैसे जैसे अमेरिका मेक्सिको बॉर्डर पर इमिग्रेशन की समस्या गंभीर  हो रही है, मीडिया को इससे दूर किया जा रहा है।” उनके अतिरिक्त CNN के एक अन्य पत्रकार Jake Tapper ने कहा कि सरकार मीडिया को उन कैम्प का दौरा करने से रोक रही है जहाँ ऐसे इमिग्रेंट रोके जाते हैं। उन्होंने कहा “हमें कैम्प के भीतर की थोड़ी बहुत जानकारी ही मिली, क्योंकि बाइडन प्रशासन ने कोविड का बहाना देकर मीडिया को कैंपों तक जाने नहीं दिया।” उन्होंने कहा कि बाइडन ने कहा था कि वह पारदर्शी रहेंगे, लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा। कोविड और इमिग्रेशन समस्या की बिगड़ती हालत के कारण वाइट हाउस प्रवक्ता Jen Psaki को भी तीखे सवालों का सामना करना पड़ रहा है।

यह भी एक अनोखी बात है कि यही लिबरल मीडिया ट्रम्प सरकार के दौरान खुलकर सरकार विरोधी रिपोर्टिंग करती थी, और इसके बाद भी ट्रम्प सरकार को अपारदर्शी कहा जाता था। अब लिबरल मीडिया की मनपसंद पार्टी ही सत्ता में है, और उसे पता चल रहा है कि मीडिया पर सेंसरशिप कैसी होती है। बाइडन भी जानते हैं, वह अगर मीडिया को खुली छूट देंगे तो उनकी सरकार की कलई खुल जाएगी और आम अमेरिकी के सामने यह बात पूरी तरह साफ हो जाएगी कि बाइडन न तो अमेरिका की बाह्य सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं, न ही आंतरिक सुरक्षा।

हाल ही में जब DHS प्रमुख Alejandro टेक्सस के एक इमिग्रेशन कैम्प के दौरे पर गए थे, तो भी मीडिया को उनके साथ जाने नहीं दिया गया था। न ही उनकी ओर से प्रेस ब्रीफिंग दी गई थी। ऐसा ही व्यवहार चीन उइगर कैम्पों में करता है, जैसा अमेरिकी सरकार इमिग्रेशन कैम्प में कर रही है। बाइडन सरकार ने तो इमिग्रेशन का डेटा भी मीडिया से साझा नहीं किया है।

बाइडन इमिग्रेशन से लेकर चीन तक हर मुद्दे पर असफल हो रहे हैं। वह अपनी राजनीतिक प्रतिद्वंदिता के कारण ट्रम्प की नीतियों की आलोचना करते रहे। किंतु सत्य यह है कि ट्रम्प की नीतियां अमेरिकी हितों में थीं। ट्रम्प के हर फैसले को पलटने की सनक के कारण डेमोक्रेटिक प्रशासन, अमेरिका की मुसीबतें बढ़ा रहा है और मीडिया इसके खिलाफ कुछ लिख भी नहीं पा रही। यह सभी संकेत बताते हैं कि अमेरिका संभवतः लोकतंत्र के नाम पर तानाशाही का शिकार हो रहा है।

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