बाइडन शुरू में खूब आक्रामक हुए, अब महीने भर में ही भारत, जापान और इजरायल ने हवा निकाल दी

क्यों बाइडन आ गया स्वाद?

सत्ता संभालने के पहले दिन से ही अमेरिका के नए राष्ट्रपति जो बाइडन एक के बाद एक धड़ाधड पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसलों को बदलने लगे थे। इसी दौरान उन्होंने विदेश नीति में भी बदलाव किया जो सीधे तौर पर इजरायल, भारत और जापान जैसे देशों को प्रभावित कर रहा था तथा ईरान और चीन जैसे देश को फायेदा पंहुचा रहा था।  परन्तु एक महीने एक अन्दर ही इन तीनों देशों ने जो बाइडन को फिर से विदेश नीति बदलने पर मजबूर कर दिया। एक तरह से अब वे इजरायल की तरफदारी करते हुए ईरान मिलिशिया के खिलाफ बमबारी के आदेश दे चुके हैं तो वहीं, भारत और जापान को अपनी तरफ करने के लिए QUAD की बैठक करने के साथ इन दोनों देशों में अपने रक्षा मंत्री को भी भेज रहे हैं।

दरअसल, रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने ईरान के खिलाफ प्रतिबंधों को एक और वर्ष के लिए बढ़ा दिया है। यही नहीं Sputnik के अनुसार, उन्होंने ईरान पर “मिसाइलों और अन्य पारंपरिक हथियारों की क्षमताओं” को विकसित करने और क्षेत्रीय आक्रामकता के “नेटवर्क और अभियान” को बनाए रखने, “आतंकवादी समूहों” का समर्थन करने और Islamic Revolutionary Guard Corps पर घातक गतिविधियों का भी आरोप लगाया है।

बता दें कि अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद से ही जो बाइडन ईरान के साथ परमाणु डील को एक बार फिर से लागू करने के संकेत दे रहे थे।

जब बाइडन सत्ता में आये, तो वह पश्चिमी एशिया में अपने एकमात्र गैर-मुस्लिम सहयोगी इजरायल से दूरी बनाने लगे थे। उन्होंने नेतन्याहू को एक टेलीफोन कॉल करने से परहेज किया। यही नहीं उन्होंने ईरान और फिलिस्तीनी कारणों को भी समर्थन दे दिया था जिससे इज़रायल के अस्तित्व पर खतरा उत्पन्न हो गया था। परन्तु एक महीने के भीतर ही बाइडन को एहसास हुआ कि  नेतन्याहू बाइडन प्रशासन को पश्चिमी एशिया से बाहर निकाल सकता है, इजरायली सरकार अमेरिका के बिना ही सऊदी अरब के साथ एक Abraham Accord पर हस्ताक्षर के लिए आगे बढ़ जाएगा और साथ ही वे अमेरिका के भीतर यहूदी लॉबी के समर्थन को पूरी तरह से खो देंगे। हालाँकि, कई अरब देश और इज़रायल अपने एक्शन से यह स्पष्ट कर रहे हैं कि वे अमेरिका की नीतियों के बिना ईरान के खिलाफ अपने आक्रामक व्यवहार को बनाए रखेंगे। इराक और यमन में ईरान अपनी सीमाओं के माध्यम से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इजरायल और सऊदी अरब को लगातार निशाना बनाता रहा है। जो बाइडन के पदभार संभालने के बाद इन घटनाओं की तीव्रता बढ़ गई थी। परन्तु अब बाइडन ने इज़रायल पर फिर से नरम रुख अपनाया है। इसी रुख का नमूना पेश करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि, “यहूदी लोगों और उनके इतिहास के लिए हमेशा मेरे दिल में एक विशेष स्थान है।”

यही नहीं वो ईरान के खिलाफ प्रतिबंधों को बढ़ाने के अलावा ईरान के मिलिशिया के ऊपर B-52 Bomber से बमबारी भी करवा रहे हैं। अचानक ईरान बैकफुट पर है, उसने प्रतिबंधों को हटाने के लिए सहयोग करने और तुरंत उपाय करने का वादा किया है। ईरान ने महसूस किया है कि बाइडन अब इज़रायल से काफी दबाव में है। नेतन्याहू ईरान के साथ परमाणु समझौता होने पर ईरान के साथ युद्ध में जाने की धमकी दे रहे हैं। उन्होंने उपराष्ट्रपति कमला से भी बात की और उन्हें बताया कि वह ईरान को परमाणु बम हासिल नहीं करने देंगे। यही कारण है कि बाइडन को ट्रम्प का रास्ता अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

वहीं, दूसरी और भारत ने भी इंडो-पैसिफिक के लिए अमेरिका पर दबाव बनाया तो जापान ने सेनकाकू के लिए चीन के खिलाफ बिना अमेरिका की मदद से ही सेना उतारने का फैसला ले लिया था। जिस तरह से बाइडन चीन के लिए एक नर्म रुख अपना रहे थे, उससे भारत और जापान दोनों को चीन से निपटने के लिए अकेले ही तैयार होना पड़ा था। फरवरी महीने में ही जब बाइडन प्रशासन के अंतर्गत Quad के विदेश मंत्रियों की पहली बैठक हुई थी तो अन्य तीन देशों के विदेश मंत्रियों के पास अमेरिकी विदेश मंत्री Antony Blinken के लिए बेहद सख्त संदेश था। संदेश यह था कि अमेरिका को ना सिर्फ Quad में अपनी भूमिका को और अधिक सक्रिय करना होगा, बल्कि अगर अमेरिका अपनी भूमिका निभाने में असफल रहता है तो उसकी जगह लेने के लिए पहले ही फ्रांस, UK, जर्मनी और रूस जैसे देश तैयार हैं। इस संदेश का असर यह हुआ कि बाइडन प्रशासन को भी अपने वक्तव्य में “Free and Open Indo Pacific” पर ज़ोर देना पड़ा, जबकि कुछ दिनों पहले तक बाइडन प्रशासन “Secure and Prosperous” इंडो-पैसिफिक रणनीति को आगे बढ़ाने की बात कर रहे थे। यही कारण है कि भारत और जापान की बढ़ती ताकत के बाद अब एक बार फिर से जो बाइडन ने डैमेज कंट्रोल शुरू कर दिया है। इसके बाद अब बाइडन ने सिर्फ QUAD के राष्ट्राध्यक्षों की बैठक ही नहीं बुलाई है बल्कि और भी कई कदम उठाये जिससे यह स्पष्ट होता है कि अमेरिका भारत और जापान दोनों से अपने रिश्तों को और मजबूत करना चाहता है। रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन इस महीने भारत के दौरे पर आएंगे। यह यात्रा इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत के महत्व और वैश्विक स्तर पर बढ़ते प्रभाव को देखते हुए आयोजित की जा रही है।

अमेरिका को यह पता है कि अगर उसे ताकतवर बने रहना है तो ताकतवर सहयोगियों की भी आवश्यकता पड़ेगी और वह भारत के बढ़ते प्रभाव को नजरंदाज नहीं कर सकता। नए अमेरिकी रक्षा सचिव की भारत यात्रा के बाद अन्य इंडो-पैसिफिक देशों में भी जाने की संभावना है। यानि अगला देश जापान हो सकता है। जापान के साथ तो अमेरिका 2+2 मंत्रियों की बैठक भी करेगा। Asia Nikkei की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन अपने जापान के समकक्षों से मिलने के लिए मध्य मार्च की शुरुआत में जापान का दौरा करेंगे। हमने पहले ही अपनी रिपोर्ट में बताया था कि जापान और भारत, दोनों अमेरिका को यह संदेश दे चुके हैं कि अगर अमेरिका की ओर से चीन के खिलाफ आक्रामकता दिखाने में कोई आनाकानी की जाती है, तो ये दोनों देश Quad में मुख्य भूमिका निभाने से परहेज़ नहीं करेंगे।

ऐसे में अगर यह कहा जाये कि इजरायल भारत और जापान ने मिलकर बाइडन को रास्ते पर ले आये हैं तो यह गलत नहीं होगा।

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