बाइडन के पास ‘Made In America’ को आगे बढ़ाने का सुनहरा मौका था, लेकिन वह चीन में $360 बिलियन लगा रहे हैं

चीन के चक्कर में अमेरिका को कितने पीछे धकेलेंगे बाइडन?

जब जो बाइडन ने 1.9 ट्रिलियन डॉलर का प्रोत्साहन पैकेज जारी किया तो आम अमेरिकियों को लगा कि यह चीनी वायरस के द्वारा आई तकलीफों को दूर करने में मदद करेगा। खैर, ऐसा होने नहीं जा रहा है और इसके बजाए अमेरिकी कांग्रेस द्वारा पारित $ 1.9 ट्रिलियन प्रोत्साहन पैकेज के कारण चीन की जीडीपी में अगले साल 0.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी होने जा रही है। यानी जिस देश ने कोरोना फैलाया उसी की मदद होगी।

चीन के इस आर्थिक विस्तार का कारण पूरी तरह से डेमोक्रेट्स की नासमझी द्वारा पारित किए गया प्रोत्साहन पैकेज है जिसे कांग्रेस में अमेरिकी अर्थव्यवस्था की चिंता किए बिना पारित किया गया था।

इस पैकेज के तहत हर अमेरिकी को 1,400 डॉलर का चेक मिला है, और उससे अमेरिकियों को खर्च करने की शक्ति बढ़ी है जिससे अमेरिका में खपत की मांग भी बढ़ी। हालांकि, समस्या यह है को उपभोक्ता की मांग में अचानक बढ़ोतरी से अमेरिकी उत्पादन और विनिर्माण उद्योग को कोई लाभ नहीं हो रहा है। चीन के खिलाफ अमेरिका की आर्थिक स्थिति को और मजबूत करने के लिए, जो बाइडन के पास सही अवसर था। अमेरिकियों को 1,400 डॉलर के चेक सौंपने से पहले, बाइडन, चीनी आयातों पर टैरिफ लगा सकते थे।

उन्होंने ऐसा नहीं किया, जिसके परिणामस्वरूप अब प्रत्यक्ष भुगतान के 473 बिलियन डॉलर में से 360 बिलियन डॉलर अमेरिका से बाहर चला जायेगा।  और सिर्फ 113 बिलियन डॉलर ही अमेरिका में सर्कुलेट होने की उम्मीद है।

चीन जैसे देशों को अब अमेरिका की उपभोक्ता मांग में अचानक हुई वृद्धि का बड़ा लाभ मिलने की उम्मीद है।  Allianz SE के अनुसार, लगभग 360 बिलियन डॉलर का प्रोत्साहन पैकेज इंपोर्ट पर खर्च किया जाएगा, जबकि अमेरिका में चीनी निर्यात 2021-2022 के दौरान 60 बिलियन डॉलर बढ़ने की संभावना है।

मूल रूप से, राष्ट्रपति के रूप में अपने पहले कुछ महीनों में, जो बाइडन ने अमेरिका और चीन के बीच व्यापार घाटे को 60 बिलियन डॉलर बढ़ाने का काम किया है जिससे चीन की स्थिति और मजबूत होगी। अमेरिका में जिन चीनी वस्तुओं का आयात होगा उसमें  कंप्यूटर और दूरसंचार, घरेलू उपकरणों और वस्त्र हैं।

जबकि $ 60 बिलियन अकेले चीन जाना और घरेलू अमेरिकी अर्थव्यवस्था में महज 113 बिलियन डॉलर का निवेश किया जाना अमेरिकी अर्थव्यस्था के लिए एक तबाही साबित हो सकता है। 2019 के दौरान अमेरिका में चीन का कुल निर्यात 452.34 बिलियन डॉलर था, जबकि अगले वर्ष में यह आंकड़ा 435.4 बिलियन डॉलर तक गिर गया। इसलिए, 2019 और 2020 में, देशों के बीच व्यापार घाटा क्रमशः 345.61 बिलियन डॉलर और 310.8 बिलियन डॉलर रहा।

2020 में अमेरिका ने चीन के साथ अपने व्यापार घाटे को 35 बिलियन डॉलर के करीब बंद कर दिया जो पूरी तरह से पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के ट्रेड टैरिफ और पेपर ड्रैगन पर लगाए गए आयात शुल्क के कारण कम हुआ था।

अब अगले वर्ष फिर से यह 60 बिलियन डॉलर से अधिक होने जा रहा है।  इससे आप यह अंदाजा लगा सकते हैं कि 2020 में, ट्रम्प ने घाटे को 35 बिलियन डॉलर से कम कर दिया, और अब, राष्ट्रपति बाइडन ने, एक ही झटके में, चीन को फिर से अमेरिका के साथ एक व्यापार असंतुलन पैदा करने का मौका दिया वो भी 60 बिलियन डॉलर से अधिक का।

इसका मतलब यह है कि अमेरिकी करदाता – जिन्होंने बाइडन के 1.9 ट्रिलियन डॉलर पैकेज को वित्त पोषित किया है, अब चीन के आर्थिक विकास में भी मदद करेगा। बाइडन प्रशासन का उद्देश्य स्पष्ट होना चाहिए था – घरेलू उपभोक्ता मांग में वृद्धि से चीन को फायदा न मिले और अमेरिका के पेपर ड्रैगन को अपने व्यापार घाटा और घटे।

प्रोत्साहन पैकेज से लगता है कि अमेरिका और चीन के बीच व्यापार घाटे को बढ़ाना ही इसका लक्ष्य क्या था।  इसलिए, भले ही जो बाइडन चीनी आयात पर ट्रम्प के कार्यकाल में लगे टैरिफ को जारी रखने का दिखावा करते हैं, वह स्पष्ट रूप से CCP की मदद करने में लगे हैं।

Exit mobile version