महाराष्ट्र की राजनीति में चल रही उठा पटक के बीच महाविकास आघाड़ी गठबंधन पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं, और ऐसी स्थिति में देश के गृहमंत्री अमित शाह ने अहमदाबाद में एनसीपी प्रमुख शरद पवार और प्रफुल्ल पटेल के साथ हुई बैठक की ख़बरों को खारिज न कर शिवसेना को एक तगड़ा झटका दे दिया है। अमित शाह का कहना है कि कुछ बातें मीडिया में नहीं आनी चाहिए, और उनका ये वक्तव्य इस बात का संकेत देता है कि महाराष्ट्र में संभवत बीजेपी एनसीपी के साथ सरकार बना सकती है, क्योंकि एनसीपी और शिवसेना के बीच पिछले कुछ वक्त से नाराजगी बढ़ती ही जा रही है।
सचिन वाझे केस को लेकर महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी सरकार के बीच फूट की स्थितियां पैदा हो गई हैं। शिवसेना एनसीपी कोटे से गृहमंत्री बने अनिल देशमुख पर हमलावर है, तो वहीं एनसीपी इस मुद्दे पर शिवसेना को सोच समझकर बयान देने की सलाह दे रही है। सियासत की इस गर्माहट के बीच नया भूचाल देश के गृहमंत्री और बीजेपी के चाणक्य अमित शाह लेकर आए हैं, क्योंकि खबरें हैं कि उन्होंने शनिवार को एनसीपी प्रमुख शरद पवार और नेता प्रफुल्ल पटेल से अहमदाबाद के एक मशहूर बिजनेसमैन के घर पर लंबी मुलाकात की थी, लेकिन वो इस मुद्दे पर सार्वजानिक तौर पर कुछ बोल नहीं रहे हैं।
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दरअसल, ख़बरें थी कि अमित शाह अहमदाबाद के दौरे पर थे और इस दौरान एक बिजनेसमैन के घर पर शरद पवार और प्रफुल्ल पटेल से उन्होंने मुलाकात की है। इस मुद्दे पर जब पश्चिम बंगाल के चुनाव के प्रथम चरण के मतदान की समाप्ति पर अमित शाह प्रेस वार्ता कर रहे थे तो उनसे इस मुलाकात से जुड़ा सवाल पूछा गया, जिस पर उन्होंने बिना कुछ बोले हजारों कयासों को हवा दे दी है। उन्होंने कहा, ”सब कुछ सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है।” अमित शाह ने तो ये बात मुस्कुराते हुए कही, लेकिन इसके काफी गहन विश्लेषण किए जा रहे हैं।
शाह और पवार की इस मुलाकात के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं होने लगी हैं कि क्या बीजेपी शरद पवार की पार्टी एनसीपी के साथ गठबंधन कर सकती है? पिछले साल भर के रवैए को देखते हुए कहें तो कुछ भी संभव है। जबसे महाराष्ट्र में ये सरकार बनी है तब से ही इसका नाता विवादों से रहा है। कोरोनावायरस को रोकने में विफल उद्धव सरकार की नाकामी एनसीपी के हिस्से भी आ रही है। ऐसे में उद्धव अब पुनः लॉकडाउन लगाने की बात कर रहे हैं जबकि एनसीपी इस कदम का विरोध कर रही है। वहीं इस गठबंधन की फूट का एक बड़ा कारण केवल सचिन वाझे केस भी है।
बता दें कि सचिन वाझे केस को लेकर महाराष्ट्र के गृहमंत्री और एनसीपी प्रमुख शरद पवार के वफादार नेता अनिल देशमुख पर मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर ने वाझे से वसूली करवाने के आरोप लगाए थे, जिसके बाद शिवसेना अपनी छवि सुधारने के लिए अपने मुखपत्र ‘सामना’ के जरिए अनिल देशमुख पर हमला कर रही है, जबकि इस मुद्दे पर शरद पवार देशमुख के बचाव में खड़े हैं। वहीं राज्य के डिप्टी सीएम और एनसीपी नेता अजित पवार ने भी देशमुख का बचाव किया हैं। साफ है कि महाराष्ट्र सरकार के बीच कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। अभी हाल ही में शिवसेना के नेता संजय राउत ने पल्ला झाड़ते हुए साफ़ किया है कि वो कभी नहीं चाहते थे कि वाझे को दोबारा फोर्स में शामिल किया जाये, और इसके बारे में उन्होंने पहले ही पार्टी को Warning भी दी थी।
इन परिस्थितियों के बीच शरद पवार और प्रफुल्ल पटेल का अमित शाह के साथ बैठक करना और फिर अमित शाह द्वारा बैठक की बातों को न स्वीकार करना और न ही इंकार करना, दिखाता है कि देश के सबसे बड़े सूबे की महाराष्ट्र की बदतर होती स्थिति को ध्यान में रखते हुए बीजेपी अपनी धुर विरोधी राजनीतिक पार्टी से भी हाथ मिला सकती है, जिसका मुख्य मकसद महाराष्ट्र का हित होगा। महाराष्ट्र देश का सबसे अमीर राज्य है और ऐसे में राजनीतिक इच्छाशक्ति के चलते ही इस राज्य को कोरोना के चंगुल से बाहर निकाला जा सकता है।
एनसीपी प्रमुख शरद पवार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच सहज रिश्ते और नतीजे आने के बाद अजित पवार का बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस के साथ आनन-फानन में सरकार बनाना इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है कि महाराष्ट्र की राजनीति में जल्द बड़ा बदलाव हो सकता जिसकी पपटकथा बीजेपी और एनसीपी साझा तौर पर लिख सकते हैं।