चीनी कम्युनिस्ट पार्टी जानती है कि हॉलीवुड किस हद तक चीन के बॉक्स ऑफिस पर निर्भर है। यही कारण है कि हॉलीवुड से आने वाली हर फिल्म को ध्यान देना होता है कि वह कहीं CCP विरोधी न हो। अब CCP अपने इसी प्रभाव का उपयोग कर हॉन्गकॉन्ग पर आधारित एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म “Do not Split” के ऑस्कर प्रसारण को सेंसर कर रहा है जो एक तरह से हॉलीवुड को धमकी है कि वह इस फिल्म को ऑस्कर न दे।
रिपोर्ट के अनुसार बीजिंग के मीडिया नियामकों ने स्थानीय समाचार आउटलेट्स को ऑस्कर समारोह के लाइव कवरेज को प्रसारित नहीं करने और घटना के समग्र कवरेज को कम करने का आदेश दिया है।
ऑस्कर के इस बहिष्कार, एक शॉर्ट डॉक्यूमेंट्री “Do not Split” के नामांकन की प्रतिक्रिया के रूप में समझा जा रहा है, जो कि हांगकांग में वर्ष 2019 के लोकतंत्र समर्थक विरोध प्रदर्शन पर आधारित है। यही नहीं चीनी फिल्म निर्माता Chloé Zhao जिन्हें नोमैडलैंड के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक श्रेणी में नामित किया गया है, उनके द्वारा अतीत में दिए गए बयान भी चीन के लिए चिंता का कारण है।
इस फिल्म में हांगकांग से प्रत्यर्पण कानून को हटाये जाने के बाद बढ़ी शारीरिक हिंसा में वृद्धि और लोकतंत्र विरोधी शिविर पर हमलों को दिखाया गया है। इसके बाद तो चीन ने जून 2020 में नया राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लगा दिया था जिसकी विश्व भर में आलोचना हुई थी। यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और मीडिया के अधिकारों के हनन को भी दिखाता है।
फिल्म को सेंसर करने के लिए ऑर्डर दिया जाना और ऑस्कर जीतने वाली फिल्म के एक कार्यक्रम के ऊपर खतरे का संकेत यह दर्शाता है कि CCP कितनी असहिष्णु है तथा चीन और पूर्व ब्रिटिश उपनिवेश हांगकांग में मनोरंजन, संस्कृति और कला के लगभग हर पहलू को कैसे राजनीति तय करती है।
बता दें कि चीन के पास अब दुनिया का सबसे बड़ा फिल्म बॉक्स ऑफिस है। आर्टिज़न गेटवे के आंकड़ों के अनुसार, 2020 में चीन में फिल्म टिकट से आने वाला राजस्व 1.988 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जो उत्तरी अमेरिका में 1.937 बिलियन डॉलर से अधिक है।
इस साल के अंत तक यह और अधिक बढ़ने वाला है। मोशन पिक्चर उद्योग की स्थापना के बाद से यह आंकड़े एक ऐतिहासिक बदलाव को दर्शाते हैं। अब तक उत्तरी अमेरिका दुनिया भर में बॉक्स ऑफिस का केंद्र रहा है।
चीनी बॉक्स ऑफिस पर हॉलीवुड की निर्भरता को देखते हुए, हॉलीवुड लगातार यह कोशिश करता है कि चीन के कम्युनिस्ट शासन की भावनाओं को ठेस न पहुँचाया जाये।
हालांकि अमेरिका में फिल्म उद्योग पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की आलोचना करने में नहीं चूका, या फिर अन्य देशों में विरोध प्रदर्शन के साथ-साथ LGBTQ + की जागरूकता बढ़ाने के लिए फिल्म बना चुका है परन्तु जब बात चीनी कम्युनिस्ट पार्टी और बीजिंग में तानाशाह सरकार की तो हॉलीवुड की सांसे फुल जाती है।
तथ्य यह है कि कम्युनिस्ट चीन के अपने अल्पसंख्यकों के अत्याचार को लेकर हॉलीवुड एक बार भी आलोचना नहीं कर पाया है चाहे वो उइगर मुस्लिम हों यह तिब्बती।
वॉल्ट डिज़्नी स्टूडियोज़, जो कि उन प्रोडक्शन हाउसों में से एक है, जो चीन से कुल आय का एक बड़ा हिस्सा कमाते हैं, उसने CCP को खुश करने के लिए Liu Yifei की मुख्य भूमिका में ‘मुलान’ नामक एक फिल्म बनाई। यह ‘मुलान’ 1998 की एक हिट फिल्म का रीमेक थी जो चीनी लोकगीतों पर आधारित थी और इसने चीनी व्यवस्था तथा चीनी मूल्यों को दिखाया था। डिज़्नी ने फिल्म में 200 मिलियन डॉलर लगाए और कम से कम 1 बिलियन डॉलर कमाने की उम्मीद की थी।
परन्तु इस फिल्म के कारण तब भारी विवाद हो गया जब इस फिल्म को शिनजियांग में फिल्माया जाने के कारण क्रेडिट में, डिज्नी स्टूडियो ने शिनजियांग सरकार को शूटिंग करने की अनुमति देने के लिए धन्यवाद दे दिया। चीनी सरकार को यह पसंद नहीं आया क्योंकि शिनजियांग वही क्षेत्र है जहाँ उइगर मुस्लिमों को प्रताड़ित किया जाता है।
इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस कदर चीन ने हॉलीवुड को जकड रखा है। Do Not Split कोई पहला उदहारण नहीं है जिसे चीनी दबाव को झेलना पड़ा है। अब जिस तरह से दिन प्रतिदिन चीनी प्रभाव बढ़ता जा रहा है उसे देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि अब चीन तथा CCP के एजेंडे के खिलाफ फिल्म ही नहीं बनाया जायेगा।