कोरोना के बाद ऑस्ट्रेलिया और चीन के द्विपक्षीय रिश्तों में भारी तनाव देखने को मिला है, जिसका असर दोनों देशों के आर्थिक रिश्तों पर भी देखने को मिला है। वर्ष 2018-19 में ऑस्ट्रेलिया के कुल exports का करीब 33 प्रतिशत हिस्सा अकेले चीन ने ही आयात किया था, लेकिन वर्ष 2020 में चीन ने ऑस्ट्रेलिया से आयात होने वाले Cotton, Red Meat, शराब, Lobsters, Timber और कोयले पर या तो प्रतिबंध लगा दिया या फिर इन चीजों पर अत्यधिक आयात कर लागू कर दिया। पिछले वर्ष मई में चीन ने ऑस्ट्रेलिया से आयात होने वाले Barley पर भी करीब 80 प्रतिशत की import duty लगाने का ऐलान किया था। अब खबर आई है कि सऊदी अरब ऑस्ट्रेलिया से भर-भरके Barley आयात कर रहा है, जिसने ऑस्ट्रेलियाई barley exporters को बड़ी राहत पहुंचाई है।
दरअसल, इस वित्तीय वर्ष चीन में खाद्यान की भारी कमी के चलते यह कम्युनिस्ट देश दुनिया की बाकी जगहों से बड़ी मात्रा में खाद्यान आयात कर रहा है, जिसके कारण बाकी खाद्यान आयातकों को दूसरे विकल्पों पर विचार कर रहा है। इसी कारणवश वैश्विक बाज़ार में कॉर्न की कमी के चलते सऊदी अरब अब ऑस्ट्रेलियाई barley की तरफ रुख कर रहा है। सऊदी अरब में Barley भेड़, बकरियों और ऊंटों को चारे के रूप में खिलाने के काम में लायी जाती है। सऊदी अरब के इस कदम से ऑस्ट्रेलियाई barley निर्यातकों को बड़ी राहत पहुंची है। पिछले वर्ष तक ये सभी निर्यातक चीन को ही अपना उत्पादन export करते थे, अब सऊदी अरब इनका नया ग्राहक है।
चीन ने पिछले वित्तीय वर्ष में ऑस्ट्रेलिया से 2.5 मिलियन टन Barley का आयात किया था, वहीं वर्ष 2016-17 में यह आंकड़ा 5.9 मिलियन टन था। आंकड़ों से पता चलता है कि चीन ने वर्ष 2018-19 में भी कुल ऑस्ट्रेलियाई barley के आधे से अधिक का एक्सपोर्ट किया था। इसलिए चीन का 80 प्रतिशत इम्पोर्ट ड्यूटी बढ़ाने से ऑस्ट्रेलिया के सामने एक बड़ी समस्या खड़ी हो गयी थी। हालांकि, ऑस्ट्रेलिया के लिए यह समस्या चीन पर से अपनी अत्यधिक निर्भरता कम करने के एक अवसर के रूप में आई जिसे ऑस्ट्रेलिया ने भुनाया है। अब ना सिर्फ ऑस्ट्रेलिया को नए बाज़ार मिल रहे हैं बल्कि उसकी कम्युनिस्ट चीन पर से निर्भरता भी कम हो रही है।
Business times की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले कुछ हफ्तों के अंदर ही ऑस्ट्रेलियाई Barley exporters को सऊदी अरब में 6 लाख 60 हज़ार टन barley निर्यात करने का ठेका मिला है। इसके कारण सऊदी के पारंपरिक खाद्यान निर्यातकों को नुकसान उठाना पड़ा है, लेकिन ऑस्ट्रेलिया के लिए बड़ी आर्थिक विजय है।
इससे पहले जब मई में चीन ने ऑस्ट्रेलिया के Barley पर प्रतिबंध लगाया था तो भारत भी ऑस्ट्रेलिया की सहायता के लिए आगे आया था। मई में ऑस्ट्रेलियाई मीडिया में रिपोर्ट किया गया था कि भारत जल्द ही ऑस्ट्रेलिया से 5 लाख टन barley का आयात कर सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि पिछले वर्ष फरवरी में ही भारत ने barley को उगाने में इस्तेमाल होने वाले phosphine नाम के पेस्टिसाइड से उगाये गए barley के आयात को भी मंजूरी दे दी थी। इससे पहले भारत में phosphine से उपजे barley के आयात पर प्रतिबंध था और ऑस्ट्रेलिया में इसी पेस्टिसाइड का इस्तेमाल किया जाता है। अब जब सऊदी अरब ऑस्ट्रेलिया से Barley आयात कर रहा है तो इससे ऑस्ट्रेलिया को अपनी सप्लाई चेन चाइना-फ्री करने में और अधिक आसानी होगी।