जब चीनी जनरलों को लगने लगा कि भारत-अमेरिका से युद्ध टाला नहीं जा सकता तो पेपर ड्रैगन ने तेज की अपनी तैयारी!

एक साथ दो बड़ी शक्तियों से युद्ध की तैयारी में कागज़ी ड्रैगन!

Democratic 2020 U.S. presidential nominee Joe Biden speaks at his election rally, after the news media announced that Biden has won the 2020 U.S. presidential election over President Donald Trump, in Wilmington, Delaware, U.S., November 7, 2020. REUTERS/Jim Bourg

चीन युद्ध की तैयारी कर रहा है और उसके जनरल चाहते हैं चीन अपना बजट और बढ़ाये। इसका कारण कुछ और नहीं बल्कि भारत है। चीन के कुछ जनरलों को यह लगता है कि भारत के साथ बॉर्डर विवाद युद्ध में बदल सकता है जिसके लिए चीन को तैयार रहना होगा।

यही नहीं चीन को अमेरिका के साथ भी टकराव की उम्मीद है जिसके लिए वह अपने सैन्य खर्च को बढ़ाने की सोच रहा है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार चीन के शीर्ष जनरलों ने यह बात कही। यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि इन बयान से चीन ने यह भी स्वीकार किया कि दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच टकराव से चीन को खतरा है।

राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नेतृत्व वाले Central Military Commission के दो जनरलों ने बीजिंग में वार्षिक सत्र के दौरान भारत और अमेरिका के साथ संभावित युद्ध पर टिप्पणी की।

सीएमसी के वाइस चेयरमैन Xu Qiliang जो कि चीन के शीर्ष वर्दीधारी अधिकारी हैं उन्होंने कहा कि देश को एक उभरती शक्ति और एक स्थापित शक्ति के बीच अपरिहार्य संघर्ष यानी “Thucydides trap” को स्वीकार करने की जरूरत है। यानी उनके कहने का अर्थ यह था कि चीन जो कि उभरती ताकत है उसे पहले से स्थापित ताकत यानी अमेरिका के साथ अवश्यंभावी युद्ध के लिए तैयार रहना होगा।

Xu ने शुक्रवार को कहा, “Thucydides trap” और सीमा विवाद का सामना करते हुए, सेना को अपनी क्षमताओं में सुधार के लिए प्रयास करने चाहिए। सबसे महत्वपूर्ण बात आंतरिक एकता और सामंजस्य क्षमताओं में सुधार करना है। यदि आप मजबूत हैं, तो आपके पास दीर्घकालिक स्थिरता, साथ ही साथ अजेयता भी होगी।”

यानी एक तरफ तो ये “Thucydides trap” के माध्यम से अमेरिका की ओर इशारा कर रहे हैं तो वहीं बॉर्डर विवाद से उनका इशारा भारत की तरफ है।

चीन के सामने अभी सबसे बड़ी चुनौती भारत ही है जिसने उसे कई मौकों पर चोट दी है और चीन तिलमिलाया हुआ है।

बता दें कि चीन ने पिछले सप्ताह ही अपने रक्षा बजट को बढ़ा कर पहली बार 200 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक कर दिया था। चीन द्वारा अपने रक्षा बजट में लगातार छठे वर्ष वृद्धि दर्ज की गयी है। इस वर्ष यह बढ़त 6. 8 प्रतिशत के साथ रही जबकि पिछले वर्ष यह बढ़त 6.6 प्रतिशत रही थी। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, इस साल का रक्षा खर्च करीब 1. 35 ट्रिलियन युआन यानी लगभग 209 बिलियन अमरीकी डॉलर होगा।

यहाँ यह भी ध्यान देना आवश्यक है कि पूर्व राष्ट्रपति डॉनाल्ड ट्रम्प के रहते विवादों के बढ़ने के बाद चीन सत्ता परिवर्तन के बाद भी अमेरिका के साथ टकराव के बढ़ते जोखिम को स्वीकार कर रहा है।

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा पिछले सप्ताह जारी एक राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति डॉक्यूमेंट में ट्रम्प के चीन को “रणनीतिक प्रतियोगी” के पदनाम की पुष्टि की गई थी। यानी बाइडन भी चीन को strategic competitor ही मानते हैं। यह रणनीति बीजिंग के खिलाफ समान दृष्टिकोण के लिए “समान विचार वाले देशों” के साथ काम करने और अमेरिकी सेना का उपयोग करने पर जोर देना चाहती है। इसका अर्थ यह हुआ कि बाइडन भी अब चीन के खिलाफ ढिलाई नहीं बरतने जा रहे हैं। यह किसी और कारण से नहीं बल्कि QUAD देशों के बढ़ते दबाव के कारण है।

वहीँ चीन का भारत के लिए भी बजट बढ़ाने और अपनी सैन्य शक्ति को बढ़ाने पर जोर देना दिखाता है कि गलवान घाटी की घटना के बाद चीन भारत से डरा हुआ है और वह भारत को एक उभरती ताकत के रूप में भी स्वीकार कर रहा है। यही कारण है कि वह अपनी सैन्य शक्ति को और बढ़ाने की बात कर रहा है। अब यह देखना है कि भारत और अमेरिका चीन के इस कदम पर किस तरह से प्रतिक्रिया देते हैं ।

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