CVoter सर्वे के अनुसार ममता सत्ता में बनी रहेंगी, Ananda Bazaar Patrika से नहीं जुड़ा होता तो इसे सच माना जा सकता था

एबीपी

पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव को लेकर चुनावों का ऐलान हो चुका है। इसके साथ ही अलग-अलग चैनलों और मीडिया संस्थानों के ओपिनियन पोल्स भी सामने आ रहे हैं, और ज्यादातर में बीजेपी को ही बहुमत मिलता दिखाई दे रहा है। लेकिन अब एबीपी-सीवोटर के सर्वे में इन चुनावों को लेकर भी एक नए राजनीतिक ट्विस्ट की संभावनाएं जताईं  हैं क्योंकि इसका कहना है कि बीजेपी को करीब 103-105 सीटें ही आएंगी। एबीपी ने ऐसा क्यों कहा उसके पीछे भी एक वजह है जो कि उसके पक्षपात का पर्याय है, इसलिए इस सर्वे पर विश्वास करना बेवकूफी भी हो सकता है।

दरअसल, एबीपी और C-वोटर ने साथ मिलकर एक ओपिनयिन पोल किया है और इस ओपिनियन पोल के अनुसार पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी को 294 में से 154 से 164 सीटें मिल सकती हैं। वहीं इस चुनाव में एड़ी-चोटी का जोर लगाने वाली बीजेपी मात्र 102 से 112 सीटें ही मिल सकती हैं। इस सर्वे के मुताबिक राज्य में कांग्रेस और लेफ्ट के गठबंधन को 22 से 30 सीटें ही मिल सकती हैं जो कि कोई आश्चर्य की नई बात नहीं है।

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इस पूरे सर्वे में आश्चर्य की बात तो केवल इतनी ही है कि राज्य में बीजेपी को 102-112 सीटें ही क्यों मिल रही हैं। इससे पहले भी जितने सर्वे हुए हैं सभी में बीजेपी को ममता के बराबर सीटें मिलते दिखाया जा रहा है। ऐसे में अब ये सवाल उठता है कि क्या ये  सर्वे तटस्थता के साथ किया भी गया है? एबीपी ग्रुप मूल रूप से आनंद बाजार पत्रिका के अंतर्गत आता है और यहीं से सारा शक शुरु होता है।

बंगाल के सर्वाधिक लोकप्रिय अखबार और पत्रिका यानी आनंद बाजार पत्रिका के पत्रकारों का संबंध ममता बनर्जी से काफी अच्छे रहे हैं। एबीपी ग्रुप जहां मोदी सरकार की नीतियों की सराहना करता रहा है लेकिन आनंद बाजार पत्रिका मोदी विरोध का एक पर्याय है। ऐसे में इस सर्वे पर संदेह है क्योंकि आनंद बाजार पत्रिका के पत्रकार कभी नहीं चाहेगें कि बंगाल की राजनीति में बीजेपी का जनाधार बढ़े।

ऐसे में अब ये लोग बीजेपी के लिए इस तरह के सर्वे के जरिए एक नकारात्मक माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं। दूसरी ओर पिछले कई ओपिनियन पोल्स की बात करें तो सी-वोटर के सभी पोल्स विफल ही हुए हैं। वो जो कुछ भी भविष्यवाणी करते हैं, परिणाम उसके उलट आते रहे हैं। ऐसे में एबीपी सी-वोटर के इस सर्वे पर विश्वास कर लेना धोखा खाने जैसा भी हो सकता है।

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दूसरी ओर अगर बीजेपी के चुनावी अभियान पर नजर डालें तो जिस तरह से बंगाल में टीएमसी नेता बीजेपी की ओर जा रहे हैं, वो साफ इशारा कर रहा है कि राज्य में बीजेपी ममता के किले को विधानसभा चुनावों के दौरान पूर्णतः भेद देगी। इस स्थिति में ममता के साथ ही उनके अंतर्गत लाभ लेने वालों को भी नुकसान ही होगा। ममता की इसी हार को देखते हुए ममता का मुखपत्र आनंद बाजार पत्रिका समूह ममता की पार्टी टीएमसी के एक बार फिर जीतने के संकेत दे रहा है।

इस बात में कोई शक नहीं रह गया है कि एबीपी के अंतर्गत आने वाले आनंद बाजार पत्रिका का समूह चुनाव के पहले ओपिनियन पोल्स के जरिए बंगाल में बीजेपी के लिए सकारात्मक माहौल बनाने की कोशिश कर रहा है।

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