पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ जो दुर्घटना नंदीग्राम में हुई उसको लेकर ममता ने राजनीतिक सहानुभूति के लिए भावनात्मक कार्ड खेला था, उसकी पोल तो उस घटना के दौरान मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों ने ही खोल दी थी; लेकिन अब चुनाव आयोग भी ममता के दावों को नकारते हुए उन पर हमले की बात से इंकार कर चुका है। वहीं सुरक्षा में लगी सेंध को लेकर आयोग ने उनके सिक्योरिटी समिति के डायरेक्टर और मिदनापुर के डीएम को हटा दिया है जो कि ममता के लिए काफी बड़ा झटका है।
पश्चिम बंगाल के मिदनापुर में नंदीग्राम विधानसभा सीट के लिए चुनाव प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ एक हादसा हुआ जिसमें उनके पैर में चोट आ गई थी। इसके बाद बंगाल की राजनीति में एक उफान आ गया था। इस मसले पर चुनाव आयोग पूरे एक्शन में है। बंगाल के मुख्य सचिव से हादसे की रिपोर्ट मांगने से लेकर इस मुद्दे पर विस्तृत जांच की बात करना आयोग की संवेदनशीलता को दिखाता है, और इसीलिए अब आयोग ने बंगाल के अधिकारियों पर सख्त एक्शन लिया है।
चुनाव आयोग ने ममता के साथ हुई घटना के बाद ईस्ट मिदनापुर के जिलाधिकारी विभु गोयल का तबादला कर उनका एक गैर-चुनावी क्षेत्र में ट्रांसफर कर दिया गया है। आयोग ने खाली हुए पद पर 2005 बैच की आईएएस अधिकारी स्मिता पांडे को जिम्मेदारी दे दी है। केवल इतना ही नहीं आयोग ने ममता बनर्जी के सिक्योरिटी डायरेक्टर को भी उनके पद से हटा दिया है जो आयोग की सख्ती को जाहिर कर रहा है। ये सारे फैसले ऐसे वक्त में लिए गए हैं जब सुरक्षा इंतजाम को लेकर आयोग की बैठक हाल ही में हुई थी।
अपनी कार्रवाई में आयोग ने ईस्ट मिदनापुर के एसपी प्रवीण प्रकाश को भी सस्पेंड कर दिया है। ममता के साथ हुई इस घटना को लेकर चुनाव आयोग की तरफ से साफ कहा गया है कि उनके ऊपर किसी ने कोई हमला नहीं हुआ था, बल्कि आयोग ने ये माना है कि ममता की सुरक्षा को लेकर काफी झोल थे। आयोग ने सभी अधिकरियों को आदेश दिए हैं कि पंद्रह दिनों के अंदर इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं।
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चुनाव आयोग ने इस मामले की रिपोर्ट में ये तक कहा है कि ममता बनर्जी अपनी ही सुरक्षा के प्रोटोकॉल के नियमों का पालन नहीं करती हैं और बुलेटप्रूफ गाड़ी में नहीं बैठती हैं। ऐसे में ममता के लिए चुनाव आयोग का ये बयान उनकी मुश्किलों में बढ़ोतरी ही करेगा। चुनाव आयोग के अभी तक की रिपोर्ट में आए बयानों के बाद ममता के दावों की पोल खुल गई हैं।
अपनी लापरवाहियों के कारण हुए हादसों के लिए ममता ने बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया और ये तक कहा कि बीजेपी के लोगों ने ही उन पर हमला किया है। ममता ने इस मसले पर राजनीतिक माइलेज लेने की कोशिश भी की थी, लेकिन अब ममता के लिए ही आयोग की रिपोर्ट ने मुसीबत खड़ी कर दी है और अब ये मुद्दा उन्हें ही इन विधानसभा चुनावों में भारी पड़ने वाला है।