ममता के यू-टर्न के बाद भी रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं है चुनाव आयोग, ममता बनर्जी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं

ममता दीदी कैसा लग रहा फंसाने की बजाय फंसकर!

लगता है ममता बनर्जी की मुसीबतें अभी खत्म नहीं हुई हैं। नंदीग्राम की घटना को लेकर जो रिपोर्ट सत्ताधारी बंगाल सरकार द्वारा सबमिट की गई, उससे चुनाव आयोग पूरी तरह नाखुश है, और दोबारा से पूरी रिपोर्ट की जानकारी मांगी है, जिसमें घटना से जुड़े सभी पक्ष मौजूद होने चाहिए। 

चुनाव आयोग के समक्ष बंगाल सरकार के मुख्य सचिव ने हाल ही में रिपोर्ट सबमिट की, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर पूरी घटना का ब्योरा दिया है। चुनाव आयोग को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर 10 मार्च को नंदीग्राम में हुए कथित हमले को लेकर बंगाल सरकार की रिपोर्ट मिल गई है। हालांकि, आयोग ने इसे अधूरी करार देते हुए मुख्य सचिव अलापन बंदोपाध्याय से और विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा है।

अधिकारी ने कहा, “पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट अधूरी प्रतीत होती है और इसमें घटना के बारे में विस्तृत विवरण नहीं है, जैसे घटना किस तरह हुई और इसके पीछे कौन हो सकता है? हमने राज्य प्रशासन से और विवरण मांगा किया है। शुक्रवार की शाम को प्राप्त हुई इस रिपोर्ट में मौके पर भारी भीड़ होने का जिक्र किया गया है लेकिन उन चार-पांच लोगों का कोई उल्लेख नहीं है, जिन पर ममता बनर्जी ने हमले का आरोप लगाया है”।

बता दें कि 10 मार्च को नंदीग्राम में महाशिवरात्रि से पूर्व रैली के दौरान ममता बनर्जी का कथित तौर पर एक्सीडेंट हुआ था, जिसमें ममता को काफी चोटें आई थी। परंतु वामपंथियों से लेकर स्वयं ममता और उनकी पार्टी वालों ने जानबूझकर आरोप लगाया कि यह हमला भाजपा के इशारे पर हुआ है।  हालांकि, पहले इस आरोप के पक्ष में कोई ठोस प्रमाण न मिलने और फिर महज 48 घंटों में ममता के पैर से प्लास्टर हटने के कारण अब ममता पर शक गहराने लगा है। ऊपर से पहले ही स्थानीय लोगों और फिर बंगाल पुलिस द्वारा हमले की बात से मुकरने पर अब ममता बनर्जी ही बैकफुट पर दिखाई दे रही हैं। 

इसके अलावा बंगाल सरकार की ओर से दाखिल रिपोर्ट में ये भी सामने आया कि नंदीग्राम में बुधवार की शाम को तृणमूल कांग्रेस नेता पर हुए कथित हमले का स्पष्ट वीडियो फुटेज नहीं है। जिला प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मीडिया को बताया कि इलाके में एक दुकान में सीसीटीवी लगा था, लेकिन वह काम नहीं कर रहा था। स्थानीय लोगों, प्रत्यक्षदर्शियों की मिली-जुली राय आई है। इसलिए किसी निष्कर्ष पर पहुंचना संभव नहीं है। घटना के बाद चुनाव आयेाग ने राज्य के मुख्य सचिव और राज्य के लिए नियुक्त दो पर्यवेक्षकों से एक रिपोर्ट मांगी थी, जिन्होंने किसी भी हमले का अंदेशा पूर्णतया खारिज किया है। 

तो फिर चुनाव आयोग ने दोबारा से सरकार से रिपोर्ट क्यों रिपोर्ट मांगी है? चुनाव आयोग को इतना तो स्पष्ट दिख रहा है कि इस घटना से भाजपा का दूर दूर तक कोई नाता नहीं है। लेकिन वह ये भी मानने को तैयार है कि ममता बनर्जी एक दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना का शिकार हुई थीं, क्योंकि 48 घंटों से भी कम समय में प्लास्टर फिल्मों में ही हटता है, रियल लाइफ में नहीं। कहीं न कहीं चुनाव आयोग को संदेह है कि यह दुर्घटना स्वयं ममता बनर्जी की उपज थी, और इसीलिए वह इस मामले की पूरी तह तक जाना चाहता है, ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके।  

 

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