बिजली सेवाएँ पसंद न आने पर कंपनी तो बदल लेंगे, पर option क्या है ?

बिजली सेवा में portability एक idea अच्छा है, लेकिन इस क्षेत्र में प्रतिद्वंधियों की कमी है

अगर कोई व्यक्ति अपने टेलीकॉम प्रोवाइडर के नेटवर्क सर्विस से नाखुश होता है तो उसके पास MNP यानी मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी नामक एक ऐसा हथियार है जिससे वह बिना नंबर बदले सर्विस प्रोवाइडर कंपनी को बदल सकता है। अब ऐसा ही कुछ बिजली के क्षेत्र में होने जा रहा है। अगर आप बिजली सेवाएं देने वाली मौजूदा कंपनी से खुश नहीं हैं, तो सरकार अब ऐसी व्यवस्था लाने जा रही है जिसके माध्यम से जनता के पास ये अधिकार होगा कि आप पुरानी कंपनी को छोड़कर दूसरी मनचाही बिजली कंपनी को पावर सप्लाई के लिए चुन सकेंगे।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मोदी सरकार संसद के मौजूदा सत्र में Electricity Amendment Bill 2021 पेश कर सकती है। बता दें कि इसी वर्ष जनवरी में Electricity Amendment Bill 2021 का एक प्रस्ताव कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा गया था। रिपोर्ट्स के अनुसार यह दावा किया गया है कि यह प्रस्तावित कानून विधेयक संसद के मौजूदा सत्र में मोदी सरकार द्वारा पेश किया जा सकता है।

अगर मोदी सरकार इस बिल को पारित करवाने में सफल रहती है तो यह बिजली डिस्ट्रीब्यूशन के क्षेत्र में एक बड़ा रिफॉर्म होगा। इस रिफॉर्म से उपभोक्ताओं को एक बड़ी ताकत ही नहीं मिलेगी बल्कि इस क्षेत्र में कार्य कुशलता भी बढ़ेगी। हालांकि एक समस्या अवश्य होगी कि अभी इस क्षेत्र में उतने प्राइवेट प्लेयर नहीं है जिससे प्रतिस्पर्धा में कमी देखने को मिल सकती है। परंतु समय के साथ जैसे टेलीकॉम क्षेत्र में BSNL के बाद कई बड़े प्राइवेट प्लेयर ने निवेश किया, वैसे ही उम्मीद है कि इस क्षेत्र में भी निवेश करेंगे जिससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।

इस बिल के आने के बाद लाइसेंस लेने की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी जिससे निजी कंपनियों के लिए बिजली वितरण के क्षेत्र में आने का मार्ग खुल जाएगा और इससे प्रतिस्पर्धा को भी बल मिलेगा।

अगर देखा जाए तो इसका सीधा लाभ बिजली उपभोक्ताओं को होगा। न सिर्फ बिजली सेक्टर की कार्य कुशलता बढ़ेगी बल्कि उनके पास चुनने के लिए कई सर्विस प्रोवाइडर्स होंगे। आज के समय में कुछ सरकारी और कुछ निजी कंपनियों का ही पावर डिस्ट्रीब्यूशन के क्षेत्र में वर्चस्व है।

किसी भी क्षेत्र के बिजली उपभोक्ताओं के पास भी उनके क्षेत्र में सर्विस दे रही किसी एक कंपनी से सर्विस लेने के अलावा दूसरा विकल्प नहीं होता है।

प्रस्तावित विधेयक के पारित होने के बाद मौजूदा वितरण कंपनियां तो अपनी सेवाएं जारी रखेंगी ही, साथ ही साथ इस क्षेत्र में दूसरी बिजली वितरण कंपनियां भी पावर सप्लाई का बिजनेस कर सकेंगी। ऐसे में उपभोक्ताओं के पास कई सारी बिजली कंपनियों में से चुनाव करने का विकल्प होगा।

पावर डिस्ट्रीब्यूशन सर्विस के क्षेत्र में उतरने वाली कंपनियों को केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित शर्तों का पालन करना होगा। Zee News की रिपोर्ट के अनुसार बिजली वितरण शुरू करने से पहले खुद को एक नियामक कमीशन के साथ रजिस्टर्ड करना होगा। इस कमीशन को भी कंपनी को 60 दिन के अंदर रजिस्टर्ड करना होगा। अगर कंपनी की तरफ से शर्तों का पालन नहीं होता है, या वह योग्यताओं पर खरी नहीं उतरती है तो कमीशन उस कंपनी के रजिस्ट्रेशन को रद्द भी कर सकता है।

इस बिल के आने से सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले पर भी प्रभाव पड़ेगा जिसमें यह कहा गया है कि विद्युत नियामक आयोग में कानून में अनुभव और योग्यता के साथ एक सदस्य होना चाहिए। इसके अलावा, विधेयक से क्षेत्रीय ग्रिडों का एकीकरण का सपना भी पूरा होगा।

Electricity Amendment Bill 2021 में कुछ अन्य प्रस्ताव अधिनियम के तहत कानून न मानने के अपराध के लिए उच्च दंड भी हैं।

यानी कुल मिला कर देखा जाए तो ये उपभोक्ताओं के लिए एक बेहतरीन खबर है। कई सर्विस प्रोवाइडर होने को स्थिति में सबसे अधिक फायदा उपभोगताओं का ही होता है।

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