किसान आंदोलन के अब 106 दिन हो चुके हैं, लेकिन आंदोलन थमने का नाम नहीं ले रहा है। पहले लाखों की तादाद में किसान भारत की राजधानी दिल्ली के बॉर्डर पर कब्जा जमाकर बैठे थे, और अब वो एक कदम आगे बढ़कर बॉर्डर पर ही अपना पक्का मकान बनाने की तैयारी में जुट चुके हैं।
अबतक किसान जहां पर अपना टेंट लगाकर रह रहे थे ,अब उसी जगह पर अपना पक्का घर बनाने की तैयारी में जोरदार तरीके से लगे हुए हैं। किसानों ने सिंघू बॉर्डर के पास ही अपने लिए घर बनाने के लिए ईंट ओर पंजाब से मिस्त्री को भी बुलवा लिया है।
कमलजीत सिंह, जो कि संयुक्त किसान मोर्चा के मीडिया प्रभारी हैं, उनका कहना है कि “बीते शुक्रवार को किसानों के नेताओं ने पंजाब की सभा मे यह निर्णय लिया है कि सिंघू बॉर्डर पर घर बनाने के लिए अनुमती दे दी जाये। पहले चरण में चार घर बनाने के बात कही गई है जो कि दो मंज़िला होंगे उसके बाद से और घर बनाए जाएंगे”।
ऊन्होंने आगे कहा “किसान आंदोलन इतना लंबा चलने की वजह से घर बनाने के बात की जा रही है, अभी किसान अस्थाई टेंट मे गुज़ारा करते थे, लेकिन और लंबे समय के आंदोलन की तैयारी के लिए स्थायी निवास होना चाहिए।”
नकली किसानों का यह कदम पूरी तरह गैर कानूनी है, और यह दर्शाता है कि किसान प्रदर्शन अब कृषि कानूनों के विरोध से ज़्यादा ज़मीन कब्ज़ाने और मोदी सरकार के खिलाफ अभियान चलाने पर ही केन्द्रित है।
किसान प्रदर्शन गरीबों के नाम पर शुरू ज़रूर हुआ था, लेकिन शुरू से ही इस प्रदर्शन में कई बड़े विरोधाभास देखने को मिल चुके हैं। प्रदर्शन करने की जगह पर जिम, फूट मसाजर का उपलब्ध कराना हो या फिर “गरीब” किसानों का पिज़्ज़ा मांगकर खाना हो, स्पष्ट हो चुका है कि कैसे गरीब किसानों के कंधों पर बंदूक रखकर शुरू से ही अमीर किसानों और बिचौलियों ने अपनी रोटी सेंकने की कोशिश की है। अब ज़मीन कब्ज़ाने के नए उद्देश्य ने इन सब नकली किसानों को और ज़्यादा एक्सपोज़ कर दिया है।