असम में मुफ़्त की राजनीति, बंगाल में उसी से दूरी – क्या काँग्रेस असम के लोगों का मज़ाक उड़ा रही?

पश्चिम बंगाल समेत देश के पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपना घोषणापत्र जारी करना शुरु कर दिया है। ज्यादातर पार्टियों ने अपने घोषणापत्रों में  मुफ्त की चीजें देना का वादा किया है, लेकिन कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल और असम को लेकर जो घोषणापत्र जारी किया है उसमें काफी भिन्नता है। असम में जहां कांग्रेस ने सत्ता में आने पर मुफ्त की की योजनाएं चलाने की बात कही है तो दूसरी ओर उन्होंने इस बंगाल में ऐसा कोई ऐलान नहीं किया। वहीं जब इस मुद्दे पर सवाल किया गया तो कांग्रेस ने कहा कि कांग्रेस मुफ्त की चीजें देने की राजनीति नहीं करती है। ये  आश्चर्यजनक बात है क्योंकि यही कांग्रेस असम में मुफ्त की योजनाओं की बाढ़ लाने की तैयारी कर रही है।

हाल ही में असम के विधानसभा चुनावों को लेकर कांग्रेस ने अपना घोषणापत्र जारी कर दिया है। इस घोषणापत्र के अनुसार असम में कांग्रेस 5 लाख लोगों को रोजगार देगी और चाय श्रमिकों को दैनिक मजदूरी में बढ़ोतरी करने के साथ ही राज्य में 200 यूनिट तक मुख्य  बिजली भी उपलब्ध कराएगी। कांग्रेस का कहना है कि वो असम के चहुंमुखी विकास के लिए पूर्णतः प्रतिबद्ध है, लेकिन  यही घोषणा पत्र जब बंगाल  की ओर आता है तो पार्टी की प्राथमिकताएं बदल जाती हैं क्योंकि बंगाल में कांग्रेस ने किसी भी मुफ्त की योजना का कोई ऐलान नहीं किया है, बल्कि विकास, वृद्धि और प्रगति की बात की है।

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असम में मुफ्त योजनाएं लेकिन पश्चिम बंगाल में ऐसा कुछ नहीं,  क्यों?  इस मुद्दे पर जब बंगाल चुनावों में कांग्रेस के लिए मुख्य भूमिका निभा रहे लोकसभा सांसद अधीर रंजन चौधरी से जब सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि वो मुफ्त में चीजों को बांटने की राजनीति नहीं करते हैं। वहीं कांग्रेस के घोषणापत्र में भी इसी बात का उल्लेख है। इस घोषणापत्र में लिखा है, “कांग्रेस मुफ्त की चीजों को बांटने में यकीन नहीं रखती है, बल्कि वो पश्चिम बंगाल के चौतरफा विकास के लिए प्रतिबद्ध है।”

इस मुद्दे पर अधीर ने कहा, “बंगाल ने बीसी रॉय के कार्यकाल में काफी प्रगति की थी और वह राज्य में कई भारी उद्योग लेकर आए थे। पार्टी ने आठ मुद्दों को रेखांकित किया है, जिनका वह सत्ता में आने पर निदान करेगी। कांग्रेस अगर सरकार बनाती है तो वह राज्य की कानून एवं व्यवस्था, महिलाओं की , सामाजिक सुरक्षा, सुरक्षा, औद्योगीकरण और रोजगार सृजन को तरजीह देगी।

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साफ है कि कांग्रेस खुद असमंजस की स्थिति में आ गई है और अपने दो राज्यों के अलग-अलग घोषणापत्रों को लेकर घिर गई है। कांग्रेस नेता ने अपने बयान के जरिए ही अपनी फजीहत करवा ली है।  अधीर रंजन चौधरी का ये बयान  इस बात का संदेश भी देता है कि असम के लोगों को मुफ्त की चीजों की ज्यादा जरूरत है, जबकि बंगाल के लोगों की नहीं। अपने बयान में सांकेतिक रुप से ही अधीर ने जाने- अनजाने में असम की जनता का ही अपमान कर दिया है जो कि कांग्रेस को अब विधानसभा चुनावों में नुकसान पहुंचा सकता है।

कांग्रेस की स्थिति पहले से ही असम में काफी खराब हो चुकी है, उसके अपने ही नेता पार्टी छोड़ रहे हैं। ऐसे में ये कहा जा सकता है कि घोषणापत्र के जरिए कांग्रेस ने अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली है जो कि असम में कांग्रेस के राजनीतिक पतन की  वजह बनेगी।

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