Amazon और Flipkart के बढ़ते “एकाधिकार” को खत्म करने के लिए सरकार उठाने जा रही है ये कदम

भारतीय बिजनेस को मिलेगा 'Boost'

भारत में बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों के बढ़ते “डिजिटल एकाधिकार” को रोकने और भारतीय बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए सरकार तैयारी कर रही है Amazon और फ्लिप्कार्ट जैसी कंपनियों द्वारा लोकल बिजनेस को तबाह करने से रोकने के लिए मोदी सरकार एक ई-कॉमर्स नियम बना रही है जिससे न सिर्फ स्थानीय स्टार्टअप्स को सहायता मिलेगी बल्कि ये कम्पनियाँ अपनी लागत बढ़ा कर Amazon.com Inc और Walmart की फ्लिप्कार्ट जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों पर विस्तार कर सकेंगी।

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार ईकॉमर्स पॉलिसी नामक यह ड्राफ्ट नियम ऑनलाइन खुदरा विक्रेताओं के लिए एक आचार संहिता तैयार करने और यूजर के डेटा का cross-border flow परिभाषित करने का प्रयास करेगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा ये नियम छोटे खुदरा विक्रेताओं की शिकायतों के कारण लाया जा रहा है। बता दें कि भारत में अनुमानित 1 ट्रिलियन डॉलर का रिटेल बाजार है जिसमें अब अमेज़न और वॉलमार्ट के स्वामित्व वाले फ्लिपकार्ट का प्रभुत्व बढ़ता जा रहा है। इस प्रभुत्व के कारण छोटे स्टार्ट अप्स को न सिर्फ ऊपर उठने में परेशानी हो रही है बल्कि उनका बिजनेस भी तबाह हो रहा है। यही कारण है कि इन बड़ी ई-कॉमर्स के प्रभुत्व को कम करने के लिए नियम तैयार किए गए हैं।

इन प्रस्तावों में उन कानूनों को लाया गया है जो इन दोनों अमेरिकी कंपनियों को भारी छूट देने से रोकते हैं, तथा इन कंपनियों को उनके पसंदीदा विक्रेताओं के साथ विशेष डील करने से भी रोकते हैं। यानि अगर Amazon किसी खास विक्रेता के साथ डील कर लेता है तो बार-बार उसे ही प्रोमोट करता है जिसके कारण अन्य विक्रेताओं को एक लेवल प्लेयिंग फिल्ड नहीं मिल पाती है। अब नए नियमों के बाद ऐसा नहीं होगा। यही नहीं यह कानून Amazon और फ्लिपकार्ट जैसी कम्पनियों को उन व्यापारियों में निवेश करने से रोकेगा जो किसी उत्पाद को अपनी वेबसाइट पर बेचते है।

नोट में कहा गया है कि नई व्यापक ई-कॉमर्स नीति विकास को संबोधित करेगी और “प्रचलित बाजार विकृतियों को कम करने” का लक्ष्य रखेगी।
शनिवार को एक बैठक में विभिन्न मंत्रालयों के अधिकारियों द्वारा इस नौ पन्नों के डॉक्यूमेंट पर चर्चा की गयी जिसे भारत के वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने उद्योग और आंतरिक व्यापार को बढ़ावा देने के लिए बुलाया था।

इस प्रस्तावित नियमों में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि ई-रिटेलरों द्वारा बनाए गए एल्गोरिदम विक्रेताओं के साथ भेदभाव न करे। इस नियम के अनुसार अमेजन और वॉलमार्ट सहित कंपनियों के सहयोगी भी इन्हीं ई-कॉमर्स नियमों द्वारा रेगुलेट होंगे।
ड्राफ्ट में बताया गया है कि इन्टरनेट के भारी उपयोग से इस क्षेत्र का तेजी से विकास हुआ है जिसके कारण कई नियामक चुनौतियां खड़ी हो गयी हैं जैसे विक्रेताओं के लिए “खेल के मैदान को एक स्तर का बनाए रखना जिससे सभी को बराबरी का मौका मिले, एकाधिकार की प्रवृत्ति से प्रभावित होना तथा जनता के सामने मुक्त विकल्प देना और छोटे खुदरा व्यापारी सेगमेंट के लिए व्यापार का नुकसान।”

ई-कॉमर्स नीति का यह ड्राफ्ट सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में एक साल से अधिक समय से चर्चा में है। सरकार यह भी सुनिश्चित करना चाहती है कि भारत से निकलने वाला डेटा पहले स्थानीय संस्थाओं या विक्रेताओं या रिटेलर्स के लिए हो। जिन सुरक्षा उपायों पर विचार किया जा रहा है, उसमें से भारतीय उपयोगकर्ताओं के डेटा की cross-border flow को नियंत्रित और ऑडिट करना भी हैं। नोट के अनुसार, “सुरक्षा उपायों के उल्लंघन को गंभीरता से लिया जाएगा और इसके लिए भारी दंड भी हो सकता है।”

यानि स्पष्ट है कि सरकार अब देशी स्टार्ट अप्स को अधिक मौका देने के लिए यह नियम ला रही है जिससे न सिर्फ छोटे विक्रेताओं को फायदा होगा बल्कि यूजर्स को भी अधिक विकल्प मिलेंगे। आज मोबाइल और इन्टरनेट एक आवश्यकता है और इसके बगैर जीवन की कल्पना करना नामुमकिन है। इसी लिए अब सरकार यह कोशिश कर रही है कि छोटे व्यापारी या विक्रेता भी अपनी उपस्थिति इन्टरनेट पर बढ़ाएं जिससे उनके लिए एक नया द्वार खुले तथा Amazon और फ्लिप्कार्ट जैसी कंपनियों का एकाधिकार समाप्त हो।

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