मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमवीर सिंह ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे अपने पत्र में उनके ही गृहमंत्री और एनसीपी नेता अनिल देशमुख पर आरोप लगाए हैं कि वो सचिन वाझे के जरिए महाराष्ट्र में उगाही का काम करते थे। इन आरोपों को अब ऑल इंडिया होटल एसोसिएशन ने सही ठहराया है।
इस मुद्दे पर एसोसिशन की बातों को मिड डे ने भी अपनी रिपोर्ट में बताया है कि वाझे ने कुछ महीने पहले ही कई होटलों से वसूली की थी। इतना ही नहीं ये रिपोर्ट ये भी बताती है कि वाझे को देशमुख की तरफ से मिलने वाले आदेशों के दो महीने पहले ही उसने वसूली करना शुरु कर दिया था।
इस पूरे मुद्दे पर सामने आया है कि वसूली करने की ये पूरी प्रक्रिया काफी सटीक तरीके से काम करती थी, जिसे तीन श्रेणियों A,B और C में बांट रखा था, जिसके अंतर्गत अलग-अलग श्रेणी के होटल, बार और रेस्टोरेंट्स में बांटा गया था। इस मुद्दे पर एक बार के मालिक ने मिड डे को बताया, “A वर्ग के बारों से प्रतिमाह दो लाख, B से डेढ़ लाख और C से प्रतिमाह एक लाख रुपए वसूले जाते थे, और वाझे को कैश का पैसा गिनने के लिए मशीन की सबसे ज्यादा जरूरत पड़ती थी।”
ये बेहद ही गौर करने वाली बात है कि केन्द्रीय जांच एजेंसी एनआईए को सचिन वाझे की लग्जरी कार मर्सडीज़ से करीब 5 लाख रुपए कैश और पैसे गिनने वाली मशीन मिली थी। खबरों के मुताबिक जैसे ही लॉकडाउन के बाद व्यापार सामान्य स्थिति में आने लगा था, तो वैसे ही सचिन वाझे द्वारा हफ्ता वसूली का गोरखधंधा अलग-अलग होटलों रेस्टोरेंटों और बार के जरिए फिर से शुरु हो गया था।
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ऐसे ही एक होटल के मैनेजर ने बताया कि वाझे क्रॉवफोर्ड मार्केट के पास बने पुलिस कमिश्नर के ऑफिस के परिसर में ही अपनी वसूली की दुकान खोल के बैठता था और यहां रेस्टोरेंट के मालिकों को बुलाकर उन्हे प्रति माह एक निश्चित मात्रा में पैसा हफ्ते के रूप में देने के लिए मजबूर करता था। वहीं इस मसले पर होटल एसोसिएशन के एक सीनियर सदस्य ने बताया कि बोरीवली, घाटकोपर और वर्ली के होटल्स और बार्स के मालिक आस पास के अन्य होटलों से वाझे के लिए वसूली करते थे।
बांद्रा के एक होटल के मालिक ने बताया कि उन्हें वाझे ने एसएसबी रेड के नाम पर खूब प्रताड़ित किया था। ये तब हुआ था, जब लॉकडाउन के बाद बिजनेस धीरे-धीरे पटरी पर आने लगा था। उन्होंने कहा कि इस बात पर विश्वास करना मुश्किल है कि महाराष्ट्र पुलिस का एक अधिकारी इस हद तक भ्रष्टाचारी हो सकता है। ये कोई एक मामला नहीं हैं, इसी तरह एसएसबी की रेड के नाम पर वाझे सभी को डराता था। एसएसबी होटलों और बार पर रेड मारकर उन्हें वाझे की बात मानने का दबाव बनाती थी क्योंकि वाझे इसका नेतृत्व करता था।
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इस पूरे मामले को लेकर कहा जा सकता है कि परमवीर सिंह ने सचिन वाझे और अनिल देशमुख पर जो आरोप लगाएं हैं उनकी तस्दीक होटल एसोसिएशन की तरफ से की जा रही है जो कि महाराष्ट्र सरकार के लिए बेहद भारी पड़ने वाला है।