Amazon भारत की सुस्त न्यायपालिका का फायदा उठाकर Jio को अपना प्रतिद्वंधी बनने से रोक रहा है

भारतीय ई-कॉमर्स कंपनियों के हाल बेहाल करने में, न्यायपालिका भी जिम्मेदार है

भारतीय ई-कॉमर्स मार्केट में Amazon का काफी दबदबा है लेकिन भारतीय कंपनी रिलायंस भी अब इस मार्केट में धीरे-धीरे अपने पांव पसारने की स्थिति में आ गई है, और इसके चलते कंपनी ने मुंबई की बड़ी सप्लाई चेन कंपनी फ्यूचर ग्रुप से 3.4 बिलियन की एक डील की थी। ऐसे में भारत में अपने व्यापार पर  खतरा देख Amazon ने फ्यूचर ग्रुप के साथ की रिलायंस की इस डील को गलत घोषित करते हुए पहले दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया और वहां से मुंह की खाने के बाद अब Amazon सुप्रीम कोर्ट जा चुका है। Amazon का ये रवैया दिखाता है कि वो भारतीय न्यायपालिका के ढुलमुल रवैए का फायदा उठाकर केस को फंसे रहने देना चाहती है जिसमें सीधा नुकसान रिलायंस और उसके कर्ता-धार्ता मुकेश अंबानी का है।

Amazon को वैश्विक स्तर पर ई-कॉमर्स का जायंट माना जाता है और भारत में व्यापार को लेकर उसके प्रमुख जेफ बेजोस की महत्वकांक्षाएं किसी से छिपी नहीं हैं। दूसरी ओर रिलायंस अपने जियो मार्ट प्लेटफॉर्म के जरिए देश में Amazon का विकल्प बन कर उभर रहा है और उसने रिटेल सप्लाई चेन कंपनी फ्यूचर ग्रुप के साथ अगस्त 2020 में 3.4 बिलियन का एक करार किया था। ऐसे में Amazon अब रिलायंस को अपने व्यापार के लिए खतरे के रूप में देख रहा है।

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Amazon अब अदालतों में इस केस को फंसाकर रिलायंस के कार्यों में रुकावट डालने की प्लानिंग कर चुका है। फ्यूचर ग्रुप के साथ रिलायंस की डील को लेकर Amazon का दावा है कि फ्यूचर ग्रुप का पहले ही उससे करार है और वो रिलायंस के साथ करार नहीं कर सकती। इस मुद्दे पर दिल्ली हाईकोर्ट में जब केस गया तो अदालत ने Amazon को ही झटका दे दिया। अपने आदेश में कोर्ट ने कहा, “इस मामले को रिगुलेटर्स को ही सुलझाना चाहिए और वो इस मामले में फ्यूचर ग्रुप की आपत्तियों पर कानून के हिसाब से फैसला लें।”

रिलायंस और फ्यूचर ग्रुप की डील को लेकर आए हाईकोर्ट के फैसले के बाद Amazon को झटका लगा था लेकिन अब Amazon के कारण ये मामला हाईकोर्ट में जा चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने Amazon रिलायंस की इस लड़ाई  में रिलायंस और फ्यूचर ग्रुप की डील पर स्टे लगा दिया है। इस स्टे के साथ ही अब ये मामला कोर्ट में लंबित है। जाहिर है कि अब जब तक ये मामला हल नहीं होता, तब तक फ्यूचर ग्रुप और रिलायंस के बीच व्यापार स्थापित नहीं हो सकता है, जिसमें सीधा नुकसान मुकेश अंबानी और उनकी कंपनी रिलायंस का हो रहा है।

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इस पूरे वाकए पर नजर डालें तो ये कहा जा सकता है कि Amazon इस केस को फंसाने की कोशिश कर रहा है। सर्वविदित है कि भारतीय अदालतों में केसों के लंबित होने के बड़े-बड़े रिकॉर्ड हैं और Amazon भारतीय न्यायपालिका के इसी ढुलमुल रवैए का फायदा उठाते हुए रिलायंस को अधर में फंसा कर रखना चाहता है। Amazon इसी नीति का फायदा उठाकर रिलायंस के व्यापार को बढ़ने से रोक रहा है। दिलचस्प बात ये है कि  रिलायंस की तरफ से कोर्ट में केस वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे लड़ रहे हैं। वहीं Amazon का पक्ष हाईकोर्ट में कांग्रेस नेता और अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम ने रखा था।

भारत में रिलायंस का कारोबार तेजी से आगे बढ़ रहा है, जियो मार्ट के जरिए देश में वो ई-कॉमर्स का एक स्वेदेशी विकल्प लेकर सामने आई है और ये Amazon के लिए सबसे बड़ा खतरा है। Amazon जानता है कि अगर रिलायंस की ई-कॉमर्स कंपनी का जादू चल गया तो उसके हाथों से दुनिया का सबसे बड़ा ई-कॉमर्स मार्केट छिन जाएगा।

यही कारण है कि Amazon , फ्यूचर ग्रुप पर अपना अधिकार जताकर रिलायंस के साथ उसकी डील को फंसा रहा है, और इसमें उसे अधिक सहजता भारत की न्यायपालिका की लेट-लतीफी और ढुलमुल रवैए के कारण मिल रही है। हालांकि ये रिलायंस के ई-कॉमर्स व्यापार पर बुरा अस डाल रही है।

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