“भारत अमेरिका के Indo-Pacific प्लान के केंद्र में है” बाइडन प्रशासन ने चीन को साफ शब्दों में बता दिया

भारत का समर्थन चाहता है अमेरिका

जब से जो बाइडन ने अमेरिका के राष्ट्रपति का पद संभाला है, उनके प्रशासन की विदेश नीति को लेकर अलग-अलग कयास लगाए जा रहे थे। कुछ विशेषज्ञों का मानना था कि बाइडन का भारत के प्रति रवैया ज्यादा सकारात्मक नहीं होगा। ऐसा अनुमान बाइडन के पुराने कार्यकाल से लगाया जा रहा था, जब वो ओबामा प्रशासन में उपराष्ट्रपति थे। वर्तमान में बाइडन प्रशासन के भारत के प्रति नीति को देखकर विशेषज्ञ भी चौक गए हैं। US-China अलास्का मीटिंग के दौरान अमेरिका ने भारत को बेहद करीबी माना था, यह सुनकर चीन तिलमिला गया था।

अगर हम विस्तार में बताएं तो, हाल ही में हुए US-China अलास्का मीटिंग में बाइडन प्रशासन और चीन के बीच में दरार साफ नज़र आई। अलास्का मीटिंग में चीन ने अमेरिका पर कई बेबुनियाद आरोप लगाए हैं। चीन ने यहां तक कह डाला कि अमेरिका अपने यहां काले लोगों के समुदाय का नरसंहार करता है। मीटिंग में जब भारत की बात उठी तो अमेरिका ने भारत का समर्थन करते हुए कहा भारत अमेरिका का बेहद ज़रूरी strategic पार्टनर है। यह बात सुनकर चीन और बौखला गया।

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The Hindu में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, जब अमेरिका का भारत के प्रति रुख सामने आया तो चीन के बड़े राजनयिक Yang Jiechi और Foreign Minister Wang Yi नाराज़ दिखाई दिए। इसका कारण है कि बाइडन को आए हुए सिर्फ दो महीने ही हुए हैं और भारत के प्रति उनका व्यवहार चीन के लिए चिंता का कारण बन चुका है।

भारत और अमेरिका के बीच तेजी से बढ़ती हुई साझेदारी का सबसे बड़ा उदाहरण 12 मार्च को हुई Virtual Quad Summit है। Quad Summit में भारत समेत जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका ने हिस्सा लिया था। Quad का मुख्य लक्ष्य ही चीन की विस्तारवादी नीति को रोकना है। बाइडन ने आते ही Quad को केवल हरी झंडी नहीं दिखाई बल्कि इस समिट में भारत के साथ बढ़ चढ़कर हिस्सा भी लिया।

इस Summit के एक हफ्ते बाद ही बाइडन प्रशासन की ओर से डिफेंस सेक्रेटरी Llyod Austin पहली विदेश यात्रा में भारत आए थे। Austin का भारत आना यह संदेश देता है कि भारत अमेरिका के लिए कितना जरूरी है अथवा भारत के सहयोग के बिना अमेरिका चीन पर कभी अंकुश नहीं लगा सकता। यह बात अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भली भांति जानते थे, इसीलिए वह भारत को अपना क़रीबी मानते थे। इस बात को अब बाइडन प्रशासन भी अच्छी तरह से समझ चुका है।

बीते गुरुवार को चीनी मिलिट्री ने Quad को शीत-युद्ध वाली सोच बताकर अपना प्रतिक्रिया ज़ाहिर की थी। साथ ही Quad के लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठराया था। चीन ने यह भी कहा था कि Quad बस एक बहाना है, जिससे अमेरिका भारतीय महासागर पर अपना नज़र बनाए रख सके।

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चीन के वरिष्ठ Colonel और रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता Ren Guoqiang ने कहा, “शांति, विकास और सहयोग की मांग करना समय की प्रवृत्ति है। जो भी समय की चाल के खिलाफ जाता है और अपने स्वार्थ को संतुष्ट करता है। वह असामयिक, अलोकप्रिय होता है और असफलता के लिए बर्बाद होता है। चीन ने हमेशा विश्व को शांति का निर्माता, वैश्विक विकास में योगदानकर्ता और अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था का रक्षक होने पर जोर दिया है। हम संयुक्त राज्य से अमेरिका को अपनी जिम्मेदारियां लेने के लिए आग्रह करते है।”

20 जनवरी को जब बाइडन ने राष्ट्रपति पद संभाला, तो यह अनुमान लगाया जा रहा था कि बाइडन चीन के प्रति नरमी से पेश आएंगे। वहीं भारत के खिलाफ सख्त नज़र आ सकते हैं। इसके पीछे का कारण बाइडन का इतिहास बताया जा रहा था। बाइडन का भारत के प्रति सकारात्मक रुख यह संकेत देता है कि आज भारत काफी मजबूत स्थिति में है। अगर अमेरिका को चीन का सामना करना है, तो भारत के सहयोग के बिना संभव नहीं है।

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