भारत मध्य एशिया के जरिये अपने International North South Transport Corridor को विकसित कर मुंबई से मॉस्को के बीच एक सीधा व्यापारिक रूट विकसित करना चाहता है। इसी कड़ी में अब भारत सरकार ने ईरान में स्थित चाबहार पोर्ट को INSTC से जोड़ने का प्रस्ताव रखा है। 12 देशों के साथ मिलकर विकसित किए जा रहे INSTC के पूरा होने के बाद ना सिर्फ भारत और रूस के बीच व्यापार सुगम हो सकेगा बल्कि इसके साथ ही मध्य एशिया और यूरेशियन देशों के बीच आपसी जुड़ाव भी मजबूत होगा। इसके साथ ही क्षेत्र में चीन के BRI प्रोजेक्ट को भी बड़ी चुनौती मिलेगी।
वर्ष 2016 में अफगानिस्तान तक पहुँच बनाने के लिए भारत ने ईरान और अफगानिस्तान के साथ मिलकर चाबहार पोर्ट को विकसित करने का ऐलान किया था। हालांकि, उसके बाद से भारत ने चाबहार के जरिये मध्य एशिया और अब रूस तक पहुँच बनाने का भी लक्ष्य रखा है। अब भारत अपने International North South Transport Corridor को भी चाबहार के जरिये ही विकसित करना चाहता है। गुरुवार को भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चाबहार पोर्ट को INSTC में शामिल करने के प्रस्ताव को आगे बढ़ाते हुए कहा “मुझे उम्मीद है कि INSTC समन्वय परिषद की बैठक के दौरान सदस्य राष्ट्र चाबहार पोर्ट को शामिल करने के लिए INSTC रूट के विस्तार पर सहमत होंगे और इस परियोजना की सदस्यता के विस्तार पर भी सहमत होंगे।”
गुरुवार को Indian Maritime Summit के दौरान “चाबहार डे” के कार्यक्रम में अफगानिस्तान, आर्मीनिया, ईरान, कजाकिस्तान, रूसी संघ और उज्बेकिस्तान के मंत्रियों ने भाग लिया। असल में भारत के साथ रूस भी भारत के INSTC कार्यक्रम में अपनी सक्रिय भूमिका निभा रहा है। रूस अपने नेतृत्व वाले Eurasian Economic Union (EAEU) में भारत को शामिल होने का न्यौता दे चुका है। आज रूस के अलावा अर्मेनिया, बेलारूस, कज़ाकिस्तान और किर्गिस्तान इसके सदस्य हैं जबकि Moldova, क्यूबा और उज्बेकिस्तान इसके observer members हैं। ऐसे में अगर भारत EAEU का सदस्य बनता है तो भारत इन देशों को भी INSTC में शामिल कर सकता है। EAEU के देशों में बढ़ते चीनी प्रभाव के कारण रूस भी चिंतित है और ऐसे में वह भारत के साथ मिलकर यहाँ चीनी प्रभाव को कम करने पर काम कर रहा है।
ट्रम्प प्रशासन के समय अमेरिका ने ईरान पर कड़े प्रतिबंध लागू कर दिये थे, जिसके कारण भारत के चाबहार प्रोजेक्ट में देरी देखने को मिली थी। इतना ही नहीं, पिछले वर्ष ये रिपोर्ट्स भी सामने आई थीं कि ईरान ने चाबहार से जाहेदन तक रेलवे लाइन प्रोजेक्ट से भारत को बाहर कर दिया है। हालांकि, अब बाइडन के आने के बाद जिस प्रकार अमेरिका ईरान को लेकर नर्म रुख अपना रहा है, उसने भारत को ईरान में अपने प्रोजेक्ट्स में तेजी लाने का अवसर दे दिया है। पिछले वर्ष जनवरी में ही भारत ने दो 140 टन कार्गो क्रेन्स को ईरान को सौंपा था और भारत भविष्य में ऐसे ही कई और क्रेन ईरान को सौंप सकता है। चाबहार के जरिये भारत मध्य एशिया और यूरोप तक अपना प्रभाव बढ़ाना चाहता है और भारत को अब इसके लिए सही अवसर मिल चुका है।