“ये सब बीजेपी का किया धरा है” सचिन वाझे केस में फंसी उद्धव सरकार अजीबो गरीब बयान दे रही है

महाविकास अघाड़ी

महाराष्ट्र में जब से शिवसेना ने बीजेपी का साथ छोड़ा है, तब से उसके साथ होने वाले प्रत्येक विवादित मामले का ठीकरा वह बीजेपी पर ही फोड़ती है। सचिन वाझे केस में राज्य के गृहमंत्री का नाम सामने आना और महाविकास अघाड़ी सरकार की प्रतिष्ठा की मिट्टी पलीद होना मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के लिए मुश्किलों भरी बात है। इसके बावजूद शिवसेना की अकड़ नहीं गई है, क्योंकि अब शिवसेना एक बार फिर अपने कुकर्मों का ठीकरा बीजेपी पर फोड़ रही है। पार्टी का कहना है कि महाराष्ट्र की सरकार गिराने के लिए बीजेपी ने राज्य के कुछ अधिकारियों के साथ सांठ-गांठ की है। शिवसेना का ये रवैया अब बस हास्य का विषय बन कर रह गया है।

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शिवसेना की तरफ से सचिन वाझे और मनसुख हिरेन के केस में आए आधिकारिक बयान में कार्रवाई का कम और बीजेपी का उल्लेख ज्यादा है। शिवसेना का कहना है कि बीजेपी ही राज्य में महाविकास अघाड़ी सरकार को अस्थिर करने के लिए काम कर रही है, क्योंकि उसका मकसद सिर्फ और सिर्फ महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगवाना है। इसके चलते राज्य में बीजेपी ने कुछ वरिष्ठ आईएएस और पीसीएस अधिकारियों के साथ साठ-गांठ कर ली है। शिवसेना ने इस पूरे प्रकरण के लिए राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता देवेन्द्र फडणवीस को मास्टरमाइंड बताया है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में लिखा, “यह साफ है कि महाराष्ट्र की छवि धूमिल करने के षडयंत्र के पीछे भाजपा है।”

शिवसेना ने इस पूरे प्रकरण में परमवीर सिंह के पत्र पर भी सवाल खड़े किए हैं। सामना में लिखा गया, “जिन्हें परमबीर सिंह का पत्र इतना महत्वपूर्ण लग रहा है, उन्हें पुलिस अधिकारी अनूप दांगे के साथ भी न्याय करना चाहिए, जिन्होंने सिंह के बारे में लिखा था। राज्य के लोग जानते हैं कि क्यों और किसलिए भाजपा यह सब कर रही है।बीजेपी पर आरोप लगाते हुए सामना में लिखा गया, “भाजपा का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रपति शासन लागू करवाकर महाराष्ट्र में अस्थिरता पैदा करना है।” कल तक जो परमवीर सिंह शिवसेना के लिए हीरो थे, शिवसेना आज उन्हें ही विलेन बनाने पर तुली हुई है।

शिवसेना ने बीजेपी पर आरोप लगाया है कि देवेन्द्र फडणवीस ने शिवसेना और महाविकास अघाड़ी की छवि को बर्बाद करने के लिए सुबोध जायसवाल और रश्मि शुक्ला जैसे अधिकारियों के साथ साठ-गांठ की थी और ये सारा खेल केन्द्र की मोदी सरकार के अंतर्गत खेला जा रहा था।

सामना में लिखा गया, “इसका मतलब है कि राज्य प्रशासन के ये लोग एक राजनीतिक पार्टी के लिए काम कर रहे हैं। विपक्षी पार्टी (भाजपा) की महाराष्ट्र सरकार को कमजोर करने के लिए इन अधिकारियों से सांठगांठ है।” साफ है कि शिवसेना इस पूरे प्रकरण के लिए बीजेपी को निशाने पर लेकर अपनी गलतियों पर पर्दा डाल रही है।

सच कहें तो देश के सबसे अमीर बिजनेसमैन मुकेश अंबानी के घर के बाहर मिली विस्फोटक से भरी कार के मुद्दे पर मुंबई क्राइम ब्रांच के अधिकारी सचिन वाझे का गिरफ्तार होना और मुंबई के पुलिस कमिश्नर के ट्रांसफर के बाद गृहमंत्री अनिल देशमुख पर सचिन वाझे से प्रति माह 100 करोड़ रुपए की उगाही का आरोप लगाना, महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार के लिए एक बुरा धब्बा बन गया है। इस मुद्दे पर जनता से लेकर विपक्ष सभी गठबंधन सरकार की तीनों पार्टियों (कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी) से सवाल पूछ रहे हैं, लेकिन इस मुद्दे पर शिवसेना के अपने अलग ही बहाने हैं जो कि इस गंभीर मुद्दे पर भी जनता को हंसने पर मजबूर कर रहे हैं।

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महाराष्ट्र की राजनीति में चल रहे इस वसूली और भ्रष्टाचार के केस को लेकर बीजेपी सबसे ज्यादा सक्रिय रही है। पूर्व सीएम और बीजेपी के प्रमुख नेता देवेन्द्र फडण्वीस सीएम उद्धव ठाकरे पर हमला बोलते हुए प्रतिदिन महाविकास अघाड़ी सरकार की पोल खोल रहे हैं। सचिन वाझे केस की सटीक जानकारी से लेकर महाराष्ट्र सरकार का ढुलमुल रवैया जनता के सामने रखकर उन्होंने गठबंधन की तीनों पार्टियों को असहज कर दिया है।

ऐसे में शिवसेना के पास इस समय केवल तीन रास्ते हैं, या तो वो गठबंधन तोड़े या फिर अनिल देशमुख पर कार्रवाई करे, लेकिन उसके लिए ये दोनों फैसले लेना बहुत मुश्किल है, इसीलिए वह तीसरा रास्ता चुनते हुए मामले को भटकाने की तैयारी कर चुकी है।

सरकार में रहते हुए भी शिवसेना के पास अब ज्यादा विकल्प नहीं हैं, इसीलिए वह बीजेपी समेत देवेन्द्र फडण्वीस पर हमला बोलकर जनता के बीच माहौल को शिफ्ट करना चाहती है, लेकिन शिवसेना की ये नीति जनता के लिए हास्य का विषय बन गई है।

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