कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो कि अपनी विचारधारा के कारण ऐसे लोगों का समर्थन करते हैं जो कि असल में पूरी तरह फ्लॉप घोषित हो चुके हैं, इसके चलते उनसे जुड़े होने के कारण प्रतिष्ठित लोग भी अपनी विश्वसनीयता खो देते हैं। राहुल गांधी का समर्थन करने और उनके बेतुके तर्कों को सही ठहराने में कई लोगों ने अपनी विश्वसनीयता खो दी है, और इसीलिए इन्हें अब विशेषज्ञ से पहले गांधी परिवार के करीबी या चाटुकार की संज्ञा दी जाती है। राहुल का बचाव करने वालों में हालिया तौर पर कौशिक बसु हैं, वहीं इससे पहले अभिजीत बनर्जी और आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन भी राहुल समर्थक होने का ठप्पा लगवा चुके हैं।
हाल ही में अर्थशास्त्री और तथाकथित बुद्धिजीवी कौशिक बसु ने राहुल गांधी का लंबा इंटरव्यू ले डाला, जिसका मकसद राहुल की छवि को बदलने का था। इस इंटरव्यू के जरिए राहुल की छवि को सकारात्मक करने की कोशिश तो पूरी नहीं हुई, लेकिन राहुल देश के लोगों की उम्मीदों पर बिल्कुल खरे उतरे और हमेशा की तरह हंसी के पात्र बन गए क्योंकि उन्होंने अपनी ही दादी इंदिरा गाधी की सरकार के दौरान लगाए गए आपातकाल को गलत बताते हुए आज की स्थिति को उस समय से भी बदतर बता दिया।
इस मुद्दे पर बीजेपी को मौका मिल गया तो वहीं कांग्रेस समेत कौशिक बसु और सभी वामपंथी उनके बचाव में बयान देने लगे क्योंकि राहुल एक बार फिर लोगों के लिए हंसी का पात्र बनने के साथ ही देश के लोगों के बीच हास्यासपद चर्चा का विषय बन गए हैं। दिलचस्प बात ये है कि कौशिक बसु कोई अकेले ऐसे तथाकथित बुद्धिजीवी नहीं हैं, जो कि देश में आए दिन राहुल गांधी और कांग्रेस की नीतियों के बचाव में खड़े रहते हैं, ऐसे कई हैं।
हम सभी ने देखा है कि एक प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री के तौर पर कम लेकिन गांधी परिवार के वफादार होने के नाते आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों की खूब आलोचना की है। मोदी सरकार के रहते राजन जब अपने पद पर थे, तो वो कुछ कर न सके, बल्कि पद छोड़कर भगोड़े की तरह इस्तीफा दे गए, लेकिन अब आए दिन किसी न किसी मुद्दे पर राहुल को बचाने की कोशिश करते रहते हैं। लॉकडाउन के दौरान रघुराम राजन भी राहुल के साथ मिलकर मोदी सरकार को घेर रहे थे और दोनों ने अपने बातचीत के सेशन को भी लाइव किया था।
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रघुराम राजन की तरह ही एक नाम अभिषेक बनर्जी का भी है जो गांधी परिवार के काफी करीबी माने जाते हैं, प्रत्येक मुद्दे पर जो एजेंडा राहुल या कांग्रेस का होता है, ठीक वहीं अभिषेक बनर्जी का भी होता है। बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस जो न्याय स्कीम लेकर आई थी, उसकी रूप रेखा तैयार करने में अभिषेक बनर्जी ने भी कांग्रेस की मदद की थी। इसमें कोई शक नहीं है कि वो योजना विवादों से भरी हुई थी, इसके बावजूद अभिषेक बनर्जी उसे बेहतरीन बताने से तनिक भी परहेज नहीं कर रहे हैं। उन्होंने तो लॉकडाउन के दौरान ये तक कहा था कि अब सरकार को कांग्रस पार्टी की न्याय स्कीम लागू करनी चाहिए जो एक आलोचनात्मक बयान था।
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कुल मिलाकर कहें तो अभिषेक बनर्जी से लेकर रघुराम राजन तक सभी तथाकथित बुद्धिजीवी और वामपंथी लोग आए दिन किसी न किसी मुद्दे पर राहुल की छवि सुधारने की कोशिश करते हैं लेकिन उनके इस कदम से उनकी ही छवि धूमिल हो जाती है। कुछ ऐसा ही इस बार गांधी परिवार के खास माने जाने वाले कौशिक बसु के साथ भी हुआ है और उनकी इस मुद्दे पर ऐसी भद्द पिटी हैं कि उनकी छवि पहले से भी ज्यादा खराब हो गई है।