केरल Gold Scam की जांच कर रहे ED अफसरों के खिलाफ ही पुलिस ने दर्ज की शिकायत

Gold Scam की जांच करने वालों पर आंच?

केरल पुलिस ने gold scam में मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के खिलाफ साजिश करने के इल्जाम में Enforcement Directorate (ईडी) के अधिकारियों के विरुद्ध ही शिकायत दर्ज कर दी है। केरल पुलिस के अनुसार gold scam के मामले में मुख्य आरोपी स्वप्ना सुरेश से मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के खिलाफ जबरन बयान दिलवाया गया था। राज्य पुलिस का केंद्रीय जांच एजेंसी के खिलाफ ही शिकायत दर्ज करना पुलिस विभाग की ओर से एक असामान्य कदम है, लेकिन  आने वाले विधानसभा चुनाव के संदर्भ में इसे समझा जा सकता है।

FIR में कहा गया है कि ईडी के अधिकारियों ने पिछले साल 13 और 14 अगस्त को सुरेश से पूछताछ की और उसे मुख्यमंत्री के विरुद्ध बयान देने के लिए मजबूर किया गया। पुलिस द्वारा ये मामला धारा 120 बी (आपराधिक साजिश), 167 (सार्वजनिक सेवक को चोट पहुंचाने के इरादे से गलत दस्तावेज तैयार करने), 192 (झूठे सबूत गढ़ना), 195-ए (किसी भी व्यक्ति को झूठे सबूत देने की धमकी देने) के तहत दर्ज किया गया है।

बता दे कि, केरल में राज्य चुनाव होने वाला हैं और ऐसे में केरल के मुख्यमंत्री और उनके साथ केरल सरकार में बड़े अफसरों का नाम सामने आने से  मौजदा left democratic front के लिए घातक साबित हो रहा  हैं। अब केरल सरकार के पास कुछ ज्यादा विकल्प नहीं था जिससे वो खुद को निर्दोष साबित कर पाए, जिसके चलते केरल पुलिस ने असामान्य कदम उठाते हुए केंद्र जांच एजेंसी के खिलाफ FIR दर्ज किया।

राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी left democratic front की सरकार ने कहा है कि ED की जांच राजनीति से रंगी हुई है, लेकिन केरल में मुख्य विपक्ष, कांग्रेस led United democratic front ने कहा है कि पुलिस  द्वारा मामले का यह असामान्य कदम असल मुद्दो से भटकाने के उद्देश्य से लिया गया हैं।

यह मामला पिछले जुलाई में सामने आया था जब राज्य की राजधानी में यूएई के वाणिज्य दूतावास में भेजे गए सामान से 30 किलोग्राम सोना जब्त किया गया था। बाद में, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव एम शिवशंकर, एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी सहित कई लोगों को आरोपी की मदद करने के लिए गिरफ्तार किया गया व योजना के पीछे स्वप्ना सुरेश को मास्टरमाइंड करार दिया गया था।

उसके बाद नवंबर 2020 में, स्वप्ना  सुरेश का एक वीडियो क्लिप जेल से लीक किया गया था , जिसमें उसने आरोप लगाया था कि उस पर कई मंत्रियों और सीएम का नाम लेने का काफी दबाव बनाया गया था।  बाद में, दो महिला पुलिस अधिकारी, जिन्होंने उसे बचाया था, ने यह भी दावा किया कि वे ईडी के अधिकारियों के रवैया की गवाह थीं, जब सुरेश को सीएम सहित महत्वपूर्ण हस्तियों का नाम देने के लिए मजबूर कर रहे थे।

लेकिन ईडी ने इन दावों का खंडन किया हैं और मीडिया के पास भी जेल से लीक किए गए वीडियो का विश्वसनीय सबूत मौजूद नहीं हैं।

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ईडी के अधिकारी ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए हिंदुस्तान टाइम्स से कहा,”हम अपने कानूनी विकल्पों की तरफ  गौर करेंगे।  अगर जरूरत पड़ी तो हम इस तरह के कदम के खिलाफ अदालत भी जा सकते हैं”

कांग्रेस और भाजपा ने कहा कि राज्य सरकार का कदम ध्यान हटाने और मामले को कमजोर करने की मंसा है। केरल के कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मुल्लाप्पली रामचंद्रन ने कहा,“सत्तारूढ़ सीपीआई (एम) तस्करी के मामले और सबरीमाला मुद्दे में हर तरफ से घिरी हुई है। ईडी के खिलाफ FIR का मामला असल मुद्दे से भटकाने की रणनीति है।”

केरल के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेन्द्रन ने कहा, मुख्यमंत्री तस्करी मामले में नाम आने से घबराए हुए है जिसके वजह से केंद्रीय एजेंसियों के अधिकारियों को डरा रहे हैं। सुरेन्द्रन ने आगे कहा “यह पैतरा काम नहीं करेगा”

केरल राज्य में 6 अप्रैल से चुनाव होने को है और केरल की सरकार कोरोना महामारी को नियंत्रण में रखने में पूरे तरह से विफल साबित हो गई है और उसके बाद सोना तस्करी मामला अथवा सबरीमाला मामला को देखते हुए लग रहा है Left Democratic Front की सरकार चारों तरफ से घिर चुकी है। ऐसे में बौखलाहट कि वजह से केरल पुलिस को केंद्रीय एजेंसी के आधिकारियों के ऊपर सिकायत दर्ज करना, यह दर्शाता है की अब सरकार के पास और कोई दूसरा चारा नहीं बचा है।

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