महाराष्ट्र का वर्तमान प्रशासन किस हद तक गिर सकता है, ये बताने के लिए किसी विशेष शोध की आवश्यकता नहीं। पिछले वर्ष अक्टूबर में हमने देखा कि कैसे प्रशासनिक लापरवाही और अकर्मण्यता के कारण मुंबई को बिजली संकट से जूझना पड़ा था। अब महाराष्ट्र सरकार के अनुसार इस बिजली संकट में एक विदेशी साइबर का हाथ रहा है, जबकि भारत सरकार ने इस बात का स्पष्ट तौर पर खंडन किया है।
महाराष्ट्र के वर्तमान गृह मंत्री अनिल देशमुख के अनुसार 12 अक्टूबर को उत्पन्न हुए बिजली संकट के पीछे विदेशी हाथ होने का अंदेशा था। उनके अनुसार, “अक्टूबर में उत्पन्न बिजली संकट को लेकर महाराष्ट्र साइबर सेल ने एक रिपोर्ट सबमिट की है, जिसके अनुसार ऐसा अंदेशा है कि साइबर हमला हुआ था। इसकी रिपोर्ट ऊर्जा मंत्री नितिन राऊत को दे दी गई, और ये रिपोर्ट्स कल सदन में पेश होंगे”।
अनिल देशमुख ने ये भी कहा कि इस घटना का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए, लेकिन उनके खोखले दावों की धज्जियां उड़ाते हुए केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने बताया कि 12 अक्टूबर को जो हुआ, वो साइबर हमले के कारण नहीं, बल्कि, मानवीय गलती थी। आरके सिंह ने एक रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए कहा, “ऐसा कोई साक्ष्य हमें नहीं मिला है, जो ये सिद्ध कर सके कि अक्टूबर 2020 को जो बिजली संकट मुंबई पर आया, उसमें किसी विदेशी साइबर अटैक का हाथ है। कुछ कहते हैं कि इस हमले के पीछे चीनी थे, परंतु हमारे पास इसका कोई सबूत नहीं है। अगर ऐसा हुआ भी होगा, तो भी चीन स्वीकारने वाला नहीं है। एक टीम के अनुसार साइबर हमला अवश्य हुआ था, परंतु उसका मुंबई के बिजली संकट से दूर दूर तक कोई नाता नहीं था”।
दरअसल, चीनी हमले का जो उल्लेख आरके सिंह ने किया था, उसके बारे में न्यू यॉर्क टाइम्स ने अपने रिपोर्ट में बात की थी, जिनके अनुसार गलवान घाटी की हार से क्रोधित चीन भारत के बिजली सप्लाई से जुड़े डिजिटल सिस्टम को अपने नियंत्रण में लेना चाहता था।
लेकिन न्यू यॉर्क टाइम्स के रिपोर्ट में कुछ दम नहीं था, जिसके कारण किसी ने पानी भी नहीं पूछा। लेकिन यदि महाराष्ट्र प्रशासन अपनी अकर्मण्यता पर पर्दा डालने के लिए इस रिपोर्ट का सहारा ले रहा है, तो वह निस्संदेह इस सरकार की असफलता को सिद्ध करता है, और यह भारत के लिए शुभ संकेत नहीं है।