जम्मू-कश्मीर से इस्लामिस्टों का सफाया कर रही है मोदी सरकार- महबूबा बनी पहली शिकार

पीडीपी बीजेपी गठबंधन

मोदी सरकार एक एक करके कश्मीर के भ्रष्ट establishment को जड़ से उखाड़ रही है – शुरुआत महबूबा मुफ्ती से होगी।

मोदी सरकार ने जब से कश्मीर का शासन अपने हाथों में लिया है, तब से वह ये सुनिश्चित करने में लगे हुए हैं कि जिन लोगों ने धर्म के नाम पर कश्मीर घाटी को कलंकित किया था, वो फिर कभी सत्ता में वापिस न लौटने पाए। अब NIA की जांच में यह उजागर हुआ है कि बुरहान वानी को मार गिराने के बाद घाटी में जो असंतोष और उपद्रव उमड़ा था, उसे भड़काने में सत्ताधारी PDP पार्टी का बहुत बड़ा हाथ था।

NIA की जांच पड़ताल में कुछ दिनों पहले ये सामने आया था कि कैसे PDP वाले सरकारी फंड, विशेषकर स्पोर्ट्स फंड का इस्तेमाल आतंकियों और अलगाववादियों को आतंकी गतिविधियों को भड़काने के लिए देते रहते थे। अब ये सामने आया है कि यह खेल काफी पुराना है, जिसकी शुरुआत दुर्दांत आतंकी बुरहान वानी के खात्मे से हुई थी।

दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, “चार्जशीट में पीडीपी के युवा नेता वहिद-उर-रहमान पारा के हिजबुल मुजाहिदीन और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों के साथ संबंध होने का आरोप लगाने के साथ एक और बड़ा खुलासा किया है। एनआइए ने वहिद पर यह आरोप भी लगाया है कि जब वर्ष 2016 में हिजबुल मुजाहिदीन के पोस्टर बॉय बुरहान वानी को सुरक्षाबलों ने मार गिराया था तब पारा ने कट्टरपंथी हुर्रियत कांफ्रेंस के नेता सैयद अली शाह गिलानी के दामाद को 5 करोड़ रुपये कश्मीर को अशांत रखने के लिए दिए थे”।

बता दें कि वहीद पारा PDP के युवा नेता होने के साथ साथ पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की करीबी भी थी। एनआइए द्वारा दायर चार्जशीट के अनुसार, “जुलाई 2016 में जब बुरहान मारा गया उस दौरान वहीद पारा अल्ताफ अहमद शाह उर्फ ​​अल्ताफ फंटूश के संपर्क में था। उसने बुरहान की मौत को लेकर लोगों में भड़के आक्रोश को देखते हुए शाह को यह कहते हुए पांच करोड़ रूपये दिए कि घाटी में यह उबाल वह बनाए रखें। अशांति, पथराव और प्रदर्शनों का सिलसिला थमना नहीं चाहिए”।

जमानत मिलने के बाद कश्मीर में सीआइडी की काउंटर इंटेलिजेंस विंग ने पारा को एक बार फिर मुख्यधारा के राजनेताओं और अलगाववादियों के बीच सांठगांठ के मामले में गिरफ्तार कर लिया गया था। तब से वह जेल में ही हैं। श्रीनगर में एनआइए अदालत ने हाल ही में उसकी जमानत खारिज कर दी थी।

सच कहें तो केंद्र सरकार ने अपने आप में कश्मीर में अब्दुल्लाह और मुफ्ती परिवारों का वर्चस्व जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए काम शुरू कर दिया है। जिस प्रकार से रोशनी एक्ट के अंतर्गत हुए जमीन के लेनदेन को रद्द कर सभी प्लॉट वापिस लेने के लिए प्रशासन ने प्रतिबद्धता दिखाई है, उससे केंद्र सरकार ने बिना एक गोली चलाए अब्दुल्ला परिवार के काले करतूतों पर पूर्णविराम लगा दिया है। इसके अलावा अभी हाल ही में कई रोहिंग्या घुसपैठियों को जम्मू में हिरासत में लेते हुए उन्हे जेल भेजा गया है, जिन्हे महबूबा मुफ्ती के राज में पूरा संरक्षण प्राप्त था।

ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि जिस प्रकार से NIA दिन प्रतिदिन PDP की पोल खोल रहा है, उससे स्पष्ट है कि अब PDP की सत्ता वापसी लगभग असंभव होने वाली है। बुरहान वानी के नाम पर जो अशान्ति घाटी में फैलाई गई, उसके लिए महबूबा मुफ्ती या PDP के किसी भी सदस्य पर किसी भी प्रकार की कार्रवाई कम ही होगी।

 

Exit mobile version