भारत में नौकरशाही ने किस प्रकार से देश की प्रगति में अड़ंगा डाला है, यह किसी से छुपा नहीं है। लेकिन अब इनकी दादागिरी और नहीं चलेगी। हाल ही में एक अहम निर्णय में केंद्र सरकार ने तीन आईपीएस अफसरों को जबरन रिटायरमेंट दे दी है।
हाल ही में केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने एक स्पष्ट निर्णय में तीन अफसरों को समय से पूर्व सेवानिर्वृत्त किया गया है है। इनके नाम है आईजी अमिताभ ठाकुर, डीआईजी राकेश शंकर और एसपी राजेश कृष्णा।
"अमिताभ ठाकुर को लोकहित में सेवा में बनाये रखे जाने के उपयुक्त न पाते हुए लोकहित में तात्कालिक प्रभाव से सेवा पूर्ण होने से पूर्व सेवानिवृत किये जाने का निर्णय लिया गया है." pic.twitter.com/nkPFTBIuvk
— Amitabh Thakur (Azad Adhikar Sena) (@Amitabhthakur) March 23, 2021
लेकिन ऐसा निर्णय लेने के लिए केंद्र सरकार को क्यों विवश होना पड़ा? इसके पीछे सरकार ने कहा है कि तीनों को सरकारी सेवा के लिए अनुपयुक्त पाया गया है। इन तीनों आईपीएस अफसरों पर गंभीर अनियमितता के आरोप थे। अमिताभ ठाकुर (आईजी रूल्स एवं मैनुअल) के खिलाफ तमाम मामलों में जांचें चल रही थीं, जबकि राजेश कृष्ण (सेनानायक, 10 बटालियन बाराबंकी) फिलहाल डीआईजी स्थापना की पोस्ट पर थे। उनका नाम आज़मगढ़ में पुलिस भर्ती में घोटाले में आया था। इसके अलावा देवरिया शेल्टर होम प्रकरण में राकेश शंकर की भूमिका संदिग्ध मानी गई थी। दरअसल, जब अगस्त 2018 में देवरिया के एक नारी निकेतन में 20 लड़कियों के साथ यौन शोषण का मामला सामने आया, तब राकेश शंकर डीआईजी स्थापना की पोस्ट पर थे। उन्हें इस मामले में लापरवाही बरतने और अपराधियों के विरुद्ध एक्शन न लेने के चक्कर में हटाया गया था।
वास्तव में ये तीन अफसर तो शुरुआत है, क्योंकि केंद्र सरकार अब नौकरशाही में ‘स्वच्छ भारत अभियान’ शुरू करना चाहती है। इसकी ओर कुछ महीने पहले प्रधानमंत्री मोदी ने अप्रत्यक्ष रूप से संकेत भी दिए थे। चाहे वो लापरवाही हो, जिम्मेदारी सही से न निभाना हो मोदी सरकार हर तरह से सरकारी अफसरों को अनुशासन का पाठ पढ़ा रही है।
अभी हाल ही में अकर्मण्य नौकरशाही के चलते भारत के लिए हितकारी प्रोजेक्ट्स में जो विलंब हो रहा था, उसके प्रति भी पीएम मोदी बेहद क्रोधित थे। पिछले महीने इस विलंब के पीछे उन्होंने कई आईएएस अफसरों को बुरी तरह हड़काया था। इसके अलावा उसी दिन पीएम मोदी ने प्रगति मीटिंग में भी हिस्सा लिया था, जहां उन्होंने विभिन्न इन्फ्रस्ट्रक्चर परियोजनाओं की स्थिति का जायज़ा लिया था। इस दौरान उन्होंने कई विकासशील प्रोजेक्ट्स को पूरा करने में हो रही देरी को लेकर भी फटकार लगाई थी।
अब जिस प्रकार से आईपीएस अफसरों को सेवानिर्वृत्त होने पर विवश किया गया है, वो स्पष्ट करता है कि केंद्र सरकार अपनी नीतियों को लेकर कितनी प्रतिबद्ध है। इस निर्णय से केंद्र सरकार ने आलसी, अकर्मण्य बाबुओं को मानो एक स्पष्ट संदेश भेजा है – अब भी समय है, सुधर जाओ, वरना सुधारने के और भी बहुत तरीके हैं।