‘जगन्नाथ हेरिटेज कॉरिडोर प्रोजेक्ट जल्द होगा पूरा’, पश्चिम बंगाल में बीजेपी की लहर का ओडिशा पर प्रभाव

नविन पटनायक ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है!

देश में एक बार फिर से चुनावों की गर्मी बढ़ रही है। यह गर्मी अब इतनी बढ़ चुकी है कि जिन राज्यों में चुनाव होने वाले हैं, उनके अगल-बगल वाले राज्यों में भी तपिश महसूस हो रही है। जिस तरह से बीजेपी ने पश्चिम बंगाल को भगवा रंग में रंगने के लिए मेहनत की है और ममता बनर्जी को हिन्दू विरोध के मुद्दे पर घेरा है उससे अब ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को भी डर लगने लगा है। इसका प्रमाण उनके द्वारा लिए गए हालिया कदमों से स्पष्ट होता है। ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने 3200 करोड़ की जगन्नाथ हेरिटेज कॉरिडोर परियोजना को जल्द पूरा करने के लिए सदन का समर्थन प्राप्त करने के लिए राज्य विधानसभा में एक प्रस्ताव पेश किया।

यही नहीं ओडिशा की सरकार ने जगन्नाथ मंदिर के पुरी में विश्व प्रसिद्ध भगवान जगन्नाथ मंदिर से संबंधित 35 हजार एकड़ जमीन को बेचने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस कदम का मकसद 12वीं सदी के इस मंदिर के 650 करोड़ रुपये के कोष को साल 2023 तक बढ़ाकर 1,000 करोड़ रुपये करना है। रिपोर्ट के अनुसार राज्य सरकार ने मंदिर की जमीन पर अतिक्रमण करने वाले लोगों से राशि इकठ्ठा करने का फैसला किया है। यानि देखा जाये तो यह कदम धार्मिक कम राजनीतिक अधिक प्रतीत होते हैं। आज जिस तरह से बीजेपी ने ममता बनर्जी को उनके हिन्दू विरोध के मुद्दे को लेकर पश्चिम बंगाल की जनता में अपना प्रभाव बढ़ाया है उससे अब नवीन पटनायक को यह डर सता रहा है कि कहीं इसी तरह बीजेपी ओडिशा में भी उनके तख़्त को चुनौती न दे दे।

दरअसल, ओडिशा के पिपली में विधानसभा सीट पर उप-चुनाव होने वाला है और नवीन पटनायक की सरकार कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहती है। यही नहीं बीजेपी की आक्रामक चुनाव रणनीति को देखते हुए नवीन पटनायक अभी से ही अगले विधानसभा चुनाव की तैयारी करते दिखाई दे रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में ओडिशा की बीजू दल की सरकार कई हिन्दू विरोधी विवादों में फंसी भी है। वर्ष 2018 में जब इसी मंदिर के रत्न भंडार की चाबी खो गयी थी और एक नकली चाबी के सामने आने की खबर आई थी तब लोगों में सरकार के खिकफ रोष देखने को मिला था।

यही कारण है कि अब उसकी भरपाई करना चाहती है। रिपोर्ट के अनुसार जगन्नाथ मंदिर के अधिकारियों को भी सरकार द्वारा मंदिर से जुड़े जमीन को बेचने के फैसले को समर्थन प्राप्त है। अधिकारियों का कहना है कि कई भक्तों ने अंतिम इच्छा के रूप में भगवान के नाम पर भूमि दान की थी। लेकिन कई वर्षों में, लोगों ने कई क्षेत्रों में ऐसी भूमि पर अतिक्रमण किया है। जबकि भगवान जगन्नाथ के नाम पर भूमि ओडिशा के 24 जिलों में फैली हुई है, तो वहीं 395.252 एकड़ छह अन्य राज्यों में पाए गए हैं।

जगन्नाथ मंदिर के आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, 17.02 एकड़ आंध्र प्रदेश में है, जबकि 322.93 एकड़ बंगाल में और 28.218 एकड़ महाराष्ट्र में है। इसी प्रकार, 25.11 एकड़ मध्य प्रदेश में, बिहार में 0.274 एकड़ और छत्तीसगढ़ में 1.70 एकड़ में स्थित है।

मंदिर के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि, “भूमि बेची जाएगी और इससे अर्जित धन को भगवान के नाम पर एक fixed deposit में रखा जाएगा। हमने 2023 तक भगवान के नाम पर 1,000 करोड़ रुपये के लक्ष्य तक पहुंचने की योजना बनाई है।“

भगवान जगन्नाथ के नाम पर जमीन पर 30 साल, 20 साल और 12 साल से अधिक समय तक कब्जा करने वालों को क्रमशः 6 लाख, 9 लाख और 15 लाख रुपये प्रति एकड़ का भुगतान करके इसे अपने नाम पर दर्ज करने का अवसर मिलेगा।

श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंधन समिति के अध्यक्ष और पुरी राजा, गजपति दिब्या सिंह देब ने मंदिर के समग्र विकास के लिए लोगों का सहयोग मांगा है। बता दें कि ओडिशा सरकार पुरी को 3,200 करोड़ रुपये से अधिक की अनुमानित लागत पर विश्व विरासत शहर में बदलने पर काम कर रही है। ओडिशा सरकार की इस परियोजना में कई चीजों का निर्माण शामिल हैं। जिसमें मंदिर के आसपास बफर जोन बनाने और बहु-स्तरीय कार पार्किंग इंटीग्रेटेज कमान और कंट्रोल सेंटर और पार्कों का निर्माण किया जाना है।

अब यहां समझने वाली बात यह है कि नवीन पटनायक की सरकार भगवान जग्गनाथ की जमीन का इस्तेमाल अपने राजनीतिक फायदे के लिए भी कर रही है। अवश्य ही इस कदम से मंदिर और भगवान जग्गनाथ के नाम पर राशि जमा होगी लेकिन यह ऐसे समय में हो रहा है जिससे स्पष्ट ही नवीन बाबु को चुनावी फायदा होगा।

यही नहीं इसी साल फरवरी में नवीन पटनायक ने संबलपुर के मां समलेश्वरी मंदिर के विकास के लिए 200 करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा की। 2021-22 के बजट में, उनकी सरकार ने जगन्नाथ और लिंगराज मंदिर (भुवनेश्वर) के विकास के लिए 742 करोड़ रुपए के आवंटन की घोषणा की। मयूरभंज और केंद्रपाड़ा में मंदिरों के लिए भी घोषणाएं हुई हैं।

नवीन पटनायक पशिम बंगाल में भगवे के उत्थान से यह समझ चुके हैं। उन्हें यह पता है कि अगला नंबर उनका ही आने वाला है और बीजेपी के चुनावी रथ को रोकना है तो उन्हें अभी से ही मेहनत करनी होगी। उनके कदमों से अगर यह कहा जाये कि पश्चिम बंगाल में बीजेपी और हिंदुत्व की लहर वास्तविक है तो यह गलत नहीं होगा।

Exit mobile version