न्यूजीलैंड और कनाडा ने न चाहते हुए भी Xinjiang मामले में चीन के खिलाफ एक्शन का समर्थन किया है

कनाडा

कनाडा और न्यूजीलैंड, 5 Eyes समूह के ये दो देश शुरू से ही चीन के खिलाफ सख्त रुख दिखाने से घबराते आए हैं। हालांकि, अब लगता है कि बाकी 3 Eyes के दबाव में ये देश भी चीन के खिलाफ अपना मुंह खोलने पर विवश हो गए हैं। UK, अमेरिका के दबाव में जहां कनाडा ने भी उइगर मुद्दे पर चीन पर प्रतिबंधों का ऐलान कर दिया, तो वहीं New Zealand ने भी ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर एक संयुक्त बयान दिया है, जिसमें उसने चीन के शिंजियांग में मानवाधिकारों की स्थिति पर “चिंता” प्रकट की है। New Zealand की ओर से ना ही चीन के खिलाफ किन्हीं प्रतिबंधों का ऐलान किया गया है। ऐसे में ये देश बेशक बाकी देशों के दबाव में चीन के खिलाफ एक्शन लेना या बयान देने पर मजबूर हुए हों, लेकिन इनकी भाषा देखकर स्पष्ट है कि ये अब भी चीन से सीधे टकराव की स्थिति पैदा नहीं होने देना चाहते हैं।

New Zealand ने EU, अमेरिका, कनाडा और UK द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों का समर्थन करते हुए बेहद सधे शब्दों में चीन की आलोचना की है। New Zealand और ऑस्ट्रेलिया के संयुक्त बयान के मुताबिक “शिंजियांग में उइगर मुसलमानों पर हो रहे अत्याचार से जुड़ी विश्वसनीय रिपोर्ट्स के आधार पर हम चीन में मानवाधिकारों की स्थिति पर चिंता प्रकट करते हैं।” New Zealand पूर्व में चीन के साथ सीधे विवाद में कूदने से बचता रहा है, लेकिन इस बार वह New Zealand पर अन्य देशों का दबाव ही था, जिसने इसे चीन के खिलाफ बयान देने पर मजबूर कर दिया, फिर चाहे वह सख्त बयान की श्रेणी में ना आता हो!

New Zealand वही देश है जिसने जनवरी में Hong-Kong में चीनी सरकार के दमनकारी सुरक्षा कानून के खिलाफ एक भी बयान देने से साफ़ मना कर दिया था। इस वर्ष जनवरी में ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, New Zealand और अमेरिका ने चीन द्वारा Hong-Kong के 55 लोकतन्त्र समर्थकों को गिरफ्तार किए जाने के बाद चीन के खिलाफ बयान जारी किए थे। हालांकि, तब New Zealand की ओर कोई बयान जारी नहीं किया गया था।  इतना ही नहीं, इसी वर्ष जनवरी में New Zealand के वाणिज्य मंत्री Damien O’Connor ने ऑस्ट्रेलिया और चीन के बीच मध्यस्तता करने का प्रस्ताव देते हुए कहा था कि “ऑस्ट्रेलिया को चीन के साथ रिश्ते बेहतर करने के लिए New Zealand की तरह कूटनीति का रास्ता अपनाना चाहिए और चीन के साथ टकराव की स्थिति पैदा करने से बचना चाहिए।”’

दूसरी ओर, कनाडा पर भी साथी देशों के दबाव को समझा जा सकता है। यही कारण है कि अब कनाडा ने चीन पर प्रतिबंधों का ऐलान किया है। इससे पहले कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अपनी संसद में शिंजियांग में चीनी कदमों को “नरसंहार” करार देने वाले एक प्रस्ताव पर वोट देने से साफ़ मना कर दिया था और अपनी कैबिनेट के साथ वे वोटिंग प्रक्रिया में हिस्सा लेने ही नहीं पहुंचे थे। कनाडाई संसद ने एकमत फैसले से शिंजियांग में चीनी कदमों को “नरसंहार” करार दिया था। हालांकि, जस्टिन ट्रूडो इस मामले पर एकदम चुप रहे थे। हालांकि, अब उनकी सरकार द्वारा सीधे-सीधे चीन पर उसी मामले पर प्रतिबंधों का ऐलान किया गया है, जो कि बाहरी दबाव के बिना शायद ही हो पाता!

TFIpost पर हम पहले ही कनाडा और New Zealand पर चीन के प्रभाव को लेकर विस्तार में चर्चा कर चुके हैं। इन देशों में सड़क से संसद तक, Studio से लेकर Think Tanks तक, स्कूलों से लेकर विश्वविद्यालयों तक में चीन ने अपनी जड़ें मजबूत की हुई हैं। ऐसे में अब इन देशों को साथी देशों के दबाव में चीन के खिलाफ बयान देने पर मजबूर होना पड़ा है। हालांकि, इस दौरान इन देशों की कोशिश है कि कैसे भी करके चीन को उकसाने से बचा जाये!

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