नवदीप कौर: इस महिला को जेल में होना चाहिए, कारण इसकी देशविरोधी हरकतें हैं!

ये जहां रहेगी हाथापाई ही करेगी!

नोदीप कौर

नवदीप कौर याद है? हाँ वही खालिस्तानी समर्थक, जो पुलिसकर्मियों पर हमला कर रही थी। अब जमानत मिलने के बाद वे फिर अपनी पुरानी हरकतों पर उतर आई है, जिसके चलते एक कॉलेज में हाथापाई की नौबत आ गई।

लेकिन ये नवदीप कौर है कौन, और इसके दिल्ली विश्वविद्यालय में व्याख्यान देने से इतना बवाल क्यों मचा? दरअसल, नवदीप कौर हरियाणा में कृषि कानूनों के विरुद्ध उत्पन्न किसान आंदोलन में शामिल हुई और मजदूर अधिकार संगठन की ओर से सोनीपत में एक फैक्ट्री के सामने विरोध प्रदर्शन कर रही थी।

जब पुलिस ने उन्हें रोकने का प्रयास किया, तो उलटे उसने पुलिस पर ही हमला कर दिया, जिसके चलते नवदीप को हिरासत में लिया गया। लेकिन पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने नवदीप कौर के दलीलों के आधार पर उसे जमानत दे दी, और वर्तमान मामले को देखकर ऐसा लगता है कि उसने पूरे प्रकरण से कोई भी सीख नहीं ली है।

अब वास्तव में क्या हुआ, इस पर कोई भी एकमत नहीं है, परंतु सब इस बात से सहमत है कि नवदीप कौर दिल्ली विश्वविद्यालय के आर्ट्स कॉलेज में महिला दिवस के अवसर पर व्याख्यान देने आई थी। इस सम्बोधन के दौरान उसने कुछ बातें बोली, जिसके चक्कर में उसे आमंत्रित करने वाले भगत सिंह छात्र एकता मंच और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में हिंसक झड़प हो गई।

द ट्रिब्यून के अनुसार, नवदीप कौर महिला दिवस के अवसर पर विद्यार्थियों का ध्यान ‘किसान आंदोलन’ की ओर आकर्षित करना चाहती थी। लेकिन इसकी आड़ में वह दलितों पर उच्च जातियों के कथित अत्याचार, भारतीय सेना के कथित अत्याचारों के बारे में अनर्गल बातें करने लगी। जब अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और उनकी ओर से दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ में वर्तमान संयुक्त सचिव शिवांगी करवाल ने विरोध किया, तो नवदीप कौर को आमंत्रित करने वाले भगत सिंह छात्र एकता मंच ने उनपर हमला किया, जिसके चक्कर में हाथापाई शुरू हो गई, और इस धक्का मुक्की में कुछ विद्यार्थी घायल हुए, तो कुछ के कपड़े फट गए।

शिवांगी करवाल के ट्वीट के अनुसार, “दिल्ली विश्वविद्यालय में आयोजित किये गए एक देशद्रोही कार्यक्रम के अनुसार मैंने अभी दिल्ली पुलिस के सामने शिकायत दर्ज की है। इस कार्यक्रम में भारतीय सेना को बलात्कारी ठहराने का प्रयास किया जा रहा था, और अज्ञात लोगों द्वारा हाथापाई के दौरान मुझपर हमला भी किया गया”।

लेकिन नवदीप कौर का तो कुछ और ही कहना है। उनके अनुसार उसने केवल दलित महिलाओं पर हो रहे अत्याचार के विरुद्ध आवाज उठाई, जिसके चक्कर में उसे न केवल देशद्रोही बोला गया, बल्कि उसे घसीटने का भी प्रयास किया गया।

लेकिन अगर आप नवदीप कौर की दलीलों पर ध्यान दे, तो आपको स्पष्ट समझ जाएगा कि यह तो उल्टा चोर कोतवाल को डांटे वाली बात हो गई। जब अपनी गिरफ़्तारी के विरुद्ध नवदीप कौर ने जमानत याचिका दायर की, तो उसमें उसने हरियाणा पुलिस द्वारा यौन शोषण का आरोप लगाया, लेकिन वह इसके लिए कोई ठोस प्रमाण नहीं सिद्ध कर पाई। अब यह बात अलग थी कि इन्हीं खोखली दलीलों के आधार पर उसे जमानत भी मिल गई।

सच्चाई तो यह है कि जिस व्यक्ति को इस समय सलाखों के पीछे देश को अराजकता की आग में झोंकने के लिए होग चाहिए था, वह खुलेआम घूम भी रही है और युवा लोगों को भारत विरोधी अभियानों में हिस्सा लेने के लिए भी भड़का रही है, और न्यायपालिका की कृपा से प्रशासन चाहके भी कुछ नहीं कर पा रहा है।

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