स्वार्थी, बिना मास्क के, फोटो के लिए तैयार- PM मोदी के वैक्सीन लगवाने पर वामपंथियों के कमेंट अतार्किक और हास्यास्पद है!

वामपंथियों को हर चीज में परेशानी है

मोदी

इस संसार में एक प्रजाति के लोग कभी संतुष्ट नहीं रह सकते – वामपंथी। संसार में कुछ भी हो, इन लोगों को हर चीज़ में समस्या दिखती है। अब तक ये लोग भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वैक्सीन न लेने पर तंज कसे जा रहे थे, लेकिन जब उन्होंने वैक्सीन ले ली, तो उसमें भी इन्हे समस्या हो रही है।

हाल ही में भारत में वरिष्ठ नागरिकों को वैक्सीन दिए जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसके अंतर्गत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तड़के एम्स संस्थान पहुंचकर भारत बायोटेक द्वारा निर्मित COVAXIN का प्रथम डोज़ लगवाया। इसके बारे में जनता को सूचित करते हुए पीएम ट्वीट करते हैं, “एम्स में COVID 19 रोधक वैक्सीन की पहली डोज़ ली। ये हमारे लिए गर्व की बात है कि हमारे डॉक्टर और वैज्ञानिकों ने मिलकर इस महामारी के विरुद्ध चल रहे वैश्विक अभियान में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया”।

जब देश का प्रधानमंत्री किसी महामारी से लड़ने हेतु वैक्सीन का डोज़ लगवाता है, तो कहीं न कहीं मनोवैज्ञानिक रूप से देशवासियों के भीतर भी वैक्सीनेशन अभियान से जुड़ने के लिए विश्वास उत्पन्न होता है, और शायद इसी उद्देश्य से पीएम मोदी ने सही समय आने पर वैक्सीन भी लगवाया। लेकिन जिन्हे अवसर में भी समस्या ढूँढ़नी हो, उनका तो भगवान भी भला नहीं कर सकता।

पीएम मोदी को नीचा दिखाने की कोशिश में विपक्ष ने ऐसे ऐसे तर्क प्रस्तुत किये, जिनको पढ़कर या सुनकर आप अपना माथा पीट लेंगे

उदाहरण के लिए इस पत्रकार को देखिए। इनके अनुसार पीएम मोदी ने वैक्सीन नहीं लगवाई है, बल्कि आगामी विधानसभा चुनाव के लिए अपनी शैली में प्रचार किया है। इस पत्रकार संदीप सिंह के अनुसार, “नरेंद्र मोदी ने असम का गमछा पहना, पुडुचेरी और केरल की नर्सों ने उन्हे वैक्सीन लगवाई। यह महज संयोग तो नहीं हो सकता कि इन सारी जगहों पर चुनाव होना है”।

अरे ठहरिए महोदय, ये तो बस अभी प्रारंभ है। संदीप सिंह के अलावा कई लोगों ने पीएम मोदी के कपड़ों से लेकर उनकी मुस्कान और उनके वैक्सीन लगाने के समय को लेकर ऐसी ऐसी टिप्पणियाँ की आपको भी लगेगा कि यह आलोचना कर रहे हैं या cyber stalking? पीएम मोदी के हाथ में उनका मास्क होते हुए भी चर्चित ट्विटर यूजर शोभा डे पूछती हैं, “क्यों सरजी, मास्क नहीं है?”

अब ऐसे में The Wire कैसे पीछे रह सकता था? एमके वेणु ट्वीट करते हैं, “चुनावी प्रचार की हद पार हो गई। ‘रबिन्द्रनाथ टैगोर’ असम का गमछा पहनकर पुडुचेरी और केरल की नर्सों से भारत बायोटेक का वैक्सीन लगवाते हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव प्रचार के अंतिम चरण में केदारनाथ से उनकी विवेकानंद वाली फोटो याद आई?”

लेकिन अपने लेजन्डेरी लॉजिक से चार चाँद लगाए काँग्रेस के सोशल मीडिया सेल प्रभारी ने, जिनके अनुसार मोदी सरकार को जवाहरलाल नेहरू का आभार प्रकट करना चाहिए। जहां लावण्या बल्लाड़ ने पीएम मोदी को नेहरू का आभार प्रकट करने को कहा, तो वहीं काँग्रेस आईटी सेल प्रमुख श्रीवत्स लिखते हैं, “एम्स को नेहरू की काँग्रेस सरकार ने बनवाया। पुडुचेरी और केरल की नर्सों ने काँग्रेस सरकार के नेतृत्व में अपनी पढ़ाई और ट्रेनिंग की है। असम तरुण गोगोई के शासन में समृद्धि के शिखर पर पहुंचा, और मोदी जी वैक्सीनेशन में भी नौटंकी करने से बाज नहीं आए”

 

यदि काँग्रेस इस प्रकार से मोदी सरकार को चुनौती देने की सोच रही है, तो 2024 छोड़िए, उन्हे 2039 तक कोई भी चुनाव का ख्याल ही अपने दिमाग से निकाल देना चाहिए। विरोध करने के पीछे भी एक तर्क होता है, लेकिन जिस प्रकार से विपक्षी पार्टियां, उनके चाटुकार बुद्धिजीवी पीएम मोदी का विरोध कर रहे हैं, उससे जनता का विश्वास मोदी जी में और मजबूत होगा, और नुकसान केवल और केवल विपक्ष का होगा।

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