महामारी के बाद हुंडई और टाटा ऑटोमोबाइल क्षेत्र में मारुति के वर्चस्व के लिए खतरा बन गये हैं

मारुति

भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छे संकेत मिलने लगे हैं। पिछले वर्ष कोरोना के कारण जो क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित हुए थे उनमें एक ऑटोमोबिल सेक्टर भी था। किन्तु इस वर्ष भारत का ऑटोमोबिल सेक्टर में तेजी देखने को मिली है। पिछले वर्ष फरवरी माह में जहाँ 2,56,645 कारें बिकी थीं वहीं, इस वर्ष 3,08,611 कार बिकी हैं। जनवरी महीने में भी 3,03,904 कारें बिकी थीं। इस हिसाब से ऑटोमोबिल सेक्टर में महीने की ग्रोथ रेट 1.55 है जबकि वार्षिक ग्रोथ रेट 20.25 है।

मारुति इस वर्ष भी भारतीय मार्किट में सबसे बड़े कार विक्रेता के रूप में उभरी है, किन्तु एक महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि उसके मार्किट शेयर कम हो रहे हैं। वहीं, हुंडई की वार्षिक ग्रोथ रेट 29 प्रतिशत रही है, उसका मार्किट शेयर फरवरी महीने में 16.72 प्रतिशत रहा है। मारुति का मार्किट शेयर 46.91 प्रतिशत है, कई वर्षों में ऐसा पहली बार हो रहा है जब मारुति का मार्किट शेयर 50 प्रतिशत से कम हुआ है।

इससे पहले पिछले वर्ष भी मारुति का शेयर 49.99 प्रतिशत था। आंकड़े बताते हैं कि मारुति अपना मार्किट शेयर तेजी से गवां रही है। एंट्री कार सेगमेंट, जिसमें 4 लाख तक की कीमतों वाली छोटी गाड़ियां आती हैं, वहां मारुति को Renault की Kwid और Triber के अलावा टाटा की Tiago से कड़ी टक्कर मिल रही है। वहीं, मिड सेगमेंट, जिसमें 7-8 लाख तक की गाड़ियों को रखा जाता है, वहां टाटा की Nexan, Hundai की Venue की बढ़ती मांग के कारण मारुति कारों की बिक्री कम हो रही है जिससे उसका मार्केट शेयर भी घट रहा है।

कोरोना के कारण लोगों में यह प्रवृत्ति बढ़ रही है कि वह अपने निजी यातायात साधन का उपयोग करें। साथ ही कोरोना ने जहां कई सेक्टरों को बुरी तरह प्रभावित किया है वहीं, आईटी सेक्टर जैसे कुछ सेक्टर हैं जिन्हें इसका लाभ भी मिला है। ऐसे में भारतीय बाजार में कार खरीदारी का चलन बढ़ रहा है और आने वाले समय में इसमें और तेजी आने की उम्मीद है।

सबसे अच्छा यह है कि जहां मारुति लम्बे समय तक भारत के कार बाजार पर अपना एकाधिकार बनाए हुए थी, वहीं, अब उसे HYUNDAI और टाटा जैसी कंपनियों से उसी कड़ी टक्कर मिल रही है। मारुति का पैसेंजर वाहन सेगमेंट में नवम्बर 2019 में 55 प्रतिशत हिस्सा था, जो नवम्बर 20′  में घटकर 51 प्रतिशत पर आ गया। वर्ष 2019 में अप्रैल से नवम्बर के बीच मार्किट शेयर 50.68 प्रतिशत रहा था जो वर्ष 2020 में इसी अंतराल में घटकर 48.5 प्रतिशत रह गया।

हालांकि, मारुति द्वारा नवम्बर 2020 में कम हुए मार्किट शेयर का कारण, कार का कम उत्पादन और काम करने के दिनों में त्योहारों के कारण अधिक छुट्टी मिलना बताया गया था। लेकिन मार्किट शेयर घटने की प्रवृत्ति लगातार बनी हुई है जो बताता है कि इसका असल कारण बाजार में बढ़ती प्रतिद्वंदिता है।

मारुति ने अपने मार्किट शेयर कम होने के पीछे एक कारण यह भी दिया था कि वह कोरोना के कारण अपनी कार बेचने की नीति बदल रही है। वह व्होलसेल के बजाए रिटेल मार्किट पर ध्यान दे रहे हैं। मारुति का यह तर्क भी आंकड़ों के सामने नहीं टिक पा रहा। KIA और MG मुख्यतः अपनी कार  रिटेल मार्किट में ही उतारती हैं और उनकी ग्रोथ रेट Maruti से कहीं अधिक है। KIA की ग्रोथ रेट 2019 से 2020 के दौरान 208.84 प्रतिशत रही, जबकि MG की 76.79 प्रतिशत की ग्रोथ रेट रही। ऐसे में Maruti को अपनी सेल घटने के कारण कहीं और तलाशने होंगे।

वास्तव में Maruti ने लम्बे समय तक भारतीय कार बाजार पर एकाधिकार रखा है, इसी कारण उसने नए प्रयोग बंद कर दिए हैं। जहां बाकि कंपनियां नए उत्पादों से ग्राहकों को आकर्षित करती हैं, मारुति आज भी पुराने मॉडल की गाड़ियां ही बेच रही है। वैसे देखा जाए तो प्रतिस्पर्धा बाजार के लिए खाद की तरह काम करती है। Maruti का मार्किट शेयर कम होना प्रतिस्पर्धा को बढ़ा रहा है, जिससे असली लाभ खरीदारों को ही होगा।

Exit mobile version