सरकारें बदल जाती हैं, लेकिन पुराने अधिकारियों और कर्मचारियों के रहने के कारण संगठनों की कार्यशैली में कुछ खास फर्क नहीं पड़ता है। राज्यसभा के साथ ये बात पिछले 6 सालों में आम बात हो गई थी, जहां भ्रष्टाचार से लेकर धांधली तक धड़ल्ले से चल रही थी, लेकिन अब इस पर लगाम लगाने का सही वक्त आ गया है। इसी लिए अब राज्यसभा और लोकसभा दोनों के प्रबंधन के संयुक्त कर दिया गया है जिसके बाद अब ये माना जा रहा है कि राज्यसभा में पूर्व उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने अपने कार्यकाल के दौरान जो नई आपत्तिजनक कार्यशैली बनाईं थीं वो अब सब खत्म ही हो जाएगी।
पूर्व उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी अपने कार्यकाल के दौरान ऐसे विवादित काम कर चुके हैं जिसके चलते उनके आलोचक आज भी उन्हें घेर लेते हैं। उनकी कार्यशैली का असर राज्यसभा की कार्रवाई प्रसारित करने वाले चैनल राज्यसभा टीवी पर भी बुरा ही पड़ा था। TFI ने इस पर एक विस्तृत जानकारी भी दी थी कि कैसे हामिद अंसारी ने 2011 में अपने दम पर ही राज्य सभा टीवी को एक स्वतंत्र चैनल बना दिया था, जिसके बाद वहां वही होता था, जो कि हामिद अंसारी को पसंद होता है। वो सरकार का पैसा बर्बाद करने के ऐसे आदी थे कि राज्यसभा का बजट देश के अन्य किसी भी सरकारी संगठन से ज्यादा हो गया था।
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राज्यसभा टीवी में उन लोगों को आसानी से जगह मिल जाती थी जो कि किसी-न-किसी तरह से सरकार के संपर्क में थे, या तो यूपीए की विचाराधारा के प्रशंसक थे। इसके चलते राज्यसभा में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार भी शुरु हो गया था, जिसे सीएजी ने भी अपनी जांच में अंकित किया था। कश्मीर के मुद्दे पर भी राज्य सभा का अपना अलग ही एजेंडा चलता था जो कि कई बार देश विरोधियों के लिए फायदा बन जाता था।
चैनल की फंडिंग से लेकर गेस्ट एंकर में एक खास विचारधारा के एंकरों को अधिक प्राथमिकता देने तक, राज्यसभा का पूरा माहौल विवादित हो चला था। इसके अंतर्गत ऐसी फिल्में और डॉरक्यूमेट्रियां बनाईं जाती थीं जिससे देश में एक खास विचारधारा का प्रसार अधिक हो। साल 2014 में सरकार बदल गई लेकिन कार्मचारी तो वही पुराने ही हैं, जो अपने ही रवैए पर काम कर रहे हैं। साफ है कि राज्यसभा टीवी की स्थिति को यदि सुधारना है तो उसके प्रबंधन में अमूलचूल परिवर्तन करने होंगे, और एक झटके में ही अब उस जरूरत को पूरा कर दिया गया है।
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दरअसल अब राज्यसभा और लोकसभा के अध्यक्षों ने संयुक्त रूप से फैसला किया है कि दोनों सदनों के प्रबंधन एक ही होगें और चैनल का नाम भी एक ही होगा। इसका नाम संसद टीवी होगा, जिसके अंतर्गत दोनों ही सदनों की कार्यवाही का प्रसारण किया जाएगा। इसके साथ ही बड़े बदलाव अब नई भर्तियों को लेकर भी होंगे क्योंकि राज्यसभा की कार्यशैली काफी खराब हो चुकी है क्योंकि राज्यसभा और लोकसभा के चैनलों की कवरेज जमीन आसमान का अंतर दिखाई देता हैं, जबकि दोनों संसद के ही चैनल्स हैं।
पहले राज्यसभा टीवी के लिए हुई भर्तियों को लेकर उन्हीं लोगों को वरीयता दी जाती थी, जो कि यूपीए की विचारधारा के होते थे या तो सरकार के प्रशंसक होने के साथ ही सत्ता के नजदीक थे, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। इतना ही नहीं अब राज्यसभा और लोकसभा की एडिटोरियल पॉलिसी भी एक ही होगी जिससे अब राज्यसभा और लोकसभा की पॉलिसी में किसी भी तरह का मतभेद भी नहीं होगा जो कि एक सकारात्मक फैसला साबित होगा।
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हामिद अंसारी ने यूपीए शासन के कारण अपनी ताकत का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल किया और राज्यसभा को वामपंथ की विचारधारा का एक स्वतंत्र सदन बना दिया, जिससे उच्च सदन माने जाने वाले राज्यसभा की छवि भी काफी धूमिल हुई थी, लेकिन मोदी सरकार के कार्यकाल में हामिद अंसारी द्वारा की गई सभी तरह की गलतियों को सुधारा जा रहा है जो कि अतिआवश्यक थी।