QUAD की बैठक से ठीक पहले बदलने लगे हैं वैश्विक समीकरण, चीन अब भारत पर डोरे डाल रहा है

कुछ दिनों पहले घोषणा हुई थी कि अमेरिका के राष्ट्रपति के इशारे पर Quad समूह के राष्ट्राध्यक्षों की बैठक बुलाई गयी है। इस महीने यह बैठक संपन्न होने वाली है। जो बाइडन ने यह बैठक विश्व स्तर पर इंडो पैसिफिक के बढ़ते महत्व तथा अन्य देशों की रूचि को देखते हुए बुलाई जिससे एक बार फिर से इस क्षेत्र के ताकतवर देशों के साथ संबंध सुधारा जाये। अब अमेरिका के इस कदम को देखते हुए चीन सकते में आ गया है और भारत को शांत कर उसे दोस्ती की बात करने लगा है।

चीन को पता है कि अगर जो बाइडन पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरह ही QUAD को महत्व दे रहे हैं तो इसका अर्थ स्पष्ट है कि उन्हें चीन विरोधी कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा क्योंकि QUAD को चीन के खिलाफ रणनीति के लिए ही और मजबूत किया गया था। चीन को पता है कि एक तरह सेनकाकू द्वीप को लेकर जापान से उसके संबंध ख़राब होते जा रहे हैं तो वहीं ऑस्ट्रेलिया के साथ उसके संबंध अब इतने ख़राब हो चुके हैं कि वापस पटरी पर आना मुश्किल दिखाई दे तरह है। ऐसे में एक ही देश बचा जिसे शांत करा कर अपनी और मोड़ा जा सकता है या संबंध अच्छे किये जा सकते हैं और वह है भारत। यही कारण है कि चीन ने रविवार को भारत के साथ शांति, साझेदारी और समृद्धि पर बात की, जोर देकर कहा कि वह बातचीत और परामर्श के माध्यम से नई दिल्ली के साथ सीमा विवाद को निपटाने के लिए प्रतिबद्ध है।

पिछले महीने लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दोनों देशों की सेनाओं के विस्थापन के बाद, नई दिल्ली ने एक सप्ताह पहले बीजिंग को चेतावनी दी थी कि वह शेष सीमा मुद्दों को लंबा करने के लिए दोनों पक्षों के हित में नहीं है।

इसी पर चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने रविवार को अपनी वार्षिक प्रेस बैठक में कहा कि “पिछले साल सीमा क्षेत्र में जो कुछ हुआ, उसका सही और गलत अर्थ स्पष्ट है। यह फिर से साबित करता है कि टकराव शुरू करने से समस्या हल नहीं होगी। शांतिपूर्ण बातचीत पर वापस लौटना ही सही रास्ता है।“

उन्होंने कहा कि चीन की स्थिति बहुत स्पष्ट है, “हम बातचीत और परामर्श के जरिए सीमा विवाद को निपटाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”

विदेश मंत्री ने कहा, “चीन और भारत एक-दूसरे के मित्र और साझेदार हैं, वो खतरा या प्रतिद्वंद्वी नहीं हैं। दोनों को एक-दूसरे को कम आंकने की बजाय एक-दूसरे की मदद करने की जरूरत है, हमें एक-दूसरे पर शक करने की बजाय सहयोग तेज करना चाहिए। ”

स्पष्ट है कि चीन के विदेश मंत्री भारत के साथ सामान्य रिश्तों की बात कर रहे हैं और वह भी QUAD बैठक से ठीक पहले। यह कोई संयोग नहीं है, बल्कि चीन का डर है कि अब QUAD की बैठक के बाद वर्ल्ड आर्डर बदलने वाला है और और एक बार फिर से अमेरिका चीन के खिलाफ एक्शन के लिए तैयार हो जायेगा।

रविवार को चीन के विदेश मंत्री वांग ने कहा कि यह दोनों पक्षों की जिम्मेदारी है कि मौजूदा सहयोग को मजबूत किया जा सके, संवाद और संचार को मजबूत किया जा सके और सीमा क्षेत्रों में शांति और शांति की रक्षा के लिए विभिन्न प्रबंधन तंत्र में सुधार किया जा सके।“ उन्होंने भारत के साथ समानता दिखाते हुए कहा, “हमारी स्थिति समान राष्ट्रीय वास्तविकताओं के कारण लगभग एक जैसी हैं।“

अब इसी से समझा जा सकता है कि चीन कितना घबराया हुआ है जिससे वह किसी भी हालत में भारत के साथ स्थिति को सामान्य करने की बात कर रहा है।

यह इसलिए भी क्योंकि QUAD में अब कोई भी अन्य देश चीन के साथ नहीं है। पहले उसने ऑस्ट्रेलिया के साथ अपने ट्रेड को मजबूत कर, उसे अपनी चंगुल में फंसाया हुआ था परन्तु कोरोना के बाद ऑस्ट्रेलिया ने चीन के खिलाफ सबसे प्रखर रूप से मोर्चा खोला था जिसके बाद इन दोनों देशों के संबंध गर्त में चले गए थे। इसी तरह चीन अब जापान के साथ सेनकाकू द्वीप को लेकर आमने-सामने हैं और दोनों देशों ने उस क्षेत्र में किसी भी विदेशी जहाज पर फायरिंग करने के आदेश दिये हुए हैं। यानी माहौल वहां भी गर्म है। वहीं अमेरिका के ऊपर चीन भरोसा नहीं कर सकता क्योंकि अमेरिका किसी भी स्थिति में अपना फायदा ही देखता है और चीन की बढती ताकत से वह सबसे अधिक प्रभावित होगा। ऐसे में चीन के पास एक ही विकल्प था भारत। परंतु भारत चीन को किसी भी स्थिति में छुट देने के मूड में नहीं है। अब यह देखना है कि QUAD के बाद अमेरिका वास्तविक स्थिति में क्या रुख अपनाता है और जो बाइडन किस तरह चीन के खिलाफ डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों को अपनाने के लिए मजबूर होते हैं।

Exit mobile version