सिंगुर और नंदीग्राम, बंगाल में ममता के गढ़ उनके लिए ही पतन का कारण बनने जा रहे हैं

सिंगुर में भी चलेगा BJP का सिक्का

TMC गोवा

ममता बनर्जी

पश्चिम बंगाल में चुनावी माहौल अब पूरी तरह से गरमा गया है और ममता बनर्जी को उनकी हार स्पष्ट दिखाई देने लगी है। यही कारण है कि अब ममता बनर्जी नंदीग्राम के बीजेपी के जिला उपाध्यक्ष को फोन लगा कर मदद मांगना पड़ रहा है। जिन विधान सभा क्षेत्रों ने ममता बनर्जी को पश्चिम बंगाल में सत्ता दिलाई अब वही विधान सभा क्षेत्र उनके हाथ से निकल चुके हैं। ये विधानसभा क्षेत्र है सिंगुर और नंदीग्राम। यानि संकेत स्पष्ट है कि अब ममता बनर्जी की सत्ता अंत अधिक दूर नहीं है।

नंदीग्राम में तो ममता बनर्जी अभी तक जिस नेता के सहारे जीतती आई हैं अब उनके खिलाफ चुनाव लड़ना पड़ रहा है। यही हाल अब सिंगुर में भी हुआ और TMC से चार बार विधायक बनाने वाले मास्टर मोशाय अब बीजेपी की और से उतर रहे हैं।

यह सिंगूर का आन्दोलन और ममता बनर्जी का अनशन ही था, जिसने पश्चिम बंगाल में लगातार 34 साल से चले आ रहे वामदलों के शासन को मटियामेट कर दिया था। परन्तु अब TMC के विधायक पाला बदल कर इस बार बीजेपी में शामिल हो चुके हैं।

जब मास्टर मोशाय से पूछा गया कि, ‘आप तो तृणमूल की पहचान थे, पार्टी क्यों बदल दी?’ तो उनका कहना था, ‘हम सिंगूर के लिए जो कुछ करना चाह रहे थे, वह टीएमसी में रहते हुए नहीं कर पा रहे थे।’

बता दें कि सिंगूर पहले सीपीएम का गढ़ हुआ करता था। पहले 14 लोकसभा चुनाव में से सिर्फ दो मौकों को छोड़कर 12 बार यहां से सीपीएम का ही सांसद हुआ है। नैनो फैक्ट्री के लिए सिंगूर में जमीन देने का फैसला भी इसी के मद्देनजर था लेकिन सिंगूर आंदोलन ने हुगली को ममता के किले में बदल दिया। उसके बाद 2009 और 2014 में यहां टीएमसी ने जीत दर्ज की।

परन्तु 2019 के मोदी लहर में सबकुछ बदलता दिखाई दिया जिसने ममता ममता बनर्जी को भी डरा दिया था। बीजेपी ने सिर्फ हुगली लोकसभा सीट ही नहीं जीती थी बल्कि लोकसभा में आने वाली सात विधानसभा सीटों में से पांच पर बड़ी बढ़त बनाई थी। इसमें सिंगूर सीट भी शामिल था।

यानि देखा जाये तो अब बीजेपी के अपने वोटर तो हैं ही साथ में ममता बनर्जी के वोटर भी बीजेपी का साथ दे सकते हैं।

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वहीँ नंदीग्राम की बात की जाये तो वहां से ममता बनर्जी के सामने स्वयं शुभेंदु अधिकारी चुनाव लड़ रहे हैं। यह नहीं भूलना चाहिए कि शुभेंदु अधिकारी ने भी सिंगुर और नंदीग्राम आंदोलन में एक अहम भूमिका निभाई थी। शुभेंदु को ममता दीदी का सबसे खास सिपाही माना जाता था, ऐसे में अधिकारी ममता दीदी की कमजोरी और मजबूती दोनों से अच्छी तरह वाकिफ हैं।

इसी से ममता बनर्जी डरी हुई भी है। शुभेंदु ममता दीदी के कार्यकाल में हुए घोटालों को भी उजागर कर रहे हैं। शुभेंदु ममता के करीबी होने के कारण ममता के लिए हर वक्त नई मुसीबत बनते जा रहे हैं और बीजेपी ने भी इस बात को अच्छे से समझ लिया है। साथ ही बीजेपी के लिए फायदे वाली बात ये भी है कि शुभेंदु की सीट पर जो हवा देखने को मिलेगी, वो हवा ही उस सीट के आस पास पूरे जंगल महल की 70 सीटों पर भी होगी।

अब यह भी रिपोर्ट सामने आ रही है कि तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी नंदीग्राम सीट पर जीत हासिल करने के लिए BJP के एक वरिष्ठ नेता से मदद की गुहार लगा रही हैं और TMC में लौट आने की अपील कर रही हैं। भारतीय जनता पार्टी ने एक ऑडियो टेप जारी करते हुए यह दावा किया है।

अगर इस दावे को सच माना जाये तो ममता बनर्जी ने अब स्वयं ही स्वीकार कर लिया है कि वो मतदान से पहले ही चुनाव हार चुकी हैं। ऐसे में अब उन्हें हार से कोई नहीं बचा सकता है। सिंगुर हो या नंदीग्राम दोनों ही विधानसभा क्षेत्र उनके हाथ से निकल चुका है। यानी जहाँ से ममता बनर्जी को राजनीति में एक बड़ी पहचान मिली अब वही से उनकी राजनीतिक कैरियर का अंत भी हो रहा है।

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