“दिल्ली दंगों की जांच को लेकर मीडिया भ्रामकता फैला रही है”, दिल्ली पुलिस की लिबरल मीडिया को कड़ी चेतावनी

दिल्ली

(PC: Outlook India)

पूर्वोत्तर दिल्ली में पिछले वर्ष हुए दंगों के बारे में इस समय दिल्ली हाई कोर्ट में मुकदमा चल रहा है। इसी दौरान एक सनसनीखेज खुलासे में दिल्ली पुलिस ने उन न्यूज पोर्टल्स को आड़े हाथों लिया है जो न केवल दिल्ली पुलिस को पक्षपाती सिद्ध करने पर तुले हुए थे, अपितु आरोपियों के बचाव में भ्रामक तथ्यों को बढ़ावा भी दे रहे थे।

स्पेशल पब्लिक prosecutor अमित प्रसाद ने दिल्ली हाई कोर्ट के समक्ष अपनी बात प्रस्तुत करते हुए आरोप लगाया कि दंगों को लेकर कुछ मीडिया पोर्टल भ्रामक तथ्य फैलाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं, जो पुलिस के साथ साथ क्षेत्र की सुरक्षा के लिए भी हानिकारक है

बता दें कि 25 फरवरी को CAA के विरोध के नाम पर पूर्वोत्तर दिल्ली में दंगे भड़क गए थे, जिसमें 50 से अधिक लोग मारे गए और 300 से अधिक लोग घायल हुए। इन दंगों को भड़काने के पीछे देवांगना कालीता, नताशा नरवाल, सफ़ूरा जरगर, गुलशिमा फातिमा, उमर खालिद, आसिफ इकबाल तन्हा, खालिद सैफी, तस्लीम अहमद, इशरत जहां, मीरान हैदर, ताहिर हुसैन इत्यादि पर कोर्ट में मुकदमा चलाया जा रहा है, और इन सभी पर UAPA के अंतर्गत मुकदमा दर्ज किया गया है।

अगस्त 2020 में जामिया के विद्यार्थी आसिफ इकबाल तन्हा ने इस बात को स्वीकार किया था कि उसने CAA को मुस्लिम विरोधी मानते हुए लोगों को दंगों के लिए भड़काना शुरू किया था। उसने ये भी स्वीकारा कि वह बसों को जलाने में भी शामिल था, क्योंकि उसके अनुसार इससे भारत जल्द ही एक इस्लामिक राष्ट्र बन जाता।

यही नहीं, आसिफ इकबाल ने इस बात को भी स्वीकार कि दिल्ली के दंगों को भड़काने में उमर खालिद का भी बराबर का हाथ था, क्योंकि वह ट्रम्प के भारत दौरे को बर्बाद करना चाहता था। इस पूरे षड्यन्त्र में उसका साथ जामिया के एक अन्य विद्यार्थी मीरान हैदर और जामिया कोऑर्डिनेशन कमिटी की सदस्या सफ़ूरा जरगर ने दिया।

तो इसका न्यूज पोर्टल्स से क्या संबंध है? दरअसल अमित प्रसाद ने आरोप लगाया कि जब दिल्ली पुलिस इस विषय पे जांच कर रही थी, तो न्यूजलॉन्ड्री जैसे पोर्टल्स खुलेआम दिल्ली पुलिस की गतिविधियों पर अनावश्यक सवाल उठा रहे थे, और जानबूझकर जांच पड़ताल में बाधा डालने का प्रयास कर रहे थे। इसके साथ ही उन्होंने कुछ साक्ष्य भी पेश किये, जो इस बात को सिद्ध करने का भी प्रयास कर रहे थे। दिल्ली पुलिस अपने आरोपों में पूरी तरह गलत भी नहीं है, क्योंकि न्यूजलॉन्ड्री, द वायर जैसे पोर्टल आज भी दिल्ली दंगों के असली दोषियों का बचाव करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे।

अब जिस प्रकार से दिल्ली पुलिस ने न्यूजलॉन्ड्री की कलई खुली है, उससे स्पष्ट पता चलता है कि वे इन लोगों को हल्के में नहीं लेने वाले हैं, और यदि ये लोग अब भी नहीं सुधरे, तो आगे की राह इन पोर्टल्स के लिए बेहद मुश्किल होने वाली है।

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