सर्वविदित है कि देश में मोदी विरोध के नाम पर विपक्ष हमेशा ही एक हो जाता है, लेकिन दिलचस्प बात ये भी है कि इस एकता में हमेशा फूट पड़ जाती है। विपक्षी नेता इतने ज्यादा हताश हो चुके हैं कि आए दिन कोई-न-कोई हास्यास्पद मुद्दों के साथ सामने आ जाते हैं। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने भी अब ऐसा ही एक मजाकिया बयान दिया है, कि उन्हें एक फेक कॉल में कहा गया था कि ममता के समर्थन में जनसभा कोलकाता की रैली में शामिल होने के लिए उन्हें 50 लाख रुपए मिलेंगे। उनका कहना है कि कॉल करने वाला खुद को झारखंड का सीएम बता रहा था। उनका ये बयान बताता है कि इन बुजुर्ग नेताओं की लोकप्रियता घटने के बावजूद ये लोग खुद को महत्वपूर्ण दिखाने की कोशिश करते रहते हैं।
देश के बुजुर्ग विपक्षी नेताओं की पूछ आजकल बिल्कुल ही खत्म हो चुकी है। बीजेपी के सत्ता में आने के बाद इन नेताओं ने देश के विपक्ष को एकजुट करने करने की कोशिश की, लेकिन उनकी सारी कोशिशों पर पानी फिरता चला गया। गलती से अगर कहीं गठबंधन से सरकार बन भी जाती है तो राजनीतिक पार्टियों में महत्वाकांक्षा हद से ज्यादा बढ़ जाती है। ऐसे में ये सभी नेता अब केवल देश की राजनीति में उपहास के पात्र बन गए हैं, जिनका नेतृत्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी करते हैं। खास बात ये है कि आज हम राहुल की नहीं, बल्कि उनके ही खेमे के एक और नेता फारूक अब्दुल्ला की बात कर रहे हैं जो कि रैलियों के बदले पैसे मिलने वाली एक फेक कॉल का खुलासा कर खुद ही हास्य का पात्र बन गए हैं।
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फारूक अब्दुल्ला ने एक रैली के दौरान कहा कि विपक्ष को तोड़ने की कोशिश की जा रही है, मुझे एक फेक कॉल आया थी, जिसमें सामने वाले शख्स ने खुद को झारखंड का मुख्यमंत्री यानी हेमंत सोरेन बताया था। उन्होंने बताया कि फेक कॉल में मुझे कहा गया कि बंगाल में ममता के प्रचार के लिए 50 लाख रुपए मिलेंगे, और ये फोन देश के पूर्व प्रधानंमंत्री एचडी देवगौंड़ा को भी किया गया था जो कि किसी बड़ी साजिश का हिस्सा प्रतीत होता है।
उन्होंने कहा कि वो इस फेक कॉल की पुष्टि करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने हेमंत सोरेन और देवगौड़ा को फोन किया था। उन्होंने कहा, “मैंने झामुमो सांसद को फोन किया, जिसने उन्हें बताया था कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा को भी इसी तरह के फोन कॉल गए थे। वे हमें एक–दूसरे के खिलाफ गड्ढे खोदने के लिए किसी भी साधन का उपयोग करेंगे।” उन्होंने इस पूरी परिस्थिति के लिए देश के वर्तमान राजनीतिक ताने-बाने को जिम्मेदार बताया है। फारूक अब्दुल्ला के इस पूरे खुलासे में सबसे दिलचस्प कॉलर द्वारा ऑफर की गई रकम है और उनका इस बात की पुष्टि करने के लिए अन्य नेताओं को कॉल करना है।
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फारूक अब्दुल्ला ने इस पूरे प्रकरण में देश के पूर्व प्रधानमंत्री और कई बार तीसरे मोर्चे की सरकार में अहम भूमिका निभाने वाले जेडीएस नेता एचडी देवगौड़ा का भी नाम लिया है तो क्या ये समझा जाए कि एक चुनाव में किसी पार्टी के समर्थन के लिए इन बुजुर्ग की कीमत केवल 50 लाख रुपए ही रह गई हैं? लेकिन फिर इसमें कुछ गलत भी नहीं लगता है, और इसकी वजह भी देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ही हैं।
प्रधानमंत्री मोदी देश की राजनीति का सबसे बड़ा नाम बन गए हैं। उनके राजनीतिक कद के आगे अनेकों बुजुर्ग विपक्षी नेता अब बौने लगते हैं। वहीं बीजेपी के बढ़ते जनाधार के कारण ये लोकप्रियता दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही है। देश की राजनीति में इन नेताओं का अस्तित्व हाशिए पर जा चुका है जहां से मुख्य धारा में वापस आना नामुमकिन ही है।