तेलंगाना के भैंसा में हुए भीषण दंगे, राष्ट्रीय मीडिया को इसकी भनक नहीं!

भैंसा

आज देश की मीडिया का पूरा ध्यान होने वाले राज्य चुनावों पर है, और एक तरफ तेलंगाना के निर्मल जिला में भैंसा कस्बे में सांप्रदायिक दंगा रोज तुल पकड़ रहा है। पिछले रविवार को दंगे की शुरुआत हुए थी, और उसके चलते धारा 144 लागू कर दी गई हैं। दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार दो बाइक सवारों के बीच झड़प के बाद, दो समूहो ने एक दूसरे पर पथराव किया, जिसके चलते एक पुलिसकर्मी और एक पत्रकार समेत घटना स्थल पर मौजूद 12 लोग भी घायल हो गए।

दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, घायलों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया और उनकी हालत अब स्थिर बताई जा रही है। निर्मल जिले के प्रभारी पुलिस अधीक्षक विष्णु एस. वारियर ने दैनिक जागरण से कहा कि, पड़ोसी जिले में पुलिस की तैनाती की गई है, और स्थिति काबू मे है तथा मामले के संबंध मे चार मामले दर्ज किए गए हैं।

अमर उजाला की रिपोर्ट्स के अनुसार, “बाइक सवार दो व्यक्तियों के बीच बहस के बाद एकत्रित हुए दो समुदाय के लोगों ने पथराव किया था। झड़प के दौरान दो घर, सब्जीदुकानें क्षतिग्रस्त हुईं, एक कार, चार दो पहिया वाहन और कुछ ऑटो रिक्शा को आग लगा दी गई।”

गृह राज्यमंत्री रेड्डी ने पूरे मामले ट्वीट कर कहा, “माननीय गृह मंत्री अमित शाह जी ने मुझे कॉल कर भैंसा की घटना और स्थिति के बारे में पूछा।” रेड्डी ने कहा कि उन्होंने तेलंगाना के डीजीपी महेंद्र रेड्डी से फिर से बात की, जिन्होंने बताया कि स्थिति अब नियंत्रण में है। पिछले साल भी जनवरी और मई के महीने में इस कस्बे में सांप्रदायिक झड़पों के बाद हिंसा हुई थी।

हिंसा का मामला सामने आते ही, निजामाबाद से बीजेपी के सांसद अरविंद धरमपुरी ने हिंसा से जुड़े मामले में जल्द से कार्रवाई की मांग करते हुए ट्वीट किया, “भैंसा से परेशान करने वाली सांप्रदायिक हिंसा की खबरें आ रही हैं। मेरा तेलंगाना के पुलिस आयुक्त से अनुरोध है कि स्थिति के विकराल होने से पहले इस पर काबू पाएं।”

भैंसा कस्बे में दो समुदाय के बीच हिंसा का मामला नया नहीं है, पिछले वर्ष भी हिंसा की घटना के रिपोर्ट्स सामने आए थी । माना जा रहा है कि निर्मल जिला दो समुदायो के बीच हमेसा से संवेदनशील रहा है, पिछले वर्ष मकर संक्रान्ति के दिन और फिर मई में भी हिंसा के मामले सामने आए थे।

देश की मीडिया को चुनाव के साथ ही देश मे हो रहे ही और भी घटना के पर भी ध्यान देना चाहिए जिससे कि उसपर सरकार और आम जनता की नज़र रहे। बड़े breaking news के शोरगुल में किसे की भी आवाज़ दबनी नहीं चाहिए।

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