बाइडन के बारे में कुछ तो है जो लिबरल मीडिया हमसे छुपा रही है, इससे अमेरिका के हितों को ही नुकसान पहुंचेगा

लिबरल मीडिया के सच में 'कुछ तो काला है'

Former U.S. Vice President Joe Biden, 2020 Democratic presidential candidate, listens during the Planned Parenthood Action Fund (PPAF) We Decide 2020 Election Membership Forum in Columbia, South Carolina, U.S., on Saturday, June 22, 2019. Democratic presidential candidates spoke to PPAF members about their plans to protect and expand abortion access and other reproductive health care. Photographer: Al Drago/Bloomberg via Getty Images

अमेरिका इस समय अपने इतिहास के सबसे मुश्किल दौर में है। अमेरिका को आवश्यकता थी ऐसे नेता की जो उन्हें इस कठिन दौर में सूझबूझ से निकाले, या आक्रामक होकर अमेरिका के विरोधियों को सबक सिखाए, लेकिन वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडन इस काम में सर्वथा असमर्थ हैं। यहाँ तक कि अमेरिकी जनता उन्हें राष्ट्रपति पद के लिए मानसिक और शारिरिक रूप से सक्षम नहीं मानती। 3 मार्च से 7 मार्च के बीच हुए एक सर्वे में अमेरिका की जनता ने यह कहा कि बाइडन  ऑफिस संभालने के लिए समर्थ नहीं हैं।

महत्वपूर्ण यह है कि यह सर्वे उस वीडियो के वायरल होने के पहले का है, जिस वीडियो में बाइडन को लड़खड़ा कर गिरते हुए देखा था। बाइडन अमेरिकी वायुसेना के विमान Air Force One में चढ़ते समय एक नहीं, दो नहीं, पूरे तीन बार गिरे, और फिर धीरे धीरे सीढियां चढ़कर ऊपर पहुंचे। गौरतलब है कि ट्रम्प के नकली विग और बढ़ती उम्र के लिए उनका मजाक बनाने वाला अमेरिकी मीडिया, बाइडन की उम्र और उनके स्वास्थ्य को लेकर बिल्कुल मौन है।

ट्रम्प के पूरे कार्यकाल में अमेरिका का वामपंथी उदारवादी मीडिया ट्रम्प की दिमागी हालत को लेकर अनावश्यक चर्चा और संदेह पैदा करता रहा। यही मीडिया वर्तमान राष्ट्रपति के पक्ष में दरबारी बन गया है। यही कारण है कि लिबरल मीडिया ने बाइडन के स्वास्थ की चर्चा को बिल्कुल भी तवज्जो नहीं दी, भले ही आम अमेरिकी नागरिक इसे महत्वपूर्ण मानते हैं। मीडिया का रवैया जो भी हो, सर्वे बताता है कि आम अमेरिकी नागरिक राष्ट्रपति बाइडन में विश्वास खो रहा है।

देखा जाए तो अमेरिकी नागरिकों का यह व्यवहार बिल्कुल स्वाभाविक है। बाइडन के चुनाव को लेकर पहले ही संदेह का माहौल रहा है। ट्रम्प और उनके समर्थक चुनाव में धांधली के आरोप लगाते रहे हैं, इसके अलावा बाइडन की नीयत को लेकर भी गंभीर सवाल उठाए गए हैं। जैसे बाइडन द्वारा अमेरिका के मुख्य शत्रु चीन के प्रति उदार नीति अपनाना, इजराइल जैसे परंपरागत सहयोगियों को छोड़ ईरान को तवज्जो देना, आदि कई ऐसी नीतियां हैं, जो बाइडन के नेतृत्व क्षमता पर प्रश्न खड़ा करती हैं। अब इन सभी विवादों में बाइडन के स्वास्थ को लेकर भी एक नई चर्चा शुरू हो गई है, ऐसे में आम अमेरिकी नागरिक यही मानता है कि बाइडन अमेरिका को सम्भाल नहीं सकते।

बाइडन 78 वर्ष के हैं, उनका निजी जीवन भी कठिनाइयों से भरा रहा है। विशेष रूप से उनके बेटे Beau Biden की मृत्यु के बाद उनको सदमा लगा था। इसके बाद भी डेमोक्रेटिक पार्टी ने उन्हें इतनी बड़ी जिम्मेदारी दे दी। चुनाव पूर्व भी यह चर्चा थी बाइडन की पार्टी के लोग और पूर्व राष्ट्रपति ओबामा भी उनकी कार्यक्षमता को लेकर संदेह की स्थिति में थे।ट्रम्प अपनी उम्र के बाद भी अपनी आक्रामकता के कारण अमेरिकी युवाओं के एक बड़े वर्ग द्वारा प्रशंसित थे। उनके द्वारा Make America Great Again जैसा अभियान चलाया गया जो अमेरिका की युवा आबादी के एक बड़े वर्ग के लिए भविष्य की आशा जैसा था, जबकि बाइडन ऐसा कोई उम्मीद, किसी व्यक्ति में नहीं जगा पा रहे।

अमेरिका का लिबरल मीडिया, ट्रम्प को लेकर यह भ्रम फैलाता रहा कि वह dementia की बीमारी से परेशान हैं। उन्हें सीढ़ियों पर चढ़ने से डर लगता है और वह बिना सहायता के सीढ़ी नहीं चढ़ सकते। सभी जानते हैं कि यह चर्चा बेबुनियाद थी और ट्रम्प को बदनाम करने के लिए डीप स्टेट द्वारा चलाए गए व्यापक प्रोपोगेंडावॉर का हिस्सा थी। लिबरल मीडिया ने इसमें बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया, अब यही दरबारी मीडिया, बाइडन को लेकर मौन हो गई है।

लिबरल मीडिया द्वारा हमेशा ही उम्र और स्वास्थ्य को प्रोपोगेंडावॉर का हथियार बनाया गया है। 2008 में जब 72 वर्षीय रिपब्लिकन John McCain चुनाव में उतरे थे तो लिबरल मीडिया उनकी उम्र को चुनाव का महत्वपूर्ण मुद्दा बता रही थी। पूर्व राष्ट्रपति रोनाल्डरीगन को घेरने के लिए भी उम्र को मुद्दा बनाया गया।

लेकिन आज जब बाइडन को लेकर चर्चा हो रही है तो लिबरल मीडिया इसे अनैतिक बता रहा है। दुनियाभर में उदारवादीवामपंथी मीडिया का यही व्यवहार है, वो अपने प्रतिद्वंद्वी विचारधारा के लोगों को घेरने के लिए किसी भी हद तक गिरते हैं, और अपने विचारधारा के लोगों पर हमला होते ही नैतिकता की बात करते हैं। भारत में भी प्रधानमंत्री मोदी के निजी जीवन से लेकर योगी आदित्यनाथ के सन्यासी होने तक हर बात को मुद्दा बनाया जाता है।

अमेरिका का मेनस्ट्रीम मीडिया इस मुद्दे को कितना भी नजरंदाज करे, लेकिन बाइडन की अक्षमता अमेरिका को बहुत नुकसान पहुंचाएगी। बाइडन की मानसिक-शारिरिक क्षमता, अमेरिका के पतन को रोकने के लिए अपर्याप्त है।

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