ड्रीम्स मॉल कांड में फंसी BMC को क्लीन चिट देने के लिए उद्धव सरकार ने ड्रीम्स मॉल को बनाया बलि का बकरा

महाराष्ट्र

(pc -DNA INDIA)

आज भारत में सबसे बुरी स्थिति किसी राज्य की है, तो वह महाराष्ट्र है। ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि किसी राज्य की स्थिति निर्धारित करने वाले मानक कह रहे हैं। किसी भी राज्य की स्थिति का आंकलन करने के लिए कुछ पैमाने होते है जैसे – स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, व्यापार, आर्थिक विकास और राज्य का प्रशासन। इन तमाम पैमानों के आधार पर राज्य की स्थिति तय की जाती है। हमें बताते हुए खेद हो रहा है कि आज महाराष्ट्र लगभग सारे पैमाने पर विफल साबित होता नजर आ रहा है।

हाल में हुई एक घटना, जिसमें कोविड को देखते हुए मुंबई (भांडुप) के एक मॉल अंदर हॉस्पिटल का बनाया गया था, जिसमें बीते गुरुवार को आग लग गई। इस दुर्घटना में 10 लोगों की जान चली गई। इस घटना के बाद हमेशा की तरह एक-दूसरे पर दोषारोपण का खेल चला। उसके बाद शनिवार को मॉल के मालिकों के ऊपर गैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज कराया गया।

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शनिवार को मुंबई पुलिस ने भांडुप स्थित ड्रीम्स मॉल के मालिकों और सनराइज  हॉस्पिटल के प्रबंधन को दोषी ठहराया। गौर करने वाली बात यह है कि, BMC ने नवंबर 2020 में हॉस्पिटल को आग से निपटने के लिए असमर्थ बताया था। इसके बावजूद मॉल के अंदर हॉस्पिटल चल रहा था।

ध्यान देने वाली एक और बात है कि, अक्टूबर 2020 में मॉल के अंदर हॉस्पिटल चलाने की अनुमति दी गई थी। फिर नवंबर 2020 में अग्नि सुरक्षा मानक के साथ गैर-अनुपालन करने की चेतावनी दी गई, जिसको नजरअंदाज किया गया और हॉस्पिटल को चलने दिया गया। इसका नतीजा सबके सामने है, 10 लोगों की मौत।

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डिप्टी पुलिस कमिश्नर चैतन्य सिरीप्रोल ने कहा, ” भारतीय दंड संहिता की धारा 304 (गैर इरादातन हत्या) और 34 (सामान्य इरादे) पर मुकदमा दर्ज किया गया है। ”

मामले की जांच पड़ताल कर रहे पुलिस अधिकारी प्रशांत कदम ने कहा, “यह लापरवाही का मामला नहीं है।  सुरक्षा अनुपालन के मामले में गंभीर खामियां थीं।  सबसे बड़ी चूक यह थी कि मॉल में आग की अनुमति नहीं थी। अस्पताल प्रशासन ने उन नियमों और शर्तों का भी उल्लंघन किया है, जिनके आधार पर बीएमसी ने उन्हें NOC (अनापत्ति प्रमाणपत्र) दिया था।  यही कारण है कि हमने मॉल के मालिकों, अस्पताल प्रबंधन और प्रशासन को आरोपी मानते हुए उनके खिलाफ गैर इरादतन हत्या के आरोप में केस दर्ज किया है। मामले में आगे की जांच की जा रही है। ”

कदम ने आगे कहा,”अस्पताल ने 1 अक्टूबर, 2020 को नर्सिंग होम चलाने की अनुमति प्राप्त की थी। जनवरी 2021 से यह अस्पताल कोविड सेंटर के रूप में कार्य कर रहा है। अस्पताल का मालिकाना हक निकिता त्रेहन के पास है और जॉर्ज पुटिंग शेरी अस्पताल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं”

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हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, ड्रीम्स मॉल के डायरेक्टर राकेश वाधवान है। राकेश वाधवान और उनका बेटा सारंग 6,670 करोड़ रुपए का पंजाब और महाराष्ट्र कॉपरेटिव बैंक घोटाला के मामले में जेल में बंद है।

अगर आप पूरे घटनाक्रम पर नजर डालें तो कुछ चीजें साफ होती है, जैसे कि आग से सुरक्षा के मामले में असमर्थ होने के बाद भी हॉस्पिटल चलता रहा। बीएमसी ने एक औपचारिक चेतावनी देने से ज्यादा कुछ नहीं किया। नवंबर 2020 की चेतावनी के बाद भी बिना सुधार किए मार्च 2021 तक लोगों की जान के साथ खिलवाड़ किया गया। जब नवंबर में ही अग्नि सुरक्षा मानकों को अनदेखा करने की बात सामने आ गई थी, तो बीएमसी की नाक के नीचे अस्पताल कैसे चलता रहा. वो भी एक या दो दिन नहीं बल्कि पांच महीने तक।

बहुत दुख की बात है कि, महाराष्ट्र कोरोना महामारी का प्रकोप सबसे ज्यादा झेल रहा है। अब अस्पताल को लेकर भी जनता के अंदर डर का माहौल बन गया है। वहीं प्रशासनिक तौर पर महाराष्ट्र पूरी तरह से विफल हो चुका है। राजनीतिक नजरिए से देखें तो महाराष्ट्र सरकार एक अस्थिर सरकार है। ऐसे में हम यही उम्मीद कर सकते हैं कि केंद्र सरकार आगे आए और महाराष्ट्र को बर्बादी से बचा ले।

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