जिन अफसरों ने उद्धव सरकार की खोली पोल, अब उन्हीं के खिलाफ एक्शन लेगी उद्धव सरकार

अब ये सुधार की बजाय सबक सिखायेंगे!

महाराष्ट्र

महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार और उसके मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ऐसे फैसले ले रहे हैं, जो कि उनकी छवि को दिन-प्रतिदिन धूमिल करते जा रहा है। इसी कड़ी में अब उद्धव सरकार ने महाराष्ट्र के अधिकारियों के खिलाफ ही कार्रवाई करने की ठान ली है। अघाड़ी गठबंधन की सभी पार्टियों ने बैठक के बाद सभी तय किया है कि सरकार के खिलाफ बोलने वाले इन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए क्योंकि ये संवेदनशील बातें लीक कर रहे हैं। इन अधिकारियों में मुख्य रूप से उद्धव सरकार और उसके गृहमंत्री अनिल देशमुख पर आरोप लगाने वाले परमवीर सिंह और रश्मि शुक्ला का नाम प्रमुख है।

महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार और गृहमंत्री अनिल देशमुख पर सचिन वाझे मनसुख हिरेन केस को लेकर गंभीर वसूली को लेकर जो गंभीर आरोप लगाए हैं, वो उद्धव ठाकरे के लिए मुश्किलों का सबब बन गये हैं। महाराष्ट्र सरकार के लिए एक बड़ी दिक्कत यही है कि उसके अंतर्गत काम करने वाले अधिकारी ही अब सरकार के कुकर्मों की पोल  खोल रहे हैं। अधिकारियों के इस खुलासे से अघाड़ी सरकार की नींद उड़ गई है और इसीलिए उद्धव के सरकारी आवास पर गठबंधन की तीनों पार्टियों (कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना) के नेताओं ने बैठक कर अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

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उद्धव सरकार के लिए आईपीएस रश्मि शुक्ला द्वारा बड़े खुलासे होना सरकार के लिए मुश्किलों का सबब बन गया है। ऐसे में गठबंधन की तीनों पार्टियों ने तय किया है कि सरकार द्वारा रश्मि शुक्ला और परमवीर सिंह के खिलाफ कार्रवाई हो, और अन्य अधिकारियों पर नकेल कसी जाए। दिलचस्प बात ये है कि मुख्यमंत्री आवास पर हुई इस चर्चा के दौरान उप मुख्यमंत्री अजित पवार, जयंत पाटिल, गृहमंत्री अनिल देशमुख, दिलीप वलसे-पाटील, छगन भुजबल, जितेंद्र आव्हाड, कांग्रेस की तरफ से बालासाहेब थोराट, अशोक चव्हाण, नाना पटोले, शिवसेना की तरफ से दादा भुसे, एकनाथ शिंदे, सुभाष देसाई, अनिल परब समेत गठबंधन की तीनों पार्टियों के सभी बड़े नेता मौजूद थे।

ध्यान देने वाली बात ये भी है कि महाराष्ट्र की सत्ताधारी पार्टियों की इस बैठक में राज्य के अटॉर्नी जनरल आशुतोष कुंभकोणी भी मौजूद थे। साफ है कि अब सरकार इन अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेगी इस मुद्दे पर  उद्धव के मंत्रियों ने उनसे कहा है कि अब फोन टैपिंग के मामले के बाद इन अधिकारियों पर लगाम लगानी होगी वरना काम करना मुश्किल हो जाएगा। एनसीपी नेता और मंत्री नवाब मलिक ने तो यहां तक कह दिया है कि सही अधिकारियों को चुनने में सरकार से गलतियां हुईं हैं।

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वहीं, इस मुद्दे पर गृह निर्माण मंत्री जितेंद्र आव्हाड ने रश्मि शुक्ला पर आरोप लगाया और कहा, ‘उन्हें लोगों के फोन टेप करने की बुरी आदतहै। किसी का भी फोन टेप करने के लिए कानून में निश्चित प्रावधान है, लेकिन रश्मि शुक्ला फोन टेप करने की परमिशन किसी और के नाम की लेती हैं और फोन किसी दूसरे का टेप करती हैं।

इसी तरह अनिल देशमुख ने भी मुख्यमंत्री को अलग से एक पत्र लिखकर कहा कि परमवीर सिंह ने उन पर जो सचिन वाझे के केस से जुड़े आरोप लगाए हैं, वे सभी आरोप गलत हैं। अतः इस पूरे केस की जांच होनी चाहिए।  उन्होंने ट्विटर पर लिखा, “मैंने मुख्यमंत्री से कहा है कि वह (मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर) परमबीर सिंह द्वारा मेरे खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच कर सच्चाई सामने लाएं। अगर मुख्यमंत्री इस मामले की जांच करते हैं, तो मैं इसका स्वागत करूंगा। सत्यमेव जयते! साफ है कि महाराष्ट्र सरकार अब परमवीर सिंह से अपनी बदनामी का बदला लेने की तैयारी कर रही है।

महाराष्ट्र सरकार का अपने ही अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात करना इस बात का पर्याय है कि  महाराष्ट्र सरकार भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी, लेकिन जिस पर भ्रष्टाचार संबंधी आरोप हैं, उनको दरकिनार किया जाएगा। महाविकास अघाड़ी का ये रवैया  आत्मघाती साबित होने वाला है, क्योंकि इससे जनता में एक नकारात्मक संदेश जाएगा।

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