कुछ कट्टरपंथी अपने मज़हब को लेकर इतने असहज होते हैं कि बदलाव का हल्का सा झोंका चलने पर भी वे हिंसा और गुंडागर्दी करने पर उतारू हो जाते हैं। ऐसा ही कुछ अभी हाल ही में देखने को मिला, जब शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष सैयद वसीम रिज़वी द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका के बदले कट्टरपंथी मुसलमानों ने उनका सर कलम करके लाने वालों को इनाम देने की घोषणा कर डाली।
लेकिन याचिका में ऐसा भी क्या था, जिसके कारण कट्टरपंथी मुसलमान सैयद वसीम रिज़वी के खून के प्यासे हुए पड़े हैं। दरअसल वसीम रिज़वी ने सुप्रीम कोर्ट में कुरान की 26 आयतों को हटाने के संबंध में याचिका दाखिल की है। उनका कहना है कि इन 26 आयतों में से कुछ आयतें आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली हैं जिन्हें बाद में शामिल किया गया –
Case filed in Supreme Court to remove 26 violent ayaats from Quran. pic.twitter.com/ws2sq7mNbK
— Abhijit Majumder (@abhijitmajumder) March 12, 2021
वसीम रिज़वी के अनुसार, “अल्लाह के संदेश दो तरह के नहीं हो सकते। तीनों खलीफाओं ने ताकत का इस्तेमाल किया। इसी से कुरान में तब्दीली करके इस तरह की आयतों को डाला गया और दुनिया के लिए जारी कर दिया गया। इसकी 26 आयतें इंसानियत के मूल सिद्धांतों को नकारती हैं और धर्म के नाम पर नफरत, घृणा, हत्या, खून खराबा फैलाती हैं।”
वसीम रिज़वी ने अपनी याचिका में आगे ये भी कहा, “जब पूरे कुरान पाक में अल्लाहताला ने भाईचारे, प्रेम, खुलूस, न्याय, समानता, क्षमा, सहिष्णुता की बातें कही हैं तो इन 26 आयतों में कत्ल व गारत, नफरत और कट्टरपन बढ़ाने वाली बातें कैसे कह सकते है? इन्हीं आयतों का हवाला देकर मुस्लिम नौजवानों का ब्रेनवॉश किया जा रहा है, उनको जिहाद के नाम पर भड़काया, बहकाया और उकसाया जा रहा है। इन्हीं की वजह से देश की एकता, अखंडता पर खतरा है” –
फिर क्या था, कट्टरपंथी मुसलमान इस याचिका पर बुरी तरह भड़क गए और उन्होंने वसीम रिज़वी के विरुद्ध जमकर नारेबाजी की, उनके पोस्टर जलाए। एक मौलवी ने यहाँ तक कह दिया कि कुरान से एक शब्द तक नहीं हटाया जा सकता, क्योंकि अल्लाह खुद उसकी हिफाजत करता है। यही नहीं, कुछ मौलवियों ने वसीम रिजवी का सिर तक काटकर लाने को कहा।
कट्टरपंथी संगठन शियाने हैदर-ए-कर्रार वेलफेयर एसोसिशन के अध्यक्ष हसनैन जाफरी डंपी ने वसीम रिजवी का सिर काटकर लाने वाले को 20 हजार रुपये इनाम देने की घोषणा की है। अपने आप को पैगम्बर मुहम्मद का कलमा पढ़ने वाला और शिया घर में पैदा होने वाला बताते हुए उन्होंने कहा कि रिजवी के बहिष्कार के लिए देश भर में अभियान चलाया जाएगा और उन्हें अपने कार्यक्रमों में बुलाने वालों का भी बहिष्कार किया जाएगा।
वहीं दूसरी तरफ लखनऊ में मजलिस उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना कल्बे जवाद नकवी के अनुसार रिजवी का शिया बोर्ड या इस्लाम से कोई लेना-देना नहीं है। मौलाना नकवी के अनुसार, “सभी शिया एवं सुन्नी मुस्लिमों को इसके खिलाफ एकजुट होना चाहिए। यह खलीफा यज़ीद का वंशज है, जिससे मुस्लिम घृणा करते हैं। कुरान पर बयान से देश की शांति-व्यवस्था को खतरा है और दंगों की आग भड़क सकती है। गिरफ़्तारी न होने पर माना जाएगा कि सरकार भी इसमें शामिल है।”
ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि सैयद वसीम रिज़वी ने अपनी याचिका से कहीं न कहीं कट्टरपंथी मुसलमानों की घिनौनी सोच को एक बार फिर उजागर किया है। जहां एक ओर फ्रांस कट्टरपंथी इस्लाम के विरुद्ध निर्णायक युद्ध लड़ने के लिए तैयार है, तो वहीं भारत को भी इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए और वसीम रिजवी जैसे लोगों द्वारा इस्लाम में सुधार को भी बढ़ावा देना चाहिए।