‘Secularism का पाठ हमें न पढ़ाओ’, Jaishankar ने भारत के खिलाफ जहर उगलने वाली अमेरिकी और Swedishरिपोर्ट्स की धज्जियां उड़ा दीं

भारत

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में आयोजित ‘ इंडिया टुडे conclave’ में भारत के खिलाफ कटु बोलने वालों के ऊपर जमकर हमला बोला है। इंडिया टुडे’ के न्यूज डायरेक्टर और सीनियर न्यूज एंकर राहुल कंवल द्वारा उठाए गए कई सवालों में से विदेशी संस्थाओं द्वारा भारत के लोकतंत्र को नीचा दिखाने के कोशिश के बारे मे भी सवाल किया गया। सवालों में global रंकिंग मे गिरावट, पॉप सिंगर रिहाना ओर स्वेडईश पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग  के बारे मे भी ज़िक्र था।

इंडिया टुडे के न्यूज़ डाइरेक्टर राहुल कंवल ने पूछा की, कुछ विदेशी संसथाय भारत के खिलाफ जहर उगल रहे है और उनका यह भी कहना है की जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत का सत्ता संभाला है तबसे हिंदुस्तान के लोकतंत्र के ऊपर खतरा बढ़ रहा है। इसके जवाब मे विदेश मंत्री ने कहा, ”आप जिन रिपोर्ट की बात कर रहे हैं, ये लोकतंत्र और निरंकुश शासन की बात नहीं है बल्कि यह एक पाखंड है. दरअसल, ये वे लोग हैं जिनके हिसाब से चीजें नहीं होती हैं तो इनके पेट में दर्द होने लगता है. इन्होंने खुद को दुनिया का कस्टोडियन (रक्षक) बना लिया है और चंद लोगों की नियुक्तियां कर दी हैं. ये खुद ही मानडंद तय करते हैं और फैसले देने लगते हैं।”

एस जयशंकर ने कहा, “जब ये बीजेपी की बात करते हैं तो हिन्दू राष्ट्रवादी कहते हैं। हम राष्ट्रवादी हैं और 70 देशों में वैक्सीन पहुंचाई। जो खुद को अंतरराष्ट्रीयवाद के पैरोकार मानते हैं, उन्होंने कितने देशों में वैक्सीन पहुंचाई है? भारत ने खुलकर कहा कि हम अपने लोगों के साथ उन देशों का भी ख्याल रखेंगे जो जरूरतमंद हैं। हां, हमारी भी आस्थाएं हैं, मूल्य हैं लेकिन हम अपने हाथ में धार्मिक पुस्तक लेकर पद की शपथ नहीं लेते हैं। हमें किसी के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं हैं। हमें खुद को ही आश्वस्त करना है। वे एजेंडा के तहत ऐसा करते हैं।”

विदेश मंत्री के बयान से यह साफ झलक रहा है कि आज का हिंदुस्तान छह साल पुराना हिंदुस्तान नहीं है जो पश्चिम द्वारा फैलाए गए propaganda को सच मानकर उसके सामने घुटने टेक दे। आज का हिंदुस्तान अपने बल बूते पर अपनी घरेलू ओर विदेश नीति तय करता है, न कि किसी विदेशी ताकत के दबाव मे आ कर अपनी देश की नीति को तय करता है। दूसरी और यह भी संकेत दिया कि भारत के संसद द्वारा पास किए गए क़ानूनों के ऊपर पश्चिम देशों की ओर कथित संस्थाओं के हस्तक्षेप को सिरे से नकारा जाएगा।

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