“26 जनवरी की हिंसा का जवाब दो”, सवाल पूछा तो लड़की से माइक छीनने भागा राकेश टिकैत

अरे टिकैत, एक सवाल नहीं झेल पाया?

राकेश टिकैत और उनके चाटुकार किसानों के हित के बारे में वास्तव में कितना चिंतित है, इसके बारे में कोई विशेष शोध की आवश्यकता नहीं। लेकिन हाल ही में हरियाणा की एक छात्रा ने अपने प्रश्नों से ऐसा तहलका मचा दिया कि न केवल टिकैत बगलें झाँकते दिखाई दिए, अपितु उनके चेले भी उस कन्या को अपनी बात बोलने से भी रोक रहे थे।

दरअसल हर बार की भांति इस बार भी राकेश टिकैत किसानों के अधिकारों के नाम पर अराजकतावादियों को बढ़ावा देने झज्जर के निकट ढाँसा बॉर्डर पर ‘जनसभा’ को संबोधित करने पहुँच गए। जब टिकैत कृषि कानून के नाम पर लोगों को भड़का रहे थे, तब एक विद्यार्थी ने उनसे कुछ प्रश्न पूछे, जिसकी वीडियो अभी सोशल मीडिया पर काफी वायरल भी हो रही है।

उक्त वीडियो में मंच पर पहुंची छात्रा ने जब माइक मांगा तो दे दिया गया मगर जैसे ही लड़की ने राकेश टिकैत से 26 जनवरी के दिन ट्रैक्‍टर परेड के दौरान दिल्‍ली में हुई हिंसा के बारे में सवाल पूछा तो माहौल गरम हो गया। लड़की ने कहा, “राकेश टिकैत ने ये तो बता दिया कि कृषि कानूनों से कितना नुकसान होगा। मगर ये कह रहे हैं कि जब तक सरकार मांगें नहीं मानती आंदोलन खत्‍म नहीं होगा। मैं पूछना चाहती हूं अगर किन्हीं परिस्थितियों में सरकार और किसानों के दोनों पक्ष में एक फीसद या फिर 0.005 फीसद भी पीछे नहीं हटे तो फिर समाधान किस बात पर होगा। यह जवाब सभी को चाहिए। धरने का समाधान मिलना चाहिए। ताकि, युवा भी परेशान नहीं हो और किसान भी परेशान नहीं हो

इस लड़की ने आगे कहा, “मैं पूछना चाहती हूं कि दिल्‍ली में 26 जनवरी के दिन जो हिंसा हुई उसके लिए कौन जिम्‍मेदार है। अगर प्रदर्शनकारी जिम्‍मेदार नहीं है, सरकार जिम्‍मेदार नहीं है तो कौन जिम्‍मेदार है? 26 जनवरी जैसी घटना में किसका हाथ था, हमें नहीं पता। लेकिन, हमारे समाज, हमारे मेल-मिलाप पर इसका क्या असर पड़ रहा है, यह देखा जाना चाहिए”

लेकिन लड़की की बात पूरी होती इससे पहले ही वहां खड़े ‘किसान नेताओं’ ने युवा लड़की को ही डराना धमकाना शुरू कर दिया। यही नहीं, उस लड़की का माइक भी बंद कर दिया और उसका नाम पूछा गया। लेकिन वह लड़की भी वीर निकली, उसने बेबाकी से अपना नाम भी बता दिया और माइक बंद होने के बाद भी अपनी बात जारी रखते हुए उसने पूछा, “अगर देश में 26 जनवरी जैसी हिंसा होगी तो देश का युवा सवाल तो पूछेगा ही।”

अब इस युवा लड़की के जोशीले व्यक्तित्व से वहाँ उपस्थित अराजकतावादी बुरी तरह सकपका गए और उसे डराने धमकाने का प्रयास करने लगे। लेकिन उस लड़की को तनिक भी फरक नहीं पड़ा। इस दौरान सभी से अकेली ही अपनी बात कहती रही और कहा कि मैंने किसी को दोषी नहीं कहा, बस ये सवाल किया है कि आखिर इस तरह की घटनाओं के लिए जिम्‍मेदार कौन है। मगर लड़की की बात नहीं सुनी गई।

इस पूरे प्रकरण में राकेश टिकैत एकदम मौन रहे। जब वह बोलने के लिए उठे, तो भी उनके उत्तर गोलमोल ही रहे, जिससे स्पष्ट पता चलता है कि किसान आंदोलन बुरी तरह फ्लॉप हो गया है।कहने को इस आंदोलन के 100 दिन पूरे हो चुके हैं, लेकिन न तो अब पहले की तरह कोई खुलेआम समर्थन देना चाहता है, और न ही इस आंदोलन में भागीदार लोग अब इसके साथ जुड़े रहना चाहते हैं। रही सही कसर तो झज्जर में हरियाणवी छोरी ने अपने बेबाक सवालों से ही पूरी कर दी।

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