जब जो बाइडन अमेरिका के राष्ट्रपति बने तब एक बात स्पष्ट हो गया था कि अब चीन को दुनिया भर में एक बार फिर से गुंडागर्दी की छुट मिलेगी। कुछ ऐसा ही देखने को मिल भी रहा है, चीन न सिर्फ गुंडागर्दी बढ़ा रहा है बल्कि अमेरिका को टेकओवर करने का प्लान भी बना रहा है जिसमें बाइडन उसकी मदद करते दिख रहे हैं। The Epoch Times की रिपोर्ट के अनुसार एक प्रमुख चीनी प्रोफेसर Jin Canrong ने अमेरिका को विश्व की महाशक्ति के रूप में उखाड़ फेंकने के लिए कम्युनिस्ट शासन ने एक व्यापक योजना बनाई है। यह प्रोफ़ेसर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) के दो प्रमुख संगठन Organization Department, और the United Front Work Department के सलाहकार हैं। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वे शी जिनपिंग के कितने करीबी हैं।
प्रोफेसर की बहुस्तरीय रणनीति में चीनी शासन को मजबूत करने के साथ अमेरिका को कमजोर करने के लिए कई कदम शामिल हैं। इस योजना में अमेरिकी चुनावों में हस्तक्षेप करना, अमेरिकी बाजार को नियंत्रित करना, अमेरिका को चुनौती देने के लिए वैश्विक दुश्मनों से दोस्ती, अमेरिकी प्रौद्योगिकी की चोरी करना, चीनी क्षेत्र का विस्तार करना और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को प्रभावित करना शामिल है। अगर बाइडन के अभी तक के कार्यकाल को देखा जाये तो वह इन सभी में चीन की मदद करते दिख रहे हैं।
Jin Canrong के सुझाव के अनुसार CCP को बीजिंग समर्थक उम्मीदवारों को सत्ता में लाने के लिए अमेरिकी चुनावों में हस्तक्षेप करना चाहिए। जो बाइडन के सत्ता में आने से चीन को इस लक्ष्य में सफलता मिली है। SCMP की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका के पूर्व सुरक्षा सलाहकार Robert O’Brien ने यह दावा भी किया था कि चीन अमेरिकी चुनाव में हस्तक्षेप करने की पूरी कोशिश कर रहा है।
वहीं बात करे अमेरिकी बाजार के नियंत्रण की तो यह बाइडन के हाल के कदमों से स्पष्ट होता है कि वह अमेरिकी बाजार को चीन के नियंत्रण में होने देना चाहते हैं। उदहारण के लिए अमेरिकी कांग्रेस द्वारा पारित 1.9 ट्रिलियन डॉलर प्रोत्साहन पैकेज के कारण चीन की जीडीपी में अगले साल 0.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी होने जा रही है। चीन के खिलाफ अमेरिका की आर्थिक स्थिति को और मजबूत करने के लिए, जो बाइडन के पास सही अवसर था। अमेरिकियों को 1,400 डॉलर के चेक सौंपने से पहले, बाइडन, चीनी आयातों पर टैरिफ लगा सकते थे। राष्ट्रपति के रूप में अपने पहले कुछ महीनों में, जो बाइडन ने अमेरिका और चीन के बीच व्यापार घाटे को 60 बिलियन डॉलर बढ़ाने का काम किया है जिससे चीन की स्थिति और मजबूत होगी। इसके अलावा टिकटोक से प्रतिबन्ध हटाना हो या अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट की वेबसाइट 5G security और The China Challenge जैसे दो महत्वपूर्ण विषय हटाना हो। जबसे बाइडन ने 46वें राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभाला है तब से ट्रंप के कार्यकाल में डिलिस्ट हो चुकी चीनी कंपनियों ने पुनः NYSC में स्वयं को लिस्टेड करवाने के प्रयास शुरू किए हैं। यानी स्प्पष्ट है कि चीन एक बार फिर से अमेरिकी बाजार को अपने नियंत्रण में लेना शुरू कर चुका है और बाइडन उसमें चीन की मदद कर रहे हैं।
वहीं अगर तीसरे पॉइंट की बात करे तो चीन पिछले कई वर्षों से अमेरिका के दुश्मनों से दोस्ती करने में लगा हुआ है। Jin Canrong के शब्दों में आज के समयानुसार अमेरिका के 4 दुश्मन होने चाहिए जिससे वह अपने संसाधनों को उन्हीं क्षेत्रों में व्यर्थ करता रहे। यह तो पहले से स्पष्ट है कि अमेरिका आतंकवाद, रूस और चीन को शत्रु मानता हैं। अब स्वयं बाइडन चौथे शत्रु को जन्म दे रहे हैं वह भी पश्चिमी एशिया में आये शांति को भंग कर तथा ईरान के साथ दोबारा परमाणु समझौता करने का संकेत दे कर। यहाँ यह नहीं भूलना चाहिए कि चीन ने ईरान के साथ 25 वर्षीय सहयोग के समझौते पर हस्ताक्षर किया है। इससे न सिर्फ अमेरिका के खिलाफ विश्व भर में माहौल बनेगा ,बल्कि इजरायल तो खुलीं अमेरिका के खिलाफ जा सकता है। ऐसे में देखा जाये तो यहाँ भी बाइडन चीन की ही मदद कर रहे हैं।
जैसे जैसे चीन की स्थिति मजबूत होती जाएगी उसके लिए अमेरिका को टेकओवर करने का रह भी आसान होता जायेगा। इससे चीन के लिए अमेरिकी प्रौद्योगिकी की चोरी करना और चीनी क्षेत्र का विस्तार करना आसान होगा।
Canrong ने अपने आखिरी पॉइंट में चीन के अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को प्रभावित करने की बात कर रहे हैं यानी जैसे ट्रंप काल से पहले था। डोनाल्ड ट्रंप ने अपने कार्यकाल के दौरान अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में चीन की प्रभुता देख कर उनसे अलग होने या फंडिंग बंद करने का निर्णय कर उन्हें अप्रासंगिक बनाने की कोशिश की थी। चाहे वो WHO हो या UNHRC या फिर UNESCO ही क्यों न हो। साथ ही उन्होंने WTO में दो जजों की नियुक्ति को ब्लॉक कर इस संगठन को भी अपंग बना दिया था। परन्तु अब बाइडन ने एक बार फिर से इन संगठनों में शामिल होने का फैसला किया है। बाइडन प्रशासन के स्टेट सेक्रेटरी एंटनी ब्लिंकन ने 8 फरवरी को घोषणा की थी कि अमेरिका संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद यानि में शामिल होगा। अब इन संगठनों पर चीन का किस तरह दबाव है यह पुरे विश्व ने कोरोना के समय WHO के बयानों से समझ लिया है। साथ ही ये वही UNHRC है जो चीन में उईगर मुस्लिमों के खिलाफ हो रहे अत्याचार पर एक बयान तक जारी नहीं करता। अगर ऐसे में बाइडन एक बार फिर से इन अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में अमेरिका को शामिल करते हैं तो इससे चीन के प्रभुत्व को बल मिलेगा जिससे चीन और मजबूत होता जायेगा। यानी यहाँ भी बाइडन चीन की मदद कर रहे हैं। अगर यह कहा जाये कि शी जिनपिंग अमेरिका को टेकओवर करने की योजना तैयार कर रहे हैं और बाइडन सक्रिय रूप से उसे हासिल करने में मदद कर रहे हैं।