‘आप साहसिक निर्णय लेने में क्यों हिचकते हैं?’, प्रधानमंत्री मोदी ने IAS officers को जमकर फटकार लगाई

पीएम मोदी

पीएम नरेंद्र मोदी यूं तो अधिक क्रोधित नहीं होते, लेकिन यदि उन्हें किसी चीज़ से सर्वाधिक चिढ़ मचती है तो वो है अकर्मण्यता। अभी भी कई अहम निर्णयों को लागू करने में नौकरशाही आड़े आती है, और यही कारण है कि पीएम मोदी को कई आईएएस अफसरों को आड़े हाथों लेने को विवश होना पड़ा।

द प्रिन्ट की रिपोर्ट के अनुसार,जब पीएम मोदी ने विनिवेश विभाग द्वारा आयोजित परिसंपत्ति मुद्रीकरण और विनिवेश पर एक वेबिनार में भाग लिया। ये बैठक में 2.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक की 100 से अधिक सार्वजनिक क्षेत्र की परिसंपत्तियों के मुद्रीकरण के सुझावों पर काम करने के लिए आयोजित किया गया था। इस बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने सभी को चौंकते हुए कहा कि सरकार को सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को सिर्फ इसलिए नहीं चलाना है क्योंकि वे दशकों से चल रहे हैं या फिर इसलिए क्योंकि वे किसी के प्रिय प्रोजेक्ट थे”

पीएम मोदी ने इस दौरान ये भी कहा कि निजी क्षेत्र निवेश लाता है, वो वैश्विक तरीका जो न केवल कसी क्षेत्र को आधुनिक बनता है बल्कि उसका विस्तार भी करता है और रोजगार भी देता है। इसके साथ ही उन्होंने सरकारी बाबुओं को फटकार भी लगाई।

पीएम मोदी ने कहा कि, “सरकार का उद्योग में होना अवश्यंभावी नहीं है। यह दुर्भाग्य की बात है कि सरकारी अफसर न्यायालय और फालतू के आरोप प्रत्यारोप के भय से अहम निर्णय लेने से हिचकते हैं। सरकारी संपत्तियों का उचित मूल्य दिलाने की जिम्मेदारी केवल निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग की नहीं है। जो भी विभाग इस विभाग से जुड़े हुए हैं, वे भी बराबर के जिम्मेदार होते हैं और उन्हें भी जिम्मेदारी संभालनी चाहिए”।

दरअसल, सरकारी सूत्रों की माने तो उसी दिन पीएम मोदी ने प्रगति मीटिंग में भी हिस्सा लिया था, जहां उन्होंने विभिन्न इन्फ्रस्ट्रक्चर परियोजनाओं की स्थिति का जायज़ा लिया था। द प्रिन्ट की रिपोर्ट में ही आगे बताया गया, “जब ये सामने आया कि 2009-10 में स्वीकृत दार्जिलिंग और Rango के बीच रेलवे परियोजना अभी तक लटकी हुई है, तो इसपर पीएम मोदी काफी नाराज हुए और कहा कि इन बाबुओं की जवाबदेही तय करनी पड़ेगी, क्योंकि इनकी अकर्मण्यता के कारण देश के संसाधन बर्बाद हो रहे हैं, करदाताओं का पैसा व्यर्थ जा रहा है। कोई भी उस समय कुछ नहीं बोला”।

देश के विकास और निर्माण में निजी क्षेत्र की सराहना करते हुए पीएम मोदी ने बाबुओं की कामचोरी के पीछे  उन्हें आड़े हाथों लिया है। 10 फरवरी को जब संसद में लोकसभा का सत्र जारी था, तो उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र को मिल रहे उलाहनों से तंग आकर आक्रामक रुख अपनाया और कहा, “सब कुछ बाबू ही करेंगे। आईएएस बन गए मतलब वो फर्टिलाइज़र का कारखाना भी चलाएगा, आईएएस हो गया तो वो हवाई जहाज भी चलाएगा। यह कौन सी बड़ी ताकत बनाकर रख दी है हमने? बाबुओं के हाथ में देश दे कर हम क्या करने वाले हैं? अगर हमारे बाबू देश के हैं, तो देश का नौजवान भी इसी देश का है”।

यदि इन सब गतिविधियों को ध्यान से देखें, तो नरेंद्र मोदी का संदेश स्पष्ट है – सुस्ती, कामचोरी को किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। पीएम नरेंद्र मोदी देश के अन्य नेताओं की भांति नौकरशाहों से रूखा व्यवहार नहीं करते, लेकिन यदि काम को लेकर सुस्ती को देख उन्हें नौकरशाही को खरी खोटी सुनानी पड़ी है, तो स्थिति सच में ठीक नहीं है।

हमारे देश के प्रधानमंत्री चाहे जो भी निर्णय लें, लेकिन यदि वे किन्ही कारणों से लागू नहीं हो पाते हैं, तो इसके पीछे वजह साफ है – नौकरशाही की अकर्मण्यता, जिन्हें न जोखिम लेने में कोई रुचि है, और न ही देश के हित में काम करने में। उनके लिए अपनी जेबें भरना अधिक महत्वपूर्ण है, लेकिन मोदी के शासन में अब ये सब और नहीं चलेगी।

 

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