शांतिदूतों ने बिहार के पुलिसवाले को बंगाल में पीट-पीट के मार दिया, बाद में माँ सदमे से मर गई

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PC: Swarajya

अल्पसंख्यक समाज के किसी शख्स के साथ लिंचिंग को लेकर देश में एक पक्ष हमेशा ही सरकार पर हमलावर रहता है, लेकिन जब यही घटना बहुसंख्यक समाज के लोगों के साथ होती है तो लोगों को सांप सूंघ जाता है। बिहार के किशनगंज के पुलिस अधिकारी अश्विनी कुमार की पश्चिम बंगाल के ग्वालपोखर इलाक़े में हुई हत्या भी कुछ ऐसी ही है। चोरी से जुड़े मामले में ऑपरेशन पर गए अश्विनी को इलाके के अल्पसंख्यक समाज के लोगों ने पीट-पीट कर मार डाला। वहीं, उनकी मौत की खबर सुनकर उनकी मां भी सदमे में चल बसीं, ऐसे में सवाल उठता है कि लिंचिंग पर बयान देने वाले लोग अब चुप क्यों हैं ?

बिहार के किशनगंज के नगर अध्यक्ष अश्विनी कुमार को बाइक चोरी से संबंधित एक शिकायत मिली थी, जिस पर उन्होंने अपनी टीम के साथ कार्रवाई शुरू कर दी, लेकिन अपराधी पश्चिम बंगाल के इलाक़े में चले गए। ऐसे में इस अपराधी के खिलाफ ऑपरेशन के लिए पश्चिम बंगाल के पंजीपाड़ा गई टीम पर वहां के स्थानीय लोगों ने हमला बोल दिया। ऐसे में बाकी पुलिस अधिकारी तो भाग गए, लेकिन अश्विनी कुमार को वहां मौजूद भीड़ ने पीट-पीटकर लिंचिंग के जरिए मार डाला। ये घटना पढ़ने और सुनने में जितनी डरावनी लगती है, उतना ही इसका ख़तरनाक असर भी देखने को मिला है।

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पश्चिम बंगाल में बिहार के इस पुलिस अधिकारी की शहादत का अंजाम ये हुआ कि उनकी मौत की खबर सुनकर उनकी मां को भी हार्ट अटैक आ गया और वो भी चल बसीं। ऐसे में एक वक्त में एक घर से दो‌ अर्थियां उठीं। इस घटना ने लोगों के दिलों को आहत कर दिया है। वहीं, अश्विनी कुमार की बेटी ने कहा, यह एक साजिश है और मैं CBI जांच की मांग करती हूं। उन्होंने बंदूकें होने के बावजूद मेरे पिता को अकेला छोड़ दिया था। केवल सर्किल इंस्पेक्टर मनीष कुमार, बल्कि भागने वाले सभी लोगों को दंडित किया जाना चाहिए। मेरे पिता की मौत के बाद मेरी दादी की भी सदमे से मौत हो गई है।

वहीं, इस मामले में विश्व हिंदू परिषद भी कूद गया है, और लिंचिंग करने वालों के खिलाफ बयान जारी कर अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। इस मामले में वीएचपी के केंद्रीय महासचिव मिलिंद परांडे ने कहा, इस क्षेत्र का ये कोई पहला मामला नहीं है। बांग्लादेशी घुसपैठियों, शराब और तस्करी के लिए कुख्यात इस क्षेत्र में पहले भी कई बार पुलिस टीम पर हमले हुए हैं। लेकिन, बंगाल के स्थानीय पुलिसप्रशासन की उदासीनता और राजनीतिक संरक्षण के कारण, यह क्षेत्र अपराधियों के लिए स्वर्ग बन गया है।

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वीएचपी इस मामले में अपराधियों को फांसी की मांग कर रहे हैं। इतना ही नहीं सभी हिंदू संगठनों ने बंगाल प्रशासन पर भी सवाल खड़े किए हैं। वहीं अजीब बात ये है कि वो लोग जो देश में लिंचिंग को लेकर हमेशा ही संवेदनशीलता से बयान देते थे, वो सभी अब किसी कोप-भवन में छिप गए हैं, जो इनके दोगले रवैए को दिखाता है। साथ ही ये भी बताता है कि अभी भी कुछ इलाकों में खास वर्ग के लोग ज्यादा उग्र हो सकते हैं क्योंकि उन्हें पुलिस प्रशासन का भी बिल्कुल डर नहीं है।

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