कट्टरपंथियों की एक आदत होती है, कि वो कभी अपने धर्म के लोगों को प्रगति के रास्ते पर चलने नहीं देते हैं। यदि कोई मेहनत से सामाजिक परिवर्तन के लिए कुछ प्रगति के रास्ते खोलता भी है तो कट्टरपंथी उसे विपदा में झोंक देते हैं। कर्नाटक के मैसूर की एक मुस्लिम कन्नड़ लाइब्रेरी में केवल इसलिए आग लगा दी गई, क्योंकि उस लाइब्रेरी में गीता के साथ ही हिंदू समुदाय की अन्य धार्मिक पुस्तकें भी रखी हुई थीं। वहीं, इस अमानवीय कृत्य को अंजाम देने वाले अल्पसंख्यक शख्स सैय्यद नसीर को गिरफ्तार कर लिया गया है, जो कि इस घटना का मुख्य जिम्मेदार है।
मैसूर में कन्नड़ लाइब्रेरी को सफाईकर्मी इशाक ने मेहनत की कमाई से बनवाया था। इस लाइब्रेरी में करीब 11 हजार किताबें एकत्र हो गईं थीं, वहीं लाइब्रेरी के स्टोरेज लगातार बढ़ोतरी हो रही थी लेकिन अचानक उसमें आग लगा दी गई और सबकुछ राख हो गया। इस मामले में पहले खबरें थीं कि कुछ उपद्रवियों ने इस घटना को अंजाम दिया था, लेकिन अब इस पूरे प्रकरण की असल वजह सामने आ रही है। द हिंदू की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि सैय्यद नसीर नाम के शख्स ने ही इस लाइब्रेरी में आग लगाई थी, और इसके पीछे बड़ी वजह कट्टरपंथ है।
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पुलिस के मुताबिक इस शख्स ने ही मुस्लिम लाइब्रेरी में आग लगाई थी, इस शख्स ने बीड़ी जलाने के दौरान ही माचिस की तीली जानबूझकर लाइब्रेरी में गिराई जिससे आग लग गई, और पूरी लाइब्रेरी खाक हो गई। इस मामले में सीसीटीवी फुटेज साफ इशारा कर रही है, कि नसीर ने लाइब्रेरी के फर्नीचर की तरफ ही माचिस जलाकर फेंकी थी। वहीं, इस मामले में लाइब्रेरी के मालिक इशाक ने उदयगिरी पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करते हुए बताया था कि इस आग में 11 हजार पुस्तकों को आग लगा दी गई है।
इशाक ने बताया है कि जली हुई पुस्तकों में धार्मिक पुस्तकें भी शामिल थीं, जिनमें कुरान, बाइबल, गीता और रामचरित मानस जैसे पवित्र ग्रंथ भी थे। उन्होंने कहा कि कन्नड़ भाषा के प्रति कुछ लोगों में नफरत थी और लाइब्रेरी के जरिए वो कन्नड़ भाषा का प्रचार कर रहे थे। इसीलिए इस लाइब्रेरी को कुछ लोगों ने निशाना बनाया है। इसके इतर अधिकतर मीडिया संस्थानों ने सारा ध्यान गीता पर ही केंद्रित रखा था क्योंकि इससे वे ये साबित करना चाहते थे कि हिन्दू कट्टरपंथियों ने ही इस घटना को अंजाम दिया है, जबकि हकीकत इसके ठीक विपरीत की थी। अब अल्पसंख्यक समुदाय के ही शख्स का इस लाइब्रेरी में आग लगाना दिखाता है इस लाइब्रेरी को निशाना तो कट्टरपंथियों ने ही बनाया है , लेकिन वो बहुसंख्यक समाज के नहीं थे।
लगभग सभी मीडिया संस्थान ये साबित करने की कोशिश में थे कि किसी हिन्दू कट्टरपंथी संगठन के लोगों ने इस तरह की आपत्तिजनक घटना को अंजाम दिया है, लेकिन अब तो इस मुद्दे पर इन सभी लोगों की सिट्टी-पिट्टी ही गुल हो गई है, क्योंकि ये घटना किसी हिंदू संगठन या व्यक्ति ने नहीं, बल्कि मुस्लिम समाज के व्यक्ति द्वारा ही की गई है। साथ ही इस आरोपी शख्स की गिरफ्तारी भी हो गई है। इस पूरे मुद्दे पर कुछ दिनों पहले तक जो लोग सांकेतिक रूप से बहुसंख्यक समाज पर हमला बोल रहे थे, आरोपी सैय्यद नसीर की गिरफ्तारी के बाद उन सभी के मुंह पर करारा तमाचा पड़ा है।
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यक़ीनन इशाक नाम का वो शख्स अपनी मेहनत की कमाई से लाइब्रेरी बनाकर लोगों को ज्ञान देना चाहता था, लेकिन इशाक के समुदाय के ही लोगों का लाइब्रेरी में आग लगाना दिखाता है कि ये लाइब्रेरी इस्लामिक कट्टरता के कारण जलाई गई थी, इस लाइब्रेरी में हिंदू समुदाय की पवित्र पुस्तकों का होना वहां के कट्टरपंथी लोगों को काफी वक्त से खल रहा था, यही कारण है कि इस लाइब्रेरी पर पहले भी इस तरह के हमले हुए थे।